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गर्म होती दुनिया के डूबते हुए द्वीप- ज्ञानेन्द्र रावत

आज दुनिया के बहुतेरे द्वीपों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण समुद्र का बढ़ता जलस्तर है। यह आशंका बलवती हो रही है कि एक दिन मॉरीशस, लक्षद्वीप व अंडमान द्वीपसमूह ही नहीं, श्रीलंका व बांग्लादेश जैसे मुल्कों का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। एक आकलन के अनुसार, पूरी दुनिया में 2.5 करोड़ लोग द्वीपों के डूबने के कारण विस्थापित हुए हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण मालदीव ने आबादी को नई जगह बसाने की योजना बनाई है और इसके लिए जमीन खरीदने पर भी विचार हो रहा है। अभी तक समुद्र के जलस्तर बढम्ने से दुनिया में 18 द्वीप जलमग्न हो चुके हैं।

अपने देश में ही 54 द्वीपों के समूह सुंदरवन पर खतरा मंडरा रहा है। पिछले आम चुनाव में पश्चिम बंगाल के सुंदरवन के मतदाताओं के लिए द्वीपों के डूबने का खतरा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना था। सुंदरवन खास तौर से बाढ़, तूफान, लवणता और कटाव की बढ़ती समस्याओं से प्रभावित रहा है। यहां पिछले 30 सालों में कटाव के चलते 7,000 लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा है। इसके अलावा 10,000 की आबादी वाला भारत का लोहाचार द्वीप 1996 में ही बरबाद हो गया था। बीते 25 साल में बंगाल की खाड़ी में स्थित घोडममारा द्वीप नौ वर्गकिलोमीटर से घटकर 4.7 वर्ग किलोमीटर रह गया है।

यही नहीं, आकलैंड, न्यूजीलैंड प्रशांत द्वीप क्षेत्र में स्थित 10 लाख की आबादी वाला किरिबाती द्वीप भी संकट में हैं। समुद्र का पानी दक्षिण प्रशांत क्षेत्र के इस द्वीप को पाट सकता है। किरिबाती का उच्चतम बिंदु समुद्र तल से केवल दो मीटर अधिक है। अभी किरिबाती के लोगों को 6,000 एकड़ जमीन खरीदकर फिजी में बसाने की योजना पर काम चल रहा है। असम में ब्रह्मपुत्र नदी के बीचोबीच स्थित दुनिया का सबसे बड़ी नदी द्वीप माजुली बाढ़ और भूमि कटाव के कारण खतरे में है। इसका क्षेत्रफल 1,278 वर्ग किलोमीटर से घटकर केवल 557 वर्ग किलोमीटर रह गया है। इसके 23 गांवों में करीब डेढ़ लाख लोग रहते हैं। 2009 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यहां के लोगों से वादा किया था कि वह माजुली को विश्व विरासत का दर्जा दिलाएगी। हालांकि यूनेस्को ने विश्व धरोहर के प्रस्ताव को रद्द कर दिया।

वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त की है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग के चलते समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी की यही रफ्तार रही, तो 2020 तक 14 द्वीप पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि समुद्र के बढ़ते जलस्तर से छोटे-छोटे द्वीपों पर रहने वाले करीब दो करोड़ लोग साल 2050 तक विस्थापित हो चुके होंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि 21वीं सदी के अंत तक समुद्र के जलस्तर में एक मीटर की बढ़ोतरी होगी। यानी ग्लोबल वार्मिग को लेकर अगर हम अब भी नहीं चेते, तो बहुत सारे द्वीपों, सभ्यताओं और संस्कृतियों से हाथ धो बैठेंगे।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)