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गांवों की तसवीर बदलने की पहल- अंजनी कुमार सिंह

ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के विकास के बाद केंद्र सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए अब ग्रामीण परिवहन योजना के विस्तार की दिशा में काम कर रही है. इसका नाम प्रधानमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना है. योजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सुविधा को बेहतर कर रोजगार के नये अवसर पैदा करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे में कृषि व ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता देना है.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआत में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 1400 करोड़ रुपये के खर्च पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और उत्तर-पूर्व राज्यों के 20 क्षेत्रों में शुरू किया गया है. इसकी सफलता के बाद इसे देश भर में लागू किया जायेगा. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों के ओवर लोडिंग पर रोक लगाने के साथ ही इसे सुरक्षित बनाने और फंडिग के नये तरीके पर विशेष ध्यान दिया जायेगा.

केंद्र व राज्य सरकार प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सस्ते, सुरक्षित और संगठित सार्वजनिक परिवहन सेवा बनाने की कोशिश करेंगे. सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की तकदीर को बदला जा सकता है. प्रधानमंत्री शुरू से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नये अवसरों के निर्माण की बात कहते रहे हैं.

सचिवों की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि सरकार के बजटीय प्रावधानों के फोकस में रोजगार निर्माण को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. इसी को ध्यान में रखते हुए बजट में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए आवंटन में बढ़ोतरी की गयी और अगले कुछ सालों में इसमें 50 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है. इस योजना में किसी प्रकार की वित्तीय समस्या ना हो इसके लिए निजी क्षेत्रों से भी सहयोग लिया जायेगा.

क्या होंगे फायदे : सरकार की इस योजना से ग्रामीण क्षेत्र के लोग

परिवहन के लिए 40 फीसदी कम कीमत में वाहन खरीद सकते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन के काम आनेवाले वाहनों की कीमत 2.5-4.5 लाख के बीच है. सरकार इसपर 40 फीसदी सब्सिडी देगी यानि की इसकी कीमत लगभग आधी हो जायेगी.

योजना के तहत महिलाओं के स्वयं सहायता समूह और गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले, दलितों और आदिवासियों को प्राथमिकता दी जायेगी. केंद्र सरकार इस योजना के दिशा-निर्देश और नियम बनायेगी, जबकि क्रियान्वयन की जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी. केंद्र द्वारा 40 फीसदी सब्सिडी देने से इन वाहनों को चलाने में प्रति किलोमीटर एक रुपये का खर्च आने का अनुमान लगाया जा रहा है. केंद्र सरकार ऐसे वाहनों की खरीद आधार योजना के तहत वाहन खरीदने के बाद सीधे लाभार्थियों के खाते में जमा करेगी. युवा वाहन के लिए बैंकों से लोन ले सकते हैं.

11 वाहनों का चयन : सरकार की कोशिश है कि ग्रामीण परिवहन क्षेत्र को संगठित बनाया जाये और इसके लिए 11 वाहनों का चयन किया गया है इसमें मारुति इक्को, महिंद्रा मैक्सिको, सुप्रो, टाटा मैजिक शामिल है. इसमें ई-रिक्शा को भी शामिल किया गया है.

स्थानीय जरूरत के हिसाब से वाहन मालिक इसका चयन कर सकते हैं. सरकार का कहना है कि अभी तक सिर्फ शहरी क्षेत्रों में परिवहन सुविधा देने पर जोर दिया जाता रहा है, लेकिन पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजटीय भाषण में कहा था कि सरकार इसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करेगी और परिवहन क्षेत्र को यात्री क्षेत्र के लिए भी खोलेगी.

कौशल विकास को तरजीह: मालूम हो कि सरकार हर साल ग्रामीण सड़कों के विकास पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है, लेकिन इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास को तरजीह देने की पहल की जायेगी, ताकि आजीविका के लिए मनरेगा एक मात्र विकल्प नहीं रहे.

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 2015-16 में 36000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया और 2016-17 में 48 हजार किलोमीटर का लक्ष्य रखा गया है. सड़कों के इस नेटवर्क के बेहतर इस्तेमाल के लिए ही सरकार इस योजना को तीव्र गति से आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है. इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर परिवहन व्यवस्था मिलने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधा भी मिलेगी.