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केंद्र ने मांगी छत्तीसगढ़ की मांग, 4 और जिले नक्सल प्रभावित

रायपुर. राज्य शासन की सालभर से ज्यादा पुरानी मांग को मंजूर करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार और जिलों को एसआरई (सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर) योजना में शामिल कर लिया है। इसमें गरियाबंद और बालोद जैसे दो नए जिलों के अलावा महासमुंद और धमतरी हैं।




अब तक योजना में राज्य के नौ जिले शामिल थे। राज्य के लगभग आधे 13 जिलों को केंद्र शासन ने नक्सल प्रभावित मान लिया है। छत्तीसगढ़ और झारखंड देश के ऐसे दो राज्यों में शामिल हैं, जहां नक्सलियों ने अपना मजबूत आधार बना लिया है। वे लगातार अपने इलाके को बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं। इन दोनों राज्यों में नक्सलियों के ट्रेनिंग सेंटर हैं। उसके ज्यादातर बड़े नेता इन्हीं इलाकों में छिपे रहते हैं।


दिल्ली में आंतरिक सुरक्षा को लेकर आयोजित बैठक में हिस्सा लेकर मंगलवार सुबह लौटे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संवाददाताओं से चर्चा में बताया कि इन चारों जिलों में चल रहे एंटी नक्सल अभियान में हो रहे खर्च का बड़ा हिस्सा केंद्र वहन करेगा। अब तक राज्य के नौ जिले इस योजना में शामिल थे। इन जिलों में नक्सल ऑपरेशन के तहत पिछले वित्त वर्ष में हुए 55 करोड़ रुपए से ज्यादा के खर्च की भरपाई केंद्र शासन ने की थी।




किस आधार पर मिलता है
एसआरई योजना के तहत किसी जिले को उसी सूरत में शामिल किया जाता है, जब यह सुनिश्चित हो जाए कि नक्सलियों ने वहां पर ऑपरेशन शुरू कर दिया है और वे लोगों के बीच अपने आधार को मजबूत करने में लगे हैं।


इसलिए शामिल किए गए जिले

बालोद : यह जिला सालों से नक्सलियों का पनहगार रहा है। बस्तर में हथियारों की सप्लाई का भी यह बड़ा सेंटर है। यहां नक्सली बारूदी सुरंग विस्फोट कर चुके हैं।

गरियाबंद : अबूझमाड़ और आसपास के इलाकों में फोर्स के बढ़ते दबाव के कारण नक्सली गरियाबंद व ओडिशा सीमा को नया ठिकाना बना रहे हैं। इसी इलाके में नक्सलियों ने पिछले साल गरियाबंद के एडिशनल एसपी समेत आठ से ज्यादा जवानों पर हमला किया था।

धमतरी व महासमुंद : दोनों जिलों में सालों से माओवादी सक्रिय हैं। नगरी इलाके की सीतानदी टाइगर सेंचुरी का एक बड़ा हिस्सा एक तरह से नक्सलियों के कब्जे में है।

केंद्र से यह मदद

एसआरई योजना के तहत पुलिस थानों का आधुनिकीकरण

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की

तैनाती पर होने वाला खर्च

फोर्स का परिवहन

सुरक्षा बलों की तैनाती

शहीद जवानों और लोगों की दी जाने वाली मुआवजा राशि