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खुद को जिंदा साबित करने दफ्तरों में भटक रहा किसान

बीना (निप्र)। मालथौन तहसील के हिरनछिपा गांव में पटवारी ने एक किसान को कागजों में मृत घोषित कर उसकी पट्टे की जमीन को दूसरे के नाम कर दी। पटवारी का यह कारनामा उजागर होने के बाद पूरा गांव सन्ना है, वहीं किसान अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए पंचायत से लेकर जनपद, तहसीलदार और एसडीएम के दफ्तर में चक्कर काट काट कर परेशान हो गया है।

इतना ही नहीं प्रशासन ने अपनी गलती सुधारने के बजाए छिपाने के लिए रमू का वोटर लिस्ट से भी नाम काट दिया। उसकी ऋण पुस्तिका भी प्रशासन ने ले ली, और लौटाने से इनकार कर दिया। पीड़ित किसान की शिकायत पर बीना एसडीएम अरुण सिंह ने तहसीलदार को मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं।

हिरनछिपा निवासी रमू पिता उमराव अहिरवार ने बताया कि गांव में हल्का नंबर 18 के खसरा नंबर 323, 305, 306 की जमीन का पट्टा उनके नाम पर हैं। इस जमीन का कुल रकबा 2.20 हेक्टेयर (लगभग 5.5 एकड़) थी। लेकिन पटवारी मोहनलाल नामदेव ने दस्तावेजों में हेरफेर कर खसरा नंबर 323 को छोड़कर शेष जमीन गांव के ही रमुआ अहिरवार के बच्चों कर दी। और खसरा रिकार्ड में उसे फौत (मरा हुआ) दर्ज कर दिया।

रमू ने बताया कि 2011 तक उसका नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज था। 2013 में उसे फौत दर्ज कर दिया गया। इसके बाद उसका नाम वोटर लिस्ट से भी काट दिया गया। पीड़ित ने पटवारी मोहनलाल नामदेव पर कार्रवाई करने और पूरे मामले की जांच किए जाने की मांग की है।

कमिश्नर, कलेक्टर से भी की शिकायत, पर नहीं हुई सुनवाई

रमू का कहना है कि इस संबंध में पिछले साल उसने संभागीय कमिश्नर और कलेक्टर से भी शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कोई मामले को समझने को ही तैयार नहीं हैं। अब तहसीलदार के यहां भी केस चल रहा है, लेकिन कोई निराकरण नहीं हुुआ है।

पंचायत ने कहा जिंदा है रमू

2014 में ग्राम पंचायत ने प्रमाण-पत्र जारी कर रमू पिता उमराव को जीवित बताया हैं। इसके बाद भी रमू का नाम वोटर लिस्ट से काटकर दूसरे लोगों का नाम दर्ज कर दिया गया है। गृह संख्या 139 पर अन्य लोगों के नाम दर्ज हैं।

रमुआ की हुई है मौत

रमू ने बताया कि उसके ही गांव के एक अन्य व्यक्ति रमुआ की कुछ वर्ष पूर्व मौत हुई थी। रमू और रमुआ दोनों के ही पिताओं के नाम उमराव थे। लेकिन पटवारी ने रमुआ को रमू समझते हुए उसे मृत घोषित कर दिया, और उसके नाम की जमीन रमुआ के बच्चों के नाम चढ़ा दी। जिंदा होते हुए भी रमू को सरकारी रिकार्ड में फौत दर्ज कर दिया गया।

नहीं दी भू-ऋण पुतिस्का

18 अगस्त 2009 को जमा की गई जमीन की ऋण पुस्तिका मांगने के लिए कलेक्टर के यहां आवेदन किया था। जिसमें मालथौन तहसील से सिर्फ 323 खसरा नंबर की ऋण पुस्तिका दी गई थी। 305, 306 की भू-ऋण पुस्तिका उसे नहीं दी गई।

करा रहे हैं जांच

किसान को रिकार्ड में फौत बताने के मामले में मालथौन तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में विवाद की सुनवाई के लिए 30 अप्रैल को अगली पेशी की तारीख भी तय की है। अरुण सिंह, एसडीएम, खुरई