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गांव में लगी अदालत, पंच-सरपंच को दी अनोखी सजा

महासमुंद.मनरेगा में मनमानी करने पर गांव की अदालत ने मामा-भांचा के सरपंच घनश्याम साहू पर 5000 रुपए और इसमें सहयोग करने वाले 13 पंचों को नारियल और गुड़ से दंडित कर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मिसाल कायम किया है। 

 

जानकारी के मुताबिक मामा-भांचा और डोंगरीपाली में 12 लाख की लागत के निर्माण कार्यो में सरपंच और पंचों ने अपने-अपने लोगों को लाभ पहुंचाया। इससे ग्रामीण खफा थे। ग्रामीणों ने सोमवार को गांव की अदालत बुलाई जिसमें एक हजार से भी अधिक लोग मौजूद थे।

 

सुनवाई के दौरान उनपर लगाए गए आरोपों को सही पाया गया। इस मौके पर मौजूद दोनों गांव के प्रमुख मन्नूलाल साहू, विजय दीवान, खेम प्रसाद पटेल, मोहनलाल साहू, मोरध्वज ध्रुव, नरसिंह साहू, घासीराम साहू, राधेलाल साहू और मेहतर साहू आदि बताया कि पंचायत के किसी भी काम में पूरे पंचायत के लोगों को काम करने का अधिकार है, लेकिन सरपंच और पंचों ने जानबूझ कर मामा-भांचा के काम में डोंगरीपाली के लोगों को रोजगार से वंचित कर दिया और डोंगरीपाली के काम में मामा-भांचा के लोगों को दोगुना लाभ पहुंचाने का काम किया है।

 

सजा नहीं रास्ता दिखाना है उद्देश्यग्रामीणों ने बताया कि इस ग्रामीण व्यवस्था में सभी को चलना है, चाहे वह पंच हो चाहे सरपंच। प्राप्त अर्थदंड की राशि गांव के ही विकास में लगाई जाती है। नारियल गुड़ की सजा ग्रामीण परंपरा है। इसके तहत आरोपी को सही रास्ते पर चलने का संदेश दिया जाता है।

 

इनको मिली सजा-उप सरपंच टिकेश्वर साहू, पंच दुक्खुराम ध्रुव, दीनदयाल कन्नौजे, खुग्गी महानंद, पलाबाई साहू, कुंवरबाई पटेल, निर्मला ध्रुव, ललिता दीवान, नील सिंह सोरी, केवलराम साहू, टीकम सिंह ध्रुव, देवपति साहू, दयाबाई साहू व देवबति साहू

 

हस्तक्षेप से परेशान हूं

 

पंचायत के काम में अनावश्यक हस्तक्षेप से परेशान हो गया हूं। ग्रामीणों के निर्णय के अनुसार ही दोनों गांव में काम शुरू करवाया था, लेकिन बाद में कुछ ग्रामीणों ने मुझे फंसा दिया और भरी सभा में मुझे जबरिया हाथ जोड़कर माफी मंगवाया गया। सजा स्वीकार नहीं करता तो हाथापाई की नौबत आ जाती।

 

- घनश्याम साहू,सरपंच, मामा-भांचा