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गया में मस्तिष्क ज्वर ने ली 27 बच्चों की जान

गया/ पटना। सूबे के मगध प्रमंडल में मस्तिष्क ज्वर का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। हर जिले में मस्तिष्क ज्वर के दर्जनों मरीज मिले हैं। पिछले 50 दिनों में इस मर्ज ने 27 बच्चों की जान ले ली है। इसकी चपेट में ज्यादातर 15 वर्ष की आयु वर्ग के नीचे के बच्चे हैं। गंभीर स्थिति को देख सरकार सतर्क हो गयी है। स्वास्थ्य मंत्री नंदकिशोर यादव ने डाक्टरों की एक टीम तुरंत गया भेजने का आदेश दिया है। गया अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज अस्पताल में इस समय पांच दर्जन बच्चे भर्ती हैं। यहां पिछले 50 दिनों में शिशु वार्ड के बेड पर बेहोशी की अवस्था में 27 बच्चों ने दम तोड़ा और अभी भी 21 बच्चे बेहोशी अवस्था में जीवन-मौत से जूझ रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री श्री यादव ने कहा कि निदेशक प्रमुख डाक्टरों की एक टीम गठित कर तुरंत मगध प्रमंडल भेजेंगे। टीम अपने साथ आवश्यक दवाएं भी ले जाएगी ताकि वहां किसी प्रकार की दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि टीम इस बीमारी के फैलने के कारणों की भी जांच करेगी ताकि सही इलाज करने एवं इस समस्या का स्थायी निदान हो सके। मगध प्रमंडल में एक साल पूर्व भी मस्तिष्क ज्वर के कहर से दर्जनों बच्चों की मौत हो गयी थी। अभी प्रमंडल के गया, जहानाबाद, नवादा, अरवल एवं औरंगाबाद जिलों में मस्तिष्क ज्वर अपने पैर फैला चुका है। इसकी रोकथाम को स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व में कोई तैयारी नहीं की थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि कई बच्चों की जान गंवाकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी। विभाग ने गत वर्ष की गलती से सबक लिया होता तो शायद 27 नौनिहालों को बचाया जा सकता था। अस्पताल में इलाज के नाम पर स्लाइन और कुछ एंटीबायटिक दी जा रही है। शिशु वार्ड में चेरकी बगाही की मनीषा, टनकुप्पा स्थित उतरीबारा के दिलीप कुमार, मानपुर शिखर कीबबीता कुमारी आदि मरीज बेहोशी की अवस्था में पड़े हैं। इन बच्चों से उनके परिजन बात तक नहीं कर पा रहे हैं। परिजनों का कहना है कि कई दिनों से बच्चे बेड पर पड़े हैं। जिन्हें केवल अस्पताल के चिकित्सक नियमित ड्यूटी की तरह इलाज कर रहे हैं। जबकि यह मस्तिष्क ज्वर आपात बीमारी में आती है। इसके बावजूद इन्हें अस्पताल में विशेष सुविधा नहीं मिल रही है। अपने बच्चे की वेदना कहते वक्त अभिभावक फफक कर रो पड़ते हैं। ऐसे लोग अपनी गरीबी व लाचारी का हवाला देकर कहते हैं कि - पैसे नहीं हैं इलाज कराने के लिए, कहां जाएं? जो होना होगा वह यहीं होगा। अब तो वश ईश्वर का ही सहारा है।

अस्पताल के मस्तिष्क ज्वर के प्रभारी डा. नारायण उराव का कहना है कि प्रमंडल के कई जिले से मरीज बेहोशी की अवस्था व तेज बुखार से पीड़ित होने पर मेडिकल कालेज पहुंचते हैं। तब तक बहुत देर हो जाती है। यहां जो सुविधाएं उपलब्ध हैं उससे मरीज का इलाज किया जा रहा है। दो माह में अब तक 27 बच्चों की मौत मस्तिष्क ज्वर से हो गयी है। अभी भी 18 बच्चे शिशु वार्ड में भर्ती हैं। चिकित्सकों द्वारा भर्ती बच्चों को अंतिम क्षण तक बचाने का प्रयास किया जाता है।

इनसेट :मच्छर काटने से फैलता मस्तिष्क ज्वर

गया, नगर प्रतिनिधि: सिविल सर्जन डा.के.के. सिंह ने कहा कि मस्तिष्क ज्वर फैलने का प्रमुख कारण बिना मच्छरदानी के सोना है। जिन लोगों ने इसका उपयोग नहीं किया ऐसे बच्चे मस्तिष्क ज्वर के शिकार हो गये या फिर हो जायेंगे। 15 वर्ष के नीचे के बच्चे इसका प्रमुख शिकार होते हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने बिहार राज्य में मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम के लिए केवल गया जिले को चुना है। इस बीमारी को रोकने के लिए सरकार ने गया जिला को 3 लाख वायल देने का निर्णय लिया है। जो फिलहाल कोलकाता में पड़ा हुआ है। वायल आने के बाद नवम्बर माह में जिले के 15 आयु वर्ग के बच्चे को मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम के लिए टीका लगाया जायेगा।