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चीन ने रद्द की अमेरिका से भेजी जीएम मक्का की खेपें

जीएम पर सतर्कता
चीन में पहुंची थी एमआरआई 162 किस्म की मक्का
चीन की सरकार ने अभी इस वैरायटी को मंजूरी नहीं दी
1.20 लाख टन की पांच अमेरिकी खेपें नामंजूर की गईं
अन्य खेपों की कड़ी जांच होने की विश्लेषकों को आशंका
दूसरे देशों को भी भेजी गई सिंजेंटा की इस किस्म की मक्का
विश्लेषक का मत- इस बहाने चीन ने आयात पर अंकुश लगाया

चीन ने अमेरिका से आयातित मक्का की पांच खेप नामंजूर कर दी है। यह मक्का जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) की ऐसी किस्म की है, जिसे चीन के कृषि मंत्रालय ने मंजूरी नहीं दी है। सरकार के इस फैसले से चीन में मक्का का आयात हतोत्साहित होगा। हालांकि चीन में घरेलू मक्का की सप्लाई भी ज्यादा हो रही है।

कारोबारियों ने कहा कि सरकार के इस फैसले अमेरिका मक्का के लिए चीन के नए ऑर्डरों में कमी आएगी। इससे वैश्विक स्तर पर मक्का के दाम और घट सकते हैं। इसके मूल्य में पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी गिरावट आ चुकी है। रद्द की गई खेपों में कुल 120,642 टन मक्का शामिल है।

इन खेपों को जल्दी ही चीन के बंदरगाहों से रवाना होना होगा। इन खेपों में कीटों की प्रतिरोधक क्षमता वाली एमआईआर 162 वैरायटी की मक्का है। जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ क्वालिटी सुपरविजन, इंस्पेक्शन एंड क्वैरेंटाइन (एक्यूएसआईक्यू) ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि इस किस्म को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई है।

चीन ने अमेरिका को भी आगाह किया है कि वह अपने यहां निर्यात होने वाली खाद्य खेपों की बेहतर निगरानी करे, जिससे चीन के क्वालिटी मानकों के अनुरूप खेपों की सप्लाई सुनिश्चित हो सके। मक्का की नामंजूर की गई खेपों में पिछले माह की 60,000 टन मक्का शामिल नहीं है। इसे भी अवांछित जीएम किस्म के आधार पर नामंजूर किया गया था।

एएनजेड बैंक ने एक नोट में कहा है कि अवांछित जीएम किस्म की मक्का का पता लगने के बाद खरीदार और विक्रेता नए ऑर्डर देते समय और सतर्क हो सकते हैं। अगर खेप में कोई गड़बड़ी होती है तो रद्द हो सकती है। कारोबारियों ने गत दिवस बताया था कि सिंजेंटा एजी की एमआईआर 162, जिसे एग्रीस्योर विपटेरा भी कहा जाता है, किस्म की मक्का चीन पहुंची है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा मक्का आयातक देश है।

इस अवांछित जीएम किस्म की मक्का का खुलासा चीन के फुजोऊ, शेनजेन और शेनडोंग बंदरगाहों पर हुआ है। खबर मिली है कि करीब 20 लाख टन और मक्का अमेरिका से चीन पहुंचने वाली है। इसे भी एमआईआर 162 की जांच के लिए कड़े परीक्षण से गुजरना पड़ सकता है।

चीन ने अभी तक इस किस्म को मंजूरी नहीं दी है। लेकिन अमेरिका में 2011 तक यह मक्का प्रचलन में आ चुकी है। इसकी सप्लाई जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और यहां तक यूरोपीय संघ को भी हुई है। यूरोपीय संघ जीएम किस्मों की कड़ाई से जांच करते हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन में मक्का की सप्लाई बढऩे से वहां मूल्य में कमी आने लगी है। ऐसे में चीन के अधिकारी आयात घटाने के लिए और कड़ाई से जांच कर रहे हैं। सरकार से सम्बद्ध एक थिंक टैक के इंडस्ट्री एनालिस्ट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जीएम किस्म के प्रति चीन के रुख का कुछ न कुछ संबंध घरेलू सप्लाई से भी है।

हो सकता है कि आने वाली दूसरी खेपों को भी इसी तरह कड़ी जांच से गुजरना पड़े। चीन की इस कार्रवाई से मक्का का आयात पहले ही धीमी पड़ गया है। ऐसे में हो सकता है कि अमेरिकी मक्का की कुछ खेपें जापान या दक्षिणी कोरिया को भेज दी जाएं।