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घर-घर जाकर टीके लगाने पर रोक

जयपुर। प्रदेश में टीकाकरण के तहत अब घर-घर जाकर टीके नहीं लगाए जाएंगे। इसके लिए एक निश्चित स्थान पर माइक्रो प्लान के तहत बच्चों, गर्भवती महिलाओं को टीके लगेंगे। नागौर में टीकाकरण के बाद दो बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग ने प्रदेशभर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को गुरुवार को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है ये आदेश किसी परिस्थितिवश घर से नहीं निकलने वाली महिलाओं और उनके शिशुओं की जिंदगी के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। घर-घर जाकर टीकाकरण नहीं होने के कारण पहले से लक्ष्य में पिछड़ रहे कई जिलों के लिए और परेशानी खड़ी हो जाएगी।

उधर, विभाग का मानना है कि टीकाकरण एक निश्चित स्थान पर ही किया जाना चाहिए जिससे वैक्सीन कैरियर का तापमान एक निर्धारित मात्रा में बना रहे और उसकी गुणवत्ता प्रभावित न हो। अब तक टारगेट हासिल करने के लिए स्वास्थ्य कर्ता घर-घर जाकर टीके लगाते थे। बार-बार वैक्सीन कैरियर खोलने से वैक्सीन की गुणवत्ता प्रभावित होती थी। निर्देशों में कहा गया है कि टीकाकरण में यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही हुई तो संबंधित कर्मचारी से लेकर अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।

किराया नहीं मिला तो गाड़िया ही बंद :

धौलपुर सहित कई जिलों में वैक्सीन लाने-ले जाने का काम करने वाली गाड़ियां ही बंद हो गई हैं। ऐसे में कोल्ड चैन को मेंटेन नहीं होने से खतरनाक हालात बन सकते हैं। विभाग को टीकाकरण के अपने चिकित्सा इंतजाम पुख्ता करने चाहिए। -नरेंद्र सिंह शेखावत, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान राज्य नर्सेज एसोसिएशन

ये भी जारी हुए निर्देश-

-टीका लगाने के लिए ए.डी. सिंरीज का ही उपयोग किया जाए। बीसीजी व मीजल्स वैक्सीन को घोलने का समय वैक्सीन वायल पर अनिवार्य रूप से लिखा जाए।

-घोले हुए वैक्सीन को 4 घंटे के भीतर ही उपयोग में लिया जाए। इसके बाद इसे उपयोग में न लें।

-वैक्सीन को शरीर के सही स्थान पर ही लगाया जाए। शिशुओं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण सारणी के अनुसार टीकाकरण सुनिश्चित हो।

-टीकाकरण के बाद लाभार्थी को आधे घंटे तक रोका जाए। टीकाकरण के बाद संभावित साइड इफैक्ट्स की जानकारी दी जाए।