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घर बैठे पूरी नहीं होगी हाजिरी, कक्षा में आना ही होगा

जम्मू निजी बीएड कालेजों में स्टूडेंट्स की उपस्थिति सुनिश्चित करने को जम्मू यूनिवर्सिटी ने बायोमैट्रिक्स प्रणाली इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। इसके अंतर्गत निजी कालेजों में बायोमैट्रिक्स ऑथेंटिकेशन मशीन लगेगी। स्टूडेंट्स को रोजाना इस मशीन पर अपने हाथ की छाप देनी होगी। इससे हिसाब बनेगा कि स्टूडेंट एकेडमिक सत्र में कितने दिन क्लास पढ़ने आता है।



इससे अब धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा सकेगी। जो स्टूडेंट यूनिवर्सिटी के रिकार्ड में रजिस्टर्ड होगा सिर्फ वही अपने हाथ की छाप रोज देगा और छाप देने वाला ही परीक्षा में बैठ सकेगा। इस प्रणाली के शुरू से उन लोगों को झटका लगेगा जो स्टूडेंट्स से क्लास न पढ़ने की एवज में मोटी रकम ऐंठते हैं। बताते चलें कि बहुत सी मल्टीनेशनल एवं राष्ट्रीय कंपनियों में इस प्रणाली का इस्तेमाल सफलता के साथ हो रहा है।



कालेजों में गोरखधंधों के कारण लिया गया निर्णय


सूत्रों के अनुसार यूनिवर्सिटी को कालेजों में स्टूडेंट्स की अनुपस्थिति को लेकर बहुत सी शिकायतें मिल रही थीं। इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बीएड कालेजों में उपस्थिति दर्ज करने के लिए बायोमैट्रिक्स प्रणाली लगवाने की योजना बनाई थी। यानि अब अगर बीएड करनी है तो पढाई के लिए कालेज में आना ही पड़ेगा। यूनिवर्सिटी से संबंधित बीएड कालेजों की संख्या 74 है। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में बीबीए, बीसीए और अन्य कालेज भी हैं। कमाई के चक्कर में इन कालेजों ने गोरखधंधे शुरू कर दिए। उन्होंने स्टूडेंट्स को कालेज न आने की छूट देना शुरू कर दी। और इसके एवज में वो रुपए ऐंठते हैं।


जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी की 71वीं कौंसिल की बैठक में कालेज डेवलपमेंट कौंसिल ने प्रस्ताव रखा था कि बीएड कालेजों में स्टूडेंट्स की उपस्थिति पर नजर रखने के लिए बायोमैट्रिक्स प्रणाली का उपयोग किया जाए। कौंसिल ने उसे मंजूरी दे दी थी। दरअसल, हाल ही में संपन्न हुई वार्षिक बीएड परीक्षा में सामने आया था कि कालेजों में बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। उस गोरखधंधे की जांच के लिए यूनिवर्सिटी ने कमेटी भी बनाई थी।


 


कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा था कि लगभग सभी निजी बीएड कालेजों में कामकाज ठीक ढंग से नहीं चल रहा है। अधिकतर स्टूडेंट एडमिशन लेने के बाद कालेज में क्लास पढ़ने के लिए आते ही नहीं हैं। वे केवल आखिर में परीक्षा देने ही आते हैं। इस वजह से सौ से अधिक ऐसे मामले मिले थे जिनमें परीक्षा के एडमिट कार्ड पर स्टूडेंट के फोटो बदले गए थे। उसमें कालेज प्रबंधन की सांठ-गांठ का मामला भी सामने आया था। कमेटी ने सिफारिश की थी यूनिवर्सिटी ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे कालेजों में स्टूडेंट्स की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। स्टूडेंट्स अगर कालेज में रेगुलर आएं तो बहुत-सी समस्याएं खुद ब खुद ही हल हो जाएंगी।



कालेज डेवलपमेंट कौंसिल के निदेशक डॉ. देशबंधु गुप्ता ने बताया कि बायोमैट्रिक्स प्रणाली को प्रयोग के तौर पर शुरू किया जाएगा। आरंभ में बायोमैट्रिक्स ऑथेंटिकेशन मशीन 10 के करीब चुनिंदा कालेजों में लगाई जाएगी। प्रयोग के सफल रहने पर इसे सभी कालेजों के लिए अनिवार्य घोषित कर दिया जाएगा। उम्मीद है कि इससे कालेजों में उपस्थिति को लेकर अनुशासन स्थापित होगा।