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किसानों से छलावा : फसल बीमा का लाभ मिला महज 35 पैसे

अहद खान, झाबुआ। खरीफ 2016 की फसलों के लिए किए गए फसल बीमा की क्लेम राशि किसानों के खातों में जमा कर दी गई है। जिले में लगभग 1500 किसानों को इसका लाभ दिया गया। वैसे इसे लाभ कहना ठीक नहीं होगा। जिले में किसानों के साथ ऐसा छलावा हुआ कि वो समझ नहीं पा रहे क्या किया जाए। किसानों के साथ धोखे को इसी बात से समझा जा सकता है कि कुछ किसानों को बीमा कराने का फायदा हुआ सिर्फ 35 पैसे। काकरादरा के दो किसानों ने प्रीमियम राशि 147 रुपए 62 पैसे भरी थी। उनके खाते में क्लेम राशि जमा हुई 147 रुपए 97 पैसे।

योजना में खरीफ 2016 का बीमा करने और क्लेम बांटने में सबसे ज्यादा मुनाफा बीमा कंपनी ने ही कूटा। जिले के किसानों ने बीमा प्रीमियम के रूप में 2 करोड़ 20 लाख रुपए जमा कराए। इसके बदले क्लेम स्वीकृत हुआ मात्र 9 लाख 17 हजार रुपए। यानी सीधे-सीधे 2 करोड़ 10 लाख रुपए से ज्यादा का फायदा बीमा कंपनी को मिला। अधिकारियों का कहना है, तब मौसम ठीक रहा और दूसरे कारणों से भी फसलों को नुकसान नहीं हुआ।


इसलिए क्लेम भी सामान्य बना। बीमा का असली लाभ फसल को किन्हीं परिस्थितियों में अधिक नुकसान होने पर सामने आता है। कई जिलों में बड़ा क्लेम मिला भी है। जिले में इस मामले में उद्यानिकी फसल वाले फायदे में रहे। 2016 में उद्यानिकी फसलों के लिए इस साल 3.41 करोड़ रुपए प्रीमियम जमा हुई और क्लेम 4.27 करोड़ रुपए मिला।

काकरादरा के किसानों को नुकसान

बीमा कराने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान में रानापुर क्षेत्र के काकरादरा के किसान रहे। इन्हें क्लेम राशि उनके द्वारा जमा कराई गई प्रीमियम से चंद पैसे ज्यादा मिली। मतलब जो पैसा दिया था, उतना ही मिला। फसलों को जो नुकसान हुआ, वो तो उन्हें ही भुगतना पड़ा। जिले में सबसे ज्यादा क्लेम राशि 3 हजार 552 रुपए 24 पैसे है। ये पेटलावद के गंगाखेड़ी के किसानों को मिली।

फायदा का नुकसान

-गांव काकरादरा के 2 किसानों की मक्का की फसल के लिए 147.62 रुपए का बीमा कराया। उन्हें फायदा मिला सिर्फ 35 पैसे का। क्लेम राशि खाते में जमा हुई 147.97 रुपए।

-काकरादरा के ही 34 किसानों ने 200.61 रुपए प्रीमियम जमा कराई थी। उन्हें क्लेम मिला 201.08 रुपए। यानी फायदा मिला 47 पैसे।

-इसी गांव के 2 किसानों ने 179.79 रुपए प्रीमियम जमा कराई। बदले में क्लेम मिला 180.21 रुपए। यानी 42 पैसे अधिक।

अधिकतम भी काफी कम

-पेटलावद क्षेत्र के करवड़ के 6 किसानों को सबसे ज्यादा फायदा मिला। सोयाबीन की फसल बोने वाले इन किसानों ने 458.33 रुपए प्रीमियम जमा कराई थी। इन्हें क्लेम राशि मिली 3552.24 रुपए। मतलब हर किसान को लगभग 3094 रुपए के नुकसान की भरपाई हुई।

-मेघनगर के रामपुरा गांव के 71 किसानों ने मक्का की बोवनी की थी। उन्होंने 119.52 रुपए प्रीमियम जमा कराई और क्लेम राशि 2398.67 रुपए मिली। यानी इन किसानों को 2279.15 रुपए नुकसान के बदले मिले।

नुकसान पता करने का ये गणित

ये सारा काम राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है। किसी भी क्षेत्र की किसी फसल की बीते पांच वर्षों की उपज का औसत निकालकर इसे संभावित उत्पादन माना जाता है। इस औसत से कम फसल होने पर बीमा का भुगतान किया जाता है। इसमें सहकारी बैंकों का रोल ये है कि जिन किसानों को लोन दिया गया है, उनके लोन से बीमा प्रीमियम राशि काटना है और क्लेम आने पर किसानों के खाते में जमा कराना है।

काफी फायदा है किसानों को

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के वरिष्ठ महाप्रबंधक पीएन यादव का कहना है, बीमा योजना का काफी लाभ है। दो साल पहले आलीराजपुर जिले में 8 उड़द के मामले में 8 करोड़ से ज्यादा राशि मिली थी। किसी भी स्थिति में किसानों को कोई नुकसान नहीं होता। अगर किसी प्राकृति कारण से या दैवीय प्रकोप से फसलों को अधिक नुकसान होता है तो बीमा राशि भी उतनी ज्यादा मिलती है।