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क्यों नहीं मिल रही नौकरी: राजभवन

देहरादून। सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षित पदों पर नियुक्तियां न होने को राजभवन ने खासी गंभीरता से लिया। राजभवन की ओर से इन आरक्षित पदों के बारे में पूरा ब्योरा तो तलब किया ही गया है, सरकार से यह भी पूछा गया है कि इन्हें भरने के बारे में क्या तैयारियां चल रही हैं।

सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और जन जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था भारत के संविधान में ही दी गई है। इसके बाद भी अलग-अलग कारणों से ये आरक्षित पद खाली चल रहे हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए सरकारें समय-समय पर खास अभियान भी चलाती रहीं हैं। सूबे की सरकारी सेवाओं में भी एससी-एसटी का बैकलाग बढ़ता जा रहा है।

पिछले दिनों राज्य के दौरे पर आए अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने यहां के हालात की समीक्षा की। आयोग ने पाया कि उत्तराखंड में बैकलाग बढ़ता जा रहा है। आयोग ने सूबे के अफसरों को इस बैकलाग को समाप्त करने के लिए खास निर्देश भी दिए। इसके बाद भी शासन ने इस मुद्दे पर कोई ध्यान नहीं दिया। अब राजभवन ने इस बारे में सरकार से पूछताछ की है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राजभवन से सूबे के मुख्यमंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक को एक खत भेजा गया है। इस खत में एससी-एसटी के लोगों के आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का हवाला भी दिया है। इसमें राजभवन ने जानना चाहा कि कि राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति की नौकरियों की क्या स्थिति है। राजभवन ने यह भी पूछा है कि इनका बैकलाग कितना है और इसकी वजह क्या है। सूत्रों का कहना है कि राजभवन न केवल रिपोर्ट तलब की है, बल्कि सरकार से यह भी जानना चाहा है कि इस बैकलाग को भरने की क्या तैयारियां हैं। इस बैकलाग को कब तक पूरा कर लिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि राजभवन से आए इस खत के बाद अफसरशाही में बेचैनी का आलम है। सारा रिकार्ड खंगाला जा रहा है ताकि राजभवन भेजने के लिए रिपोर्ट तैयार कराई जा सके। सबसे ज्यादा दिक्कत बैकलाग क्यों हैं, के सवाल से खड़ी हो रही है। इसका जवाब तलाशने में अफसरों को पसीने आ रहे हैं।