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गरीबों के घर पर चस्पा होगा गरीबी का पर्चा!- शशिकांत त्रिवेदी

मध्य प्रदेश सरकार राज्य के हर गरीब के घर के बाहर एक पर्चा लगवाने की योजना बना रही है जिसमें यह बताया जाएगा कि यह घर किसी गरीब का है।

बताया जा रहा है कि इस काम के लिए जल्द ही सरकार विस्तृत योजना तैयार करने वाली है। गरीबों के लिए काम करने वाला कोई भी गैर सरकारी संगठन अभी तक औपचारिक तौर पर इस सरकारी योजना के खिलाफ नहीं आया है। हालांकि, विशेषज्ञों ने इस फैसले से असहमति जताई है।

गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों (बीपीएल) की सूची में गलत तरीके से करवाए जा रहे पंजीयन को रोकने में नाकाम रहने के बाद अधिकारियों ने नरसिंहपुर जिले में बीपीएल परिवारों की पहचान सार्वजनिक करने का प्रयोग किया था।

अधिकारियों का दावा है कि यह प्रयोग सफल रहा है। इससे उत्साहित होकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना को राज्य के दूसरे हिस्सों में भी लागू करने का फैसला किया है।

प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता दीप जोशी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'गरीबों के लिए कुछ करने का यह नकारात्मक तरीका है। यह कई तरह से दुखद भी है। आखिर भ्रष्टाचार मुक्त समाज सुनिश्चित करने का बोझ गरीबों को ही क्यों उठाना चाहिए? सरकार को इससे निपटने का कोई और रास्ता तलाशना चाहिए न कि इसे गरीबों के मत्थे मढ़ देना चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'कई बेशर्म गैर-गरीब परिवार भी अपने घर के बाहर गरीबी की तख्ती लगा लेंगे ताकि वे बीपीएल परिवारों को मिलने वाले सुविधाओं का लाभ ले सकें। यह कोई समाधान नहीं है।' मुख्यमंत्री ने भी बीपीएल सूची तैयार करने में भ्रष्टाचार को स्वीकार किया है। जिनके पास कार और जमीन हैं, उनमें से भी कई लोगों ने अपना नाम बीपीएल सूची में दर्ज करवा लिया है।

उन्होंने कहा, 'बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवारों के घर के बाहर हम कोई पर्चा या तख्ती लगाएंगे जिसमें उस परिवार की गरीबी का उल्लेख होगा।' योजना आयोग के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश की 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने को मजबूर है।

भोपाल के गैस प्रभावित इलाके में रहने वाले ज्यादातर लोग गरीब हैं। इस इलाके में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सचिनाथ षडंगी कहते हैं, 'मूलत: यह गरीबों के लिए नुकसानदेह है। लोग इसलिए गरीब नहीं हैं कि वे गरीब ही रहना चाहते हैं।

सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बीपीएल सूची के दुरुपयोग को रोकने में नाकाम रही है। सरकारी मशीनरी उन लोगों से अच्छी तरह वाकिफ है जो गलत तरीके से अपना नाम इस सूची में शामिल करवा रहे हैं। इस तरह के भ्रष्ट आचरण का समाधान यह सरकारी कदम नहीं है।'