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केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी कृषि से शुरुआत

बिलासपुर.इसे संयोग ही कहें कि अविभाजित मध्यप्रदेश के मंत्रिमंडल में भी डा. चरणदास महंत ने पारी की शुरुआत बतौर कृषि मंत्री की थी और केंद्र में भी उन्हें यही ओहदा मिला है। कृषि मंत्रालय मिलने के पीछे खेती-किसानी में उनकी गहरी रुचि को वजह माना जा रहा है।

सारागांव में जन्मे, पले-बढ़े डा. चरणदास महंत पहली बार 1985 में अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री बने। राज्य मंत्रिमंडल में उन्हें कृषि मंत्रालय मिला था। फिर वे अर्जुन सिंह व दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में क्रमश: आबकारी व गृह जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए मंगलवार को जब उनकी ताजपोशी कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री के तौर पर हुई तो मध्यप्रदेश के दिनों में उनके कृषि राज्यमंत्री के कार्यकाल की यादें ताजा हो गईं।

अविभजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ी संस्कृति को पहचान दिलाने का काम यदि स्व. बिसाहू दास महंत ने किया तो पैतृक, राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में चरणदास महंत ने उनका अनुसरण किया।

उन्होंने मध्यप्रदेश के छत्तीसगढ़िया नेताओं को विधानसभा का टिकट दिलाकर राजनीति में प्रतिनिधित्व दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 7 वर्षो बाद यूपीए सरकार में पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में श्री महंत को शामिल करने तथा उससे पहले ठेठ छत्तीसगढ़िया किसान नंदकुमार पटेल को पीसीसी अध्यक्ष व रविंद्र चौबे को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाकर हाईकमान ने प्रदेश में बदलाव का साफ संकेत दे दिया है।

सरकार बनाने ‘त्रिफला’ का फार्मूला:

श्री महंत को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने के बाद छत्तीसगढ़ के प्रति कांग्रेस हाईकमान के बदले हुए रुख का लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है। कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की ताजपोशी के लिए हाईकमान ने संगठन को सुदृढ़ करने के लिए महंत, पटेल एवं चौबे का त्रिफला दे दिया है।

कांग्रेस के लिए आने वाले ढाई साल जनता का भरोसा जीतने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि इसी दौरान पार्टी को राज्य की सत्ता में लाने की भूमिका तैयार होगी।

राज्य की अनेक योजनाएं केंद्र के फंड से चल रही हैं। केंद्र से मिलने वाली आर्थिक सहायता का राज्य सरकार पर दुरुपयोग का भी आरोप लगाया जाता रहा है। अब इन मामलों में श्री महंत के जरिए केंद्र सरकार की निगरानी बढ़ेगी, वहीं छत्तीसगढ़ के किसानों के हित में फैसले करने में मदद मिलेगी।

दबाव बनाने फुल टाइम मंत्री

यूपीए सरकार के अब तक के कार्यकाल में प्रदेश में केंद्रीय मंत्रियों का दौरा घंटों तक सीमित रहता था। यहां पहुंचने वाले मंत्री राज्य सरकार के क्रियाकलापों की सराहना करने से नहीं चूकते थे।

सुबह फ्लाइट से राजधानी रायपुर पहुंचकर शाफूड प्रोसेसिंग में संभावनाएं बढ़ीं

1974 में कोरबा में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खाद कारखाने की आधारशिला रखी थी। अब सिर्फ इसकी यादें बाकी रह गई हैं। इसकी भरपाई के लिए वहां नई यूनिट लगाने की पहल करने का वक्त आ गया है। वैसे अंबिकापुर में खाद कारखाने की स्थापना का काम इन दिनों चल रहा है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ को प्रतिनिधित्व मिलने के बाद अब यहां उत्पादित, अमरूद, कटहल, टमाटर, लीची, स्ट्राबेरी, आम आदि के फूड प्रोसेसिंग की यूनिट स्थापित करने की दिशा में पहल हो सकती है। कवर्धा-पंडरिया क्षेत्र की आगर-हाफ सिंचाई परियोजना की संभावनाएं भी बन रही हैं।

यह योजना केंद्र सरकार की स्वीकृति के लिए वर्षो से अटकी हुई है। इसकी सिंचाई क्षमता सवा लाख हेक्टेयर है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व के साथ ही छत्तीसगढ़ की भूमि व आबोहवा के मुताबिक यहां विकास की नई इबारत लिखने का अवसर प्रदेश कांग्रेस को मिल चुका है।

म को वापस लौटने वाले मंत्रियों की तुलना में डा. महंत के रूप में अब छत्तीसगढ़ को फुल टाइम मंत्री मिल गया है।