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गृहणियों ने उठाया पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा

जमुई। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कुछ कर गुजरने की तमन्ना से लवरेज जमुई की सैकड़ों महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण का अब बीड़ा उठाया है। यकीनन ये महिलाएं कुशल गृहणी के साथ-साथ सफल पर्यावरण संरक्षक दूत भी साबित हो रही है। परिणाम स्वरूप जमुई वन क्षेत्र में हरियाली में बढ़ोतरी हुई है और कई मौके पर जिले ने सूबे का मान बढ़ाया है। इन वन समिति की सदस्य महिलाओं ने जमुई वन क्षेत्र के 62 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र के 86 प्रतिशत वनों के संरक्षण का बीड़ा उठाया है। 135 वन समिति की 850 महिला सदस्यों में से 16 महिलाएं समिति की अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनी गयी हैं जो वनों के संरक्षण , सम्ब‌र्द्धन तथा सुरक्षा में जुटी हैं। राष्ट्रीय वन नीति 1988 के तहत ग्रामीणों की वनों पर से निर्भरता कम करने तथा जन सहयोग से वनों का सम्ब‌र्द्धन करने के उद्देश्य से सात दिसम्बर 2000 से जिले में वन समितियों का गठन शुरू किया गया जिसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रत्येक समिति में कम से कम छह महिला सदस्य बनाना अनिवार्य किया गया। जिस कारण पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी बढ़ी और 850 महिलाएं पर्यावरण संरक्षण का अंग बन गयी है। वहीं जलखरिया वन समिति की उपाध्यक्ष करमावति देवी, मझियानी की चिंता देवी, वनजामा की लथनी देवी, सहिया की सुनीता देवी, कठियाटांड़ की कविता देवी, मथुरापुर की सुनैना देवी, सरोजा देवी, दीप मारिया तथा लक्ष्मी भारती सहित अन्य वन समिति सदस्य महिलाओं ने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए वन भूमि सर्वे, नये पौध लगाने , वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने तथा आमलोगों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से कार्य करने में जुटी हैं। इन महिलाओं ने बताया कि वन समिति की नियमित बैठक में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कार्य योजना तैयार की जाती है। जिसे जमुई वन प्रमंडल को स्वीकृति हेतु भेजा जाता है। साथ ही समिति सदस्यों द्वारा समस्याओं के समाधान पर चर्चा भी की जाती है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी की सराहना करते हुए जमुई वन प्रमंडल पदाधिकारी डा. के गणेश ने बताया कि वन समितियों को वन विभाग द्वारा तकनीकी सहयोग तथा केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वन समिति की महिला सदस्यों की पहल से जिले में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आ रही हैं जो एक सकारात्मक कदम है। फिलवक्त जिले की इन महिलाओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण का दायित्व समझे जाने से एक नई पहल की शुरुआत हुई है जो आगे चलकर मील का पत्थर साबित होगी।