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गतिरोध कायम, हजारे नहीं चाहते अध्यक्ष पद

नई दिल्ली। लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर संयुक्त समिति गठित करने की माग कर रहे भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच गुरुवार को दो दौर की वार्ता बेनतीजा रही। दोनों पक्षों के बीच जहा गतिरोध बरकरार है, वहीं आमरण अनशन पर बैठे अण्णा हजारे ने इस बात से इंकार किया है कि उन्हें संयुक्त समिति का अध्यक्ष पद चाहिए।

गाधीवादी विचारक हजारे का आमरण अनशन आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गया और राष्ट्रीय राजधानी स्थित जंतर मंतर पर उनके साथ अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे नागरिकों की संख्या बढ़कर 227 हो गई।

सरकार द्वारा संवाद की पहल के बाद केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश और अरविंद केजरीवाल से दो दौर की वार्ता हुई। बातचीत बेनतीजा रहने के बाद सिब्बल ने कहा कि सरकार हजारे को लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए प्रस्तावित संयुक्त समिति का अध्यक्ष बनाने पर राजी नहीं है। वहीं, हजारे ने पुरजोर खडन करते हुए अपने कार्यकर्ताओं के बीच ऐलान किया, 'मुझे अध्यक्ष पद नहीं चाहिए।'

सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि हमारी दो दौर की बातचीत हुई। हम लगभग सभी मुद्दों पर सहमत हो गए लेकिन हममें दो मुद्दों पर रजामंदी नहीं हैं। पहला, संयुक्त समिति के गठन के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी करना और दूसरा, समिति का अध्यक्ष हजारे को बनाना। हम कल फिर बैठक करेंगे ताकि आगे बढ़ने की प्रक्रिया निर्धारित कर सकें। इस पर हजारे ने कहा कि मैं संयुक्त समिति का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। अगर मैं अध्यक्ष बना तो कहा जाएगा कि मैं इस पद के लिए आमरण अनशन कर रहा हूं। मैं बता देना चाहता हूं कि मैं ताउम्र कहीं भी और किसी भी संस्था का सामान्य पदाधिकारी तक नहीं रहा।

हजारे ने स्पष्ट किया कि उनके समर्थकों की इच्छा थी कि वह संयुक्त समिति के अध्यक्ष बनें। लेकिन वह खुद ऐसा नहीं चाहते। हालाकि, 71 वर्षीय गाधीवादी ने कहा कि मैं समिति में सलाहकार या सदस्य की हैसियत से रहना चाहता हूं ताकि विधेयक का मसौदा तैयार होने की प्रक्रिया में जनहित का ध्यान रख सकूं।

सरकार ने कहा है कि वह समिति का 13 मई के बाद गठन करने को राजी है और संसद के मानसून सत्र में इस विधेयक को लाया जा सकता है। प्रस्तावित समिति में पाच सदस्य सरकार की ओर से और पाच नागरिक समाज से होंगे।

वार्ता का हिस्सा रहे स्वामी अग्निवेश ने कहा कि बातचीत कुछ आगे बढ़ी है और इसमें कल के बाद से प्रगति हुई है। हमें उम्मीद है कि कल सरकार हमारी मांगें मान लेगी। हम समिति के लिए अधिसूचना चाहते हैं। वार्ता के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक बातचीत के दौरान दावा किया कि केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने हमसे कहा कि वह मीडिया में समिति के गठन की घोषणा कर देंगे। हम इस पर राजी नहीं हैं। गंभीर मुद्दों पर किसी संवाददाता सम्मेलन में समिति गठित करना कोई उचित तरीका नहीं है। इसके लिए अधिसूचना जारी होनी चाहिए। हमने सरकार को ऐसे कई पूर्व उदाहरण बताए जिनमें अधिसूचना के जरिए समितिया गठित हुई।

संयुक्त समिति के अध्यक्ष पद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हजारे अध्यक्ष पद नहीं चाहते थे लेकिन उनके समर्थक ऐसा चाहते थे। उनके इंकार के बाद अब अगर सरकार संयुक्त समिति के अध्यक्ष पद पर सुप्रीम कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति करती है तो यह हमें मंजूर होगा। उन्होंने कहा, 'लेकिन हम नहीं चाहते कि कोई केंद्रीय मंत्री इस समिति का अध्यक्ष बने।'

केजरीवाल ने कहा कि हजारे की अगुवाई में हो रहे आदोलन पर यह भी आरोप लगे हैं कि हम न्यायपालिका के समानातर व्यवस्था खड़ी करना चाहते हैं, जबकि वास्तव में हमारे मसौदा विधेयक में कहा गया है कि लोकपाल के अधीन जाच विभाग और अभियोजन विभाग बनाया जाए। जाच विभाग की तफ्तीश से संतुष्ट होने के बाद ही लोकपाल अभियोजन की मंजूरी दे और फिर अभियोजन अदालत में चले। उन्होंने कहा कि हम ए भी नहीं चाहते कि लोकपाल के चयन के लिए अगर कोई छानबीन समिति बनाई जाती है तो उसमें मैगसायसाय पुरस्कार सम्मानितों को शामिल किया जाए। हमारे मसौदा विधेयक में इस बात का जिक्र नहीं है। असल में पूर्व चुनाव आयुक्त जे. एम लिंगदोह ने सुझाया था कि छानबीन समिति में मैगसायसाय या भारत रत्न से सम्मानित लोगों को शामिल किया जाए।

केजरीवाल ने कहा कि इस विधेयक के 12 बार मसौदे तैयार हो चुके हैं। हम इस बात पर नहीं अड़े हैं कि हमारे ही मसौदे को सरकार माने। अगर सुझाव आते हैं तो हम उसे निश्चित तौर पर मानेंगे। हमारी माग संयुक्त समिति के गठन की है, जिसमें आम सहमति से विधेयक का मसौदा तैयार किया जाए।