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किसानों के हित में बड़ा कदम- श्रीकांत शर्मा

एनडीए सरकार ने किसानों के हित में बड़ा कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी दी है, जो इसी साल खरीफ सीजन से लागू होगी। इससे किसानों को प्राकृतिक या स्‍थानीय आपदा के चलते फसल को हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी। इसके तहत किसानों को बहुत कम प्रीमियम, जैसे रबी फसलों के लिए अधिकतम 1.5 प्रतिशत, खरीफ फसलों के लिए दो फीसदी और वार्षिक, वाणिज्‍यक एवं बागवानी फसलों के लिए पांच प्रतिशत देना होगा। जबकि किसानों को बीमा राशि पूरी मिलेगी। सरकार इस पर करीब 8,800 करोड़ रुपये खर्च करेगी और इससे साढ़े तेरह करोड़ किसानों को लाभ होगा।

यह कदम उठाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्‍योंकि विगत में शुरू की गई फसल बीमा योजनाएं अब तक कारगर नहीं रही हैं। पिछली एनडीए सरकार ने 1999 में कृषि क्षेत्र में बीमा की शुरुआत कर एक अभिनव पहल की थी, पर यूपीए सरकार ने 2010 में इसमें कई ऐसे बदलाव कर दिए, जो किसानों के लिए घातक साबित हुए। मोदी सरकार की यह फसल बीमा योजना ‘एक राष्‍ट्र, एक योजना' तथा ‘वन सीजन, वन प्रीमियम' के सिद्धांत पर आधारित है। इसमें बीमा राशि सीधे किसान के बैंक खाते में जाएगी।

यूपीए सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई ‘संशोधित राष्‍ट्रीय कृषि बीमा योजना' (एमएनएआइएस) की सबसे बड़ी खामी यह थी कि उसमें प्रीमियम अधिक हो जाने पर एक अधिकतम सीमा निर्धारित रहती थी। नतीजतन किसान को मिलने वाली दावा राशि भी कम हो जाती थी। जैसे, अगर किसी फसल के लिए 22 प्रतिशत प्रीमियम था, तो किसान को तीस हजार रुपये का बीमा कराने के लिए इस अधिकतम सीमा के कारण मात्र 900 रुपये और सरकार को 2,400 रुपये प्रीमियम देना पड़ता था। फसल को अगर शत प्रतिशत नुकसान हुआ, तो उसे मात्र 15,000 रुपये की दावा राशि ही प्राप्त होती थी।

जबकि नई बीमा योजना में कोई किसान यदि तीस हजार रुपये का बीमा कराता है, तो 22 प्रतिशत प्रीमियम होने पर भी मात्र 600 रुपये देने होंगे, जबकि बाकी के 6,000 रुपये का भुगतान सरकार करेगी। अगर किसान का शत-प्रतिशत नुकसान होता है, तो उसे 30 हजार रुपये की पूरी दावा राशि प्राप्त होगी। पहले किसानों को 15 प्रतिशत तक प्रीमियम देना पड़ता था, पर अब इसे घटाकर डेढ़ से दो फीसदी कर दिया गया है। साथ ही, ओलावृष्टि, जलभराव और भूस्‍खलन को स्थानीय आपदा माना जाएगा। इसमें पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान को भी शामिल किया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक फसल खेत में है और उस दौरान कोई आपदा आ जाती है, तो किसानों को दावा राशि प्राप्त हो सकेगी। पहले यह सुविधा सिर्फ तटीय क्षेत्रों को प्राप्‍त थी।

अब तक देखा गया है कि फसल बीमा होने के बावजूद किसानों को बीमित राशि लेने के लिए जगह-जगह चक्‍कर लगाने पड़ते हैं। इस योजना में प्रौद्योगिकी के उपयोग का फैसला किया गया है। इससे फसल कटाई/नुकसान का आकलन शीघ्र और सही हो सकेगा और किसानों को दावा राशि त्वरित रूप से मिल सकेगी। इसके लिए सरकार रिमोट सेंसिंग तकनीक और स्‍मार्टफोन का इस्‍तेमाल करेगी। कुल मिलाकर, सरकार ने किसानों के हित में एक समग्र योजना की शुरुआत की है, जिसका लाभ पूरे देश के किसानों को मिलेगा।

-लेखक भाजपा के राष्ट्रीय सचिव हैं