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कोर्ट ने दिया किसानों से समझौते का मौका


आदेश भाटी।। ग्रेटर नोएडा
 
नोएडा एक्सटेंशन के टेंशन से फिलहाल राहत मिली है। मंगलवार को वह महा फैसला नहीं आया, जिसके इंतजार में धड़कनें बढ़ी हुई थीं। उसकी जगह हाई कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच के हवाले करने की सिफारिश की और साथ में बीच का रास्ता तलाशने का एक मौका भी दे दिया।

ये मामले ग्रेटर नोएडा के 11 गांवों के थे। अब इन पर 17 अगस्त को सुनवाई होगी। इससे पहले 12 अगस्त तक अथॉरिटी या राज्य सरकार किसानों से सीधे समझौता कर सकती है। हालांकि कोर्ट ने बिल्डरों को मामले में पार्टी बनाए जाने से इनकार कर दिया है, लेकिन उसके कदम से अथॉरिटी और बिल्डरों को उम्मीद की एक किरण दिखाई दे रही है। अथॉरिटी सीधे किसानों के बीच जाकर बात करने की योजना बना रही है। साथ ही किसान भी अब अगली स्ट्रैटिजी तैयार कर रहे हैं। अगर कोर्ट की सलाह से बात आगे बढ़ती है तो घर का सपना देख रहे हजारों लोगों को भी राहत मिल जाएगी।

सीनियर जज ए. लाला और अशोक श्रीवास्तव की बेंच ने नोएडा एक्सटेंशन एरिया की करीब 3 हजार हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण को चुनौती देने वाली किसानों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसान 12 अगस्त तक अदालत से बाहर मामला निपटा सकते हैं, लेकिन इसके लिए किसानों पर दबाव नहीं बनाया जाएगा। समझौते या किसी दूसरे नतीजे की हालत में पूरे मामले का ब्यौरा कोर्ट को देना होगा। यह ब्यौरा अगली सुनाई की तारीख पर दिया जा सकता है।

बन रहा है उम्मीद का माहौल
 
अथॉरिटी : कोर्ट के फैसले से ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और बिल्डरों में उत्साह है। इससे समझौते की राह नजर आने लगी है। अथॉरिटी के सीईओ रमा रमण ने कहा है कि वे सीधे किसानों के बीच जाएंगे। गांव-गांव जाकर किसानों से बात करेंगे और समस्या का समाधान निकालेंगे। कुछ बीच के लोग इसमें रोड़ा बन रहे हैं। उनसे बात नहीं की जाएगी।

किसान : किसान नेता इंद्र नागर का कहना है कि वे किसानों के साथ मिलकर इस बारे में अपनी रणनीति तैयार करेंगे। किसानों का अहित नहीं होने दिया जाएगा।

डिवेलपर्स : क्रेडाई के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा है कि कोर्ट ने एक रास्ता दिया है। इससे थोड़ी सी राहत नजर आ रही है। हम किसानों का भी अहित नहीं चाहते हैं। समस्या का हल निकलना चाहिए।

निवेशक: नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट बायर्स वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष आर. पी. त्यागी ने कहा है कि अब एक रास्ता नजर आ रहा है। हम भी किसानों के साथ हैं और उन्हें उनका हक मिलना चाहिए।