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क्या स्कूलों में सवा तीन रुपये में मिलेगा पौष्टिक भोजन?

नयी दिल्ली : मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के मद में प्रति छात्र महज 3.34 रुपये और उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के मद में प्रति छात्र पांच रुपये दिये जाते हैं जबकि प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर देशभर में रसोई घर सह स्टोर के निर्माण का 31 प्रतिशत कार्य अभी तक शुरु नहीं किया गया है.


वहीं, केंद्र सरकार ने पिछले ढाई वर्ष में देश के विभिन्न प्रदेशों में मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता की जमीनी स्तर पर जांच परख के लिए सिर्फ 16 राज्यों में 28 दौरे किये. बहरहाल, कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने तेजी से बढ़ती महंगाई के बीच स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के लिए राशि में वृद्धि किये जाने की मांग की है. इन्होंने इतने कम पैसे में प्रत्येक बच्चों को 100 से 150 ग्राम अनाज, 20 से 30 ग्राम दाल, 50 से 75 ग्राम सब्जी, 5 से 7.5 ग्राम तेल एवं वसा तथा नमक एवं अन्य सामग्री उपलब्ध कराना कठिनाई व्यक्त की है.

देश के अनेक स्थानों से ऐसी खबरे आई हैं कि बच्चों को निर्धारित भोजन नहीं मिल रहा है, इसकी गुणवत्ता काफी खराब होती है और साफ सफाई का भी अभाव होता है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर रसोई घर सह स्टोर के निर्माण का 31 प्रतिशत कार्य अभी शुरु तक नहीं किया गया है जबकि 10 प्रतिशत कार्य प्रगति पर है.

2012-13 के आंकड़े के मुताबिक, बिहार में मध्याह्न भोजन के लिए रसोईघर सह स्टोर के निर्माण का 30 प्रतिशत कार्य अभी शुरु नहीं किया गया है जबकि 14 प्रतिशत कार्य प्रगति पर है. महाराष्ट्र में रसोईघर सह स्टोर के निर्माण का 70 प्रतिशत कार्य शुरु नहीं हुआ है जबकि केरल में 67 प्रतिशत, तमिलनाडु में 22 प्रतिशत, झारखंड में 68 प्रतिशत, हरियाणा में 41 प्रतिशत, कर्नाटक में 32 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 42 प्रतिशत कार्य शुरु नहीं हुआ है.


मध्याह्न भोजन के लिए रसोईघर सह स्टोर के निर्माण कार्य में उत्तरप्रदेश ने 85 प्रतिशत काम पूरा किया है जबकि राजस्थान ने 77 प्रतिशत, मध्यप्रदेश ने 80 प्रतिशत, गुजरात ने 81 प्रतिशत, असम ने 71 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश ने 78 प्रतिशत और पंजाब ने 84 प्रतिशत कार्य पूरा किया है.

रसोई सह स्टोर का निर्माण के कार्य के खर्च मे पूर्वोत्तर राज्य में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी 90-10 होती है जबकि अन्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के संदर्भ में यह 75-25 होती है.मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मंत्रालय के अधिकारियों ने मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता की परख के लिए 2011 में देश के विभिन्न राज्यों में 11 दौरे किये जबकि 2012 में अधिकारियों ने 14 दौरे किये.

2013 में जून माह तक मंत्रालय के अधिकारियों 3 दौरे किये. ढाई वर्ष में मंत्रालय के अधिकारियों ने देश के 81 जिलों का दौरा किया जिसमें दिल्ली के सभी जिले, उत्तरप्रदेश के लखनउ, बदायूं, बरेली, रायबरेली, जालौन, सरस्वती, संत रविदास नगर और अलीगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश के बालघाट, पन्ना, सतना, छिंदवारा और नरसिंहपुर, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, असम, जम्मू कश्मीर और केरल के कुछ जिलों का भी दौरा किया. इन जिलों में बिहार का सारण और सिवान जिला भी शामिल है जहां कुछ दिन पहले मध्याह्न भोजन खाने से 22 बच्चों की मौत हो गई थी.