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गंगा की धारा क्या बदली बिगड़ गए रिश्ते!

आरा। गंगा की धारा बदलने से भोजपुर जिले के बड़हरा व शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के दो दर्जन गांवों की करीब 15 हजार एकड़ जमीन बिहार-यूपी सीमा विवाद में जा फंसी है। आजिज किसानों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगाई तो उन्होंने जिलाधिकारी डा. सफीना ए.एन से बलिया के डीएम के साथ बैठकर समस्या का समाधान कराने का आश्वासन दिया है।

एक दशक पूर्व राज्य सरकार के निर्देश पर भूमि विवाद निबटाने को भोजपुर एवं बलिया के जिलाधिकारियों की दो बार बैठक हुई, पर कोई हल नहीं निकल सका। जमीन पर वर्चस्व की जंग में अब तक भोजपुर जिले के तीन दर्जन लोगों की हत्या हो चुकी है। जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रत्येक वर्ष रबी फसल की बुआई एवं कटनी के वक्त तनाव के मद्देनजर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में सशस्त्र बल तैनात किया जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के दबंग किसान फसल काट लेते है। कृषक नेता भाई ब्रह्मेश्वर, शालीग्राम दुबे, रामईश्वर सिंह बताते है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय से भी भोजपुर जनपद के किसानों की जीत हुई, पर उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला नहीं माना। बता दें कि सन् 1882 में गंगा की धारा में परिवर्तन के बाद कटाव में भोजपुर जनपद के दर्जनभर गांवों की 45 हजार आबादी तीन बार विस्थापित हो चुकी है। सीमा विवाद गहराते देख केन्द्र सरकार ने 1970-71 में त्रिवेदी आयोग का गठन कर सीमांकन का आदेश दिया था। आयोग ने गंगा की धारा को मानकर सीमांकन किया परंतु विवाद खत्म नहीं हुआ। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के भोजपुर जनपद की जमीन यूपी में चली गई तो वहां की सरकार राजस्व लेगी, किन्तु स्वामित्व यहां के कृषकों का होगा। इसी तरह की शर्त वहां के कृषकों के लिए भी रखी गयी। कृषकों के अनुसार बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के महुली घाट, मौजमपुर, ख्वासपुर, सलेमपुर, पीपरपांती, त्रिभुवानी, सोहरा, सलेमपुर, सिन्हा, बलुआ, केवटिया, पदमिनिया, मौजमपुर, हेतमपुर, केवटिया, पंडितपुर समेत कई गांवों की खेती योग्य भूमि सीमा विवाद में फंसी है। इसी तरह से शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के नैनीजोर, सोनवर्षा, कारनामेपुर समेत आधा दर्जन गांवों की जमीन पर विवाद है।

बड़हरा के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहते हैं कि बिहार-यूपी सीमा विवाद का हल निकालने के लिए राष्ट्रीय सहमति जरूरी है। केन्द्रीय स्तर पर वार्ता का आयोजन हो और उसमें बिहार एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा कृषक प्रतिनिधि भाग लेंगे तभी समस्या का हल संभव है। जबकि शाहपुर की विधायक मुनी देवी कहती हैं कि बिहार-यूपी सीमा विवाद का अब तक हल नहीं होने के पीछे केन्द्र सरकार जिम्मेदार है।