Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/गंगा-की-अविरलता-में-निहित-स्वच्छता-उमेश-चतुर्वेदी-12214.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | गंगा की अविरलता में निहित स्वच्छता-- उमेश चतुर्वेदी | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

गंगा की अविरलता में निहित स्वच्छता-- उमेश चतुर्वेदी

गंगा को बचाने के लिए आखिरकार भारत सरकार ने उस सदियों पुरानी सोच को ही अंगीकार कर लिया है, जिसकी साधु-संत और आमजन गंगा सफाई अभियान शुरुआत से मांग करते रहे। यानी गंगा की धारा को अविरल बहने दो। गंगा अगर हजारों हजार साल से मुक्ति क्षमता से लैस रही है तो उसकी वजह उसकी अविरल धारा ही रही है। वैज्ञानिकों का भी मानना है कि गंगा की अगर धारा अविरल रही तो आधी समस्या खुद-ब-खुद सुलझ जाएगी। यही वजह है कि महामना मदनमोहन मालवीय और सुंदर लाल बहुगुणा को बांध रुकवाने का बीड़ा उठाना पड़ा। अब सरकार गंगा ग्राम स्वच्छता अभियान की शुरुआत कर रही है।

 

गंगा पर कुल 52 प्रोजेक्ट या बांध हैं। करीब 2525 किलोमीटर लंबी गंगा पर 23 जलविद्युत परियोजनाएं हैं, जिनमें से 12 चालू हैं। जाहिर है कि इन परियोजनाओं के लिए जगह-जगह गंगा को बांधा गया है। टनकपुर परियोजना से लेकर टिहरी गढ़वाल तक की परियोजनाएं ऐसी हैं, जिन्होंने गंगोत्री से बाहर आते ही गंगा को बांध दिया। इन परियोजनाओं से करीब छह हजार मेगावाट बिजली बनाई जा रही है। इनसे लाखों लोगों को सिंचाई व पीने का पानी और बिजली तो मिली, लेकिन पतित पावनी गंगा का अस्तित्व ही संकट में आ गया। सरकार मानती है कि गंगा पर हर प्रोजेक्ट को मंजूरी तभी ही मिलेगी, जिसमें गंगा की एक मजबूत धारा को अविरल छोड़ना होगा।

 


 
गंगा की बदहाली में 70 फीसदी योगदान अकेले कानपुर, इलाहाबाद और हरिद्वार का ही है। कानपुर की चमड़ा फैक्टरियों की गंदगी और नाले गंगा की कमजोर धारा को थोड़ा तेज तो करते हैं, लेकिन उसे मौत की तरफ तेजी से धकेल देते हैं। इलाहाबाद में देश की सर्वाधिक प्रदूषित नदी यमुना आकर मिलती है। गंगा को साफ करने के लिए केंद्र सरकार ने 20 हजार करोड़ का बजट मंजूर किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान के दौरान कहा था, ‘मुझे गंगा मां ने बुलाया है।' तब उम्मीद जगी कि अब गंगा का गौरव लौटेगा। इसी वजह से गंगा कार्य मंत्रालय को अलग करके नितिन गडकरी को दिया गया। उन्होंने गंगा को साफ करने और उसे वित्तीय रूप से किसानों और किनारे रहने वाले लोगों की जिंदगी से जोड़कर योजनाएं बनाई हैं।

 

 


 
केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्रालय और गंगा कार्य मंत्रालय ने गंगा ग्राम स्वच्छता अभियान शुरू किया है। गंगा के दोनों तरफ के गांवों को जोड़ने की तैयारी है। इसके लिए 24 गांवों को आदर्श गांव के तौर पर चुना गया है। गांवों में पौधरोपण को बढ़ावा देने की तैयारी है। इसके लिए नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार के वन विभाग को भी जोड़ा है, जिसने दो साल में पांच करोड़ पौधे अपने राज्य में लगाए हैं।

 

 


 
इसके जरिए गंगा में गर्मी के दिनों में पानी को रोकने और उन्हें भूजल के रूप में संरक्षित करने का लक्ष्य पूरा करने की तैयारी है। इसके लिए गांवों को प्रेरित किया जाएगा। लेकिन गंगा के किनारे वाले गांवों में खुले में शौच पर रोक अभियान को और तेज करने की योजना है। दूसरी बात यह है कि गंगा के किनारे के गांवों में सिंचाई की अत्याधुनिक व्यवस्था के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने की तैयारी है। इससे बीस प्रतिशत कम पानी सिंचाई में लगेगा, जिससे बाकी बचे पानी का गंगा की अविरलता में इस्तेमाल हो सकता है।

 

 


 
उमा भारती का मानना है कि पचासों साल से गंदगी ढोने का जरिया बनी गंगा को दो-चार साल में साफ नहीं किया जा सकता। इसके लिए दस साल का वक्त मांग रही हैं, जिसे वे चार चरणों में बदलना और अपनी योजनाएं लागू करना चाहेंगी। उन्होंने इस अवधि में गंगा किनारे के फसल चक्र को बदलने, नदी की गाद की समस्या को दूर करने और गंगा में आने वाली सहायक नदियों को साफ करने आदि के साथ ही फसल चक्र के मुताबिक बाजार तैयार करने की योजना पर काम किया जाना है। इसके तहत गंगा किनारे के गांवों के तालाबों-पोखरों को साफ करने और उन्हें बारिश के दिनों में भरने की योजना भी बनाई जा रही है।

 

 


 
दरअसल, गंगा ग्राम स्वच्छता योजना पर करीब एक हजार करोड़ का खर्च है। लेकिन सरकार इस खर्च को खुद उठाने की बजाय निजी उद्यमियों और आम लोगों के सहयोग से इसे पूरा करना चाहती है। हरिद्वार के घाटों को सजाने और वहां के गंदा पानी को रोकने के लिए प्रसिद्ध उद्योगपति हिंदुजा बंधुओं ने हामी भरी है, वहीं पटना के किनारे गंगा को सजाने के लिए वेदांता के प्रोमोटर अनिल अग्रवाल और कुछ जगहों को सजाने के लिए एचसीएल के प्रोमोटर शिव नाडर ने हामी भरी है। इसके साथ ही देश के एक करोड़ लोगों से रकम जुटाने की तैयारी की जा रही है। जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक लाख रुपये या एक महीने की उनकी तनख्वाह लेकर की जाएगी। गडकरी का कहना है कि आम लोग भी एक रुपये से लेकर ज्यादा से ज्यादा पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर कर सकते हैं। गडकरी का तर्क है कि पैसे से ज्यादा अगर लोग खुद जुड़ेंगे तो वे गंगा को लेकर चिंतित रहेंगे।