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गेहूं के समर्थन मूल्य की राह में महंगाई का रोड़ा

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। पहले मानसून ने मारा, अब न्यूनतम समर्थन मूल्य [एमएसपी] के जरिए सरकार किसानों को मार रही है। धान पर मिले कम बोनस के बाद गेहूं पर भी बहुत ज्यादा एमएसपी की उम्मीद नहीं है। सरकार जल्दी ही इसके समर्थन मूल्य की घोषणा कर सकती है। पिछले रबी सीजन में गेहूं का एमएसपी 1080 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था।

आमतौर पर बुवाई शुरू होने से पहले अक्तूबर में ही गेहूं के एमएसपी की घोषणा होती रही है, लेकिन इस बार देरी हो रही है। गेहूं की कीमत क्या रखी जाए, इसे लेकर अभी सरकार में एक राय नहीं बन पाई है। इसके बावजूद एमएसपी में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि गेहूं का एमएसपी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ाने के पीछे तर्क यह है कि इससे महंगाई और बढ़ेगी। इसी तर्क को धान का एमएसपी तय करते वक्त आधार बनाया गया था। इसीलिए धान के समर्थन मूल्य पर बोनस की भारी मांग को दरकिनार करते हुए सरकार ने सिर्फ 50 रुपये प्रति क्िवटल की वृद्धि की है। मूल्य निर्धारण से जुड़े सूत्र के मुताबिक गेहूं के एमएसपी में अधिकतम 50 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है। मगर इसमें भी सरकार अपने हाथ खींच सकती है।

पिछले साल अच्छा मूल्य तय हुआ तो किसानों ने जमकर बुवाई की और गेहूं की बंपर पैदावार की। गेहूं की रिकार्ड सरकारी खरीद हुई, जिससे सरकारी गोदाम भरे पड़े हैं। यही वजह है कि देश का आधा हिस्सा भीषण सूखे की चपेट में था, फिर भी खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा नहीं हुआ।

चालू सीजन में गेहूं का रकबा घटने की आशंका पहले से ही है, जिसका जिक्र रबी अभियान के दौरान किया गया है। ऊपर से चालू सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी अगर 1100 से 1130 रुपये प्रति क्िवटल तक तय हुआ तो यह किसानों के मनोबल को और गिराएगा। वैसे भी इस बार सूखे के चलते खरीफ फसलों की खेती देर से की गई है। जबकि सरकार चाहती है गेहूं की बुवाई पहले शुरू हो जाए। लेकिन किसान बुवाई शुरू करने से पहले एमएसपी की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। गेहूं की बुवाई 15 नवंबर से जोर पकड़ेगी।

समर्थन मूल्य में वृद्धि न होने के पीछे जो तर्क दिए जा रहे हैं, उनमें सरकारी गोदामों में गेहूं के भारी स्टाक का होना भी शामिल है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय जिंस बाजार में गेहूं का मूल्य निचले स्तर पर चल रहा है। गेहूं का अंतरराष्ट्रीय स्टाक भी 66.2 करोड़ टन हो गया है। जिंस बाजार की नजर भारत के रबी सीजन में गेहूं की बुवाई पर टिकी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें फिलहाल 180 से 220 डालर प्रति टन तक लुढ़क गई हैं।