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खामियां बनीं सिरदर्द : हर दिन कमर तक पानी से गुजरते हैं 100 लोग

झाबुआ, ब्यूरो। शहर से 4 किमी दूर गांव नवागांव के तेरू फलिया में पानी की व्यवस्था के लिए कई साल पहले वाटरशेड मिशन से नाले पर बंधन किया गया। दो साल पहले जल संसाधन विभाग ने एक तालाब भी इसके पास बना दिया, लेकिन इस तालाब का वेस्टवियर ऊंचा था। अब फलिए के दोनों ओर से बहने वाले नाले भी तालाब में तब्दील हो गए।

फलिए के लोगों के पास आने-जाने का एक ही रास्ता बचा। ये भी निजी जमीन होने से फसलों के समय खुद तो पैदल निकल सकते हैं, लेकिन मवेशियों को ले जाने की जगह नहीं है। 200 मीटर दूर हैंडपंप के लिए भी रास्ता बंद हो गया। अब बारिश में यहां के लोग कमर तक भरे तालाब को पार कर ये दोनों काम करते हैं। ज्यादा बारिश हो तो मवेशी भूखे रहते हैं और घरों में पीने का पानी नहीं भर पाते। फलिए में तकरीबन 100 लोग रहते हैं।

ऐसे पैदा हुई समस्या

-फलिए के दो तरफ से साफ पानी के नाले बहते हैं। मकान छोटी पहाड़ी पर बने हुए हैं।

-पूर्व में नाले पर बंधन किया गया। इससे एक नाले में घुटनों तक पानी रहने लगा। ये पानी नवंबर-दिसंबर तक रहता था।

-दो साल पहले यहां तालाब बनाया गया। अब गर्मियों तक पानी रहता है। इससे क्षेत्र में सिंचाई का रकबा बढ़ गया।

-अब फलिए के लोगों के रास्ते बंद हो गए। मवेशियों को चराने के लिए एक नाले को पार करना पड़ता है और हैंडपंप से पानी भरने के लिए दूसरी दिशा के नाले को।

-सुबह घर के पुस्र्ष और बच्चे मवेशियों को लेकर कमर तक भरे नाले को पार करके मवेशियों को साथ ले जाते हैं। मवेशी भी बेधड़क पानी में उतर जाते हैं।

-दोपहर में महिलाएं दूसरी दिशा में हैंडपंप से पानी भरने जाती हैं। छोटे कद की महिलाओं के कंध्ो तक पानी आ जाता है। कई बार संतुलन बिगड़ने से सिर पर रखा पात्र गिर जाता है।

'बहुत परेशान हैं साहब हम'

-गांव की गलकुबाई हर दिन पानी भरने जाती हैं। वो कहती हैं, घरों के तीन तरफ पानी भरा है। हम बहुत परेशान हैं। इस मौसम में कोई बीमार पड़ जाए तो उसे सड़क तक ले जाने का रास्ता भी नहीं है।

-गीताबाई हर दिन इस तरह से पानी भरकर थक चुकी हैं। उनका कहना है, सरकार को हमारी समस्या की तरफ ध्यान देना चाहिए।

-रतनोसिंह मवेशियों को चराने ले जाते हैं। उनका कहना है, पानी ज्यादा हो तो मवेशियों को भूखा रखना पड़ता है या घर में रखी फसल खिलाना पड़ जाती है।

-स्थानीय ग्रामीण राजू निनामा ने बताया, हर दिन गांव के लोगों की दिनचर्या देख बड़ा बुरा लगता है। मजबूरी में वो हर दिन जान जोखिम में डाल रहे हैं।

-सरपंच कैलाश डामोर के अनुसार यहां पुलिया बनाने के लिए प्रस्ताव दिया गया, लेकिन कुछ हुआ नहीं।

मुरम से रास्ता बनाएंगे

सीईओ जनपद पंचायत ने जाकर स्थिति देखी है। वहां मुरम डलवाकर एक रास्ता बनवाया जा रहा है। गांव के लोगों को समझाया गया है कि वो पानी में से होकर नहीं गुजरें। -निशीबाला सिंह, एडिशनल सीईओ, जिला पंचायत, झाबुआ