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चंबल पानी बंटवारे के अंतरराज्यीय करार से मुकरा राजस्थान

मुरैना. प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान चंबल के पानी के बंटवारे के संबंध में किए गए अंतरराज्यीय करार से मुकर गया है। राजस्थान सरकार जल बंटवारे की शर्तो को पूरा नहीं करना चाहती।


राजस्थान ने अपनी मंशा को अंतरराज्यीय तकनीकी समिति की पिछली 10 अक्टूबर 2010 की वाषिर्क बैठक में स्पष्ट कर दिया था। शनिवार को राजस्थान में एक बार फिर समिति की बैठक होने जा रही है।


मध्यप्रदेश का सिंचाई महकमा इस बैठक में राजस्थान को फिर से इस करार की याद दिलाने की कोशिश करेगा। अंतरराज्यीय तकनीकी समिति की बैठक में सभी की निगाहें इस बैठक की ओर लगी हुई हैं।


चंबल का पानी राजस्थान से बहकर मध्यप्रदेश में आता है। चूंकि मध्यप्रदेश में चंबल पर कोई डेम नहीं है। इसलिए पानी पर पूर्ण नियंत्रण राजस्थान सरकार का है।


राजस्थान सरकार हर बार मध्यप्रदेश को उनके हिस्से के पानी की कुल मात्रा की जानकारी तो देती है, लेकिन पानी की इस पूरी मात्रा की सप्लाई नहीं की जाती।


सिंचाई विभाग के मुताबिक लंबे अरसे से चले आ रहे इस विवाद के खत्म न होने का मुख्य कारण प्रदेश सरकार का इस मामले में रुचि न लेना है।


विभाग के मुताबिक वर्ष 2010 तक प्रदेश को सिर्फ दो हजार क्यूसेक पानी मिल रहा था, जो आवश्यकता का पचास प्रतिशत भी नहीं था, लेकिन तकनीकी समिति की बैठक में दोनों राज्यों के बीच हुई बहस के बाद प्रदेश को नौ सौ क्यूसेक पानी की बढ़त मिली।


प्रदेश ने चंबल संभाग के संदर्भ में किया था करार: मध्यप्रदेश सरकार ने राजस्थान सरकार से यह करार प्रदेश के तीन बड़े कृषि प्रधान जिले श्योपुर, मुरैना और भिंड की जमीनों को सींचने के लिए किया था। चूंकि इन जिलों की सिंचाई व्यवस्था चंबल के पानी पर निर्भर थी। इसलिए प्रदेश सरकार ने चंबल संभाग के संदर्भ में यह करार किया था।


फैक्ट फाइल


03, जिलों को पानी देने के लिए किया गया था करार 350, किमी लंबी नहरों को मिलता है राजस्थान से पानी 50, प्रतिशत पानी पर है मध्यप्रदेश का अधिकार


राजस्थान से मध्यप्रदेश को 50 प्रतिशत पानी दिए जाने का कारार है। वे इस करार से मुकर गए हैं। शनिवार को इस विवाद पर एक बार फिर से बहस होने वाली है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि विवाद खत्म हो और प्रदेश को उसके हिस्से का पानी मिल सके।


एनपी कोरी, एसई एरीगेशन मुरैना, मध्यप्रदेश


ये है समझौते की शर्त


राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच हुए इंटरस्टेट करार के मुताबिक चंबल पर बने गांधी सागर व महाराणा प्रताप बांधों में एकत्रित होने वाले बारिश के पानी का बंटवारा हर साल दोनों राज्यों के बीच किए जाने की शर्त रखी गई थी।


इसके अनुसार राजस्थान सरकार द्वारा पीने के पानी के अलावा शेष बचने वाले पानी का 50 प्रतिशत हिस्सा मप्र को दिया जाना चाहिए, लेकिन राजस्थान सरकार प्रदेश को ३क् प्रतिशत से भी कम पानी दे रही है।