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खरीफ में ग्वार का उत्पादन बढऩे के आसार

अच्छे मानसून से ग्वार की बुवाई को बढ़ावा मिलेगा : कारोबारी

मौजूदा खरीफ सीजन में बेहतर मानसून की संभावना से देश में ग्वार की पैदावार बढऩे के आसार हैं। कारोबारियों का कहना है कि अच्छी बारिश होने से तो ग्वार की पैदावार को बढ़ावा मिलेगा ही, इस साल ग्वार के भाव अच्छे रहने से भी किसानों की दिलचस्पी बढ़ेगी। ग्वार गम की ज्यादातर खपत तेल व गैस उत्खनन में किया जाता है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्वार उत्पादक देश है।

यहां से दुनिया की 80 फीसदी मांग पूरी होती है। तेल व गैस के उत्खनन के दौरान कुंओं में पानी, बालू और केमिकल को गाढ़ा करने में ग्वार गम उपयोगी होता है। अमेरिका ग्वार गम का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है क्योंकि उसके यहां गैस का उत्खनन तेजी से बढ़ा। वह सबसे बड़े गैस आयातक से उभरता हुआ निर्यातक बनता जार हा है।

राजस्थान में देश का 80 फीसदी ग्वार उगाया जाता है। पिछले साल राजस्थान में 20 लाख टन ग्वार का उत्पादन हुआ था। जोधपुर के कारोबारी शिखरचंद डूगर ने बताया कि इस साल ग्वार का रकबा 5 से 10 फीसदी तक बढ़ सकता है। हालांकि अभी पैदावार के बारे में कोई सटीक अनुमान लगाना जल्दबाजी होगा।

उन्होंने भरोसा जताया कि इस साल ग्वार का रकबा निश्चित ही बढ़ेगा क्योंकि ग्वार जैसा रिटर्न किसी अन्य फसल में किसानों को नहीं मिल सकता है। ग्वार से किसानों को नकद फसलों जैसे कपास या दलहन के मुकाबले ज्यादा लाभ मिलता है क्योंकि ग्वार की खेती में कम मजदूर लगते है और उर्वरकों की भी कम जरूरत होती है।

ग्वार से खेतों की उर्वरता को भी बढ़ावा मिलता है। ग्वार की बुवाई मानसून के सीजन में जून व जुलाई माह में की जाती है। इस साल मानसून की सामान्य बारिश होने की भविष्यवाणी की गई है। केरल में मानसून 3 जून को पहुंचने की संभावना है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी-अप्रैल के दौरान भारत से 26,842 करोड़ रुपये (4.78 अरब डॉलर) के मूल्य का ग्वार गम निर्यात किया गया। यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। इस समय राजस्थान की मंडियों में ग्वार का भाव 8750 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।

एक अन्य कारोबारी सुरेंद्र कुमार यादव के अनुसार इस मूल्य पर भी किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है क्योंकि लागत काफी कम आती है। इंडियाबुल्स कमोडिटीज के एसोसिएट वाइस प्रेसीडेंट बदरुद्दीन खान के मुताबिक ग्वार सीड व ग्वार गम के वायदा कारोबार को अनुमति दिए जाने से भी इसकी खेती को बढ़ावा मिलने की संभावना है।