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खतरे में हिल स्टेशन: क्या जोशीमठ के 'सबक' आ सकते हैं काम?

डाउन टू अर्थ, 3 नवम्बर

मॉनसून 2023 बीत चुका है और हर सीजन की तरह यह मॉनसून हिमालयी राज्यों को नए जख्म दे गया। बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को तो ऐसे जख्म दे गया कि जो कई साल तक सालते रहेंगे। साल 2023 की शुरुआत जोशीमठ आपदा से शुरू हुई थी। जोशीमठ ने देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा।

इसके बाद मॉनसून के दौरान हिमाचल प्रदेश के शिमला, कुल्लू में आई त्रासदी ने एक बार फिर से हिमालयी शहरों में बढ़ती आपदाओं को लेकर सवाल उठने लगे, जिसका जवाब कम से कम सरकारों के पास तो नहीं मिला। लेकिन इन घटनाओं के बाद जोशीमठ भूधंसाव की जांच कर चुकी देश की आठ प्रतिष्ठित संस्थानों की रिपोर्ट ने कई सवालों के जवाब जरूर दे दिए। यह रिपोर्ट लगभग आठ महीने बाद उत्तराखंड सरकार ने सार्वजनिक तब की, जब उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उसे फटकार लगाई थी।

यूं तो जोशीमठ में भूधंसाव की वजह से घरों में दरारों का सिलसिला जुलाई 2022 में ही शुरू हो गया था, लेकिन यह 2-3 जनवरी 2023 की रात को अचानक बहुत तेज हो गया कि कई घर ढहने के कगार पर पहुंच गए। प्रशासन को आनन-फानन में कार्रवाई करनी पड़ी। जिला प्रशासन द्वारा 2 अक्टूबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक शहर के 868 भवनों में दरारें आ चुकी हैं, जिसमें से 181 भवनों को पूरी तरह असुरक्षित घोषित कर दिया गया है।

प्रशासन ने 3 जनवरी को ही जोशीमठ के पास बन रहा हेलंग बाईपास और तपोवन विष्णुगाड़ पनबिजली परियोजना के साथ-साथ जोशीमठ में हर तरह के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया और जांच की जिम्मेवारी देश की नामी आठ संस्थाओं को सौंपी गई। इसके बाद मॉनसून के दौरान हिमाचल प्रदेश में हुई त्रासदी ने एक बार फिर जोशीमठ में मिले जख्मों को हरा कर दिया।

हिमाचल में बारिश से संबंधित घटनाओं में 509 लोगों की मौत हो चुकी है और 5 अक्टूबर तक 39 लोग लापता बताए गए थे। 15,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त होने से हजारों परिवार बेघर हो गए। राज्य के आपातकालीन संचालन केंद्र के अनुसार, राज्य को ₹9,712.50 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है।

हिमाचल प्रदेश में भी शिमला और कुल्लू पर्वतीय शहरों में नुकसान ज्यादा हुआ है, जिसके बाद पर्वतीय शहरों की वहनीय क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) पता करने की मांग उठने लगी। दिलचस्प बात यह है कि हिमाचल प्रदेश में तबाही के बाद उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य में 13 शहरों में वहनीय क्षमता का सर्वेक्षण कराने की बात कही, जबकि उसी सरकार ने जोशीमठ भूधंसाव के बाद भी यही बात कही थी, हालांकि बाद में चुप्पी साध ली।
पूरी रपट- डाउन टू अर्थ