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छत्तीसगढ़: दोषी डॉक्टर को सरकार दे चुकी है इनाम

छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक में हुए नसबंदी शिविर में अब तक 14 मौतें हो चुकी हैं। सरकारी शिविर मे हुए नसबंदी के इन ऑपरेशन्स के बाद इस पूरे मामले की छानबीन की गई। इंडियन एक्प्रेस में छपी खबर के मुताबिक इस मामले में हुई जांच में यह बात सामने आई कि इन ऑपरेश्न्स के लिए तय दिशा-निर्देशों का बुरी तरह से उल्लंघन किया गया था।

जिन 83 महिलाओं का नसबंदी के लिए ऑपरेशन किया गया उनमें से 50 अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। जिनमें से 25 से ज्यादा कि हालत गंभीर बताई जा रही है।

इस मामले में आरोपी डॉक्टर के नाम 50 हजार नसबंदी ऑपरेशन करने का रिकॉर्ड भी है। और उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है।

सरकारी दिशा निर्देशों के अनुसार एक मेडिकल टीम एक दिन में 30 से ज्यादा नसबंदी के ऑपरेशन नहीं कर सकती। इसके अलावा इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को 10 से ज्यादा ऑपरेशन्स के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। अगर इन उपकरणों को दुबारा इस्तेमाल किया भी जाए तो उनकी सफाई और इस्तेमाल से जुड़े नियमों का भी पालन किया जाता है।

निर्देशों के अनुसार ऑपरेशन की संख्या 30 से हद से हद 50 तक हो सकती है लेकिन इसके ज्यादा नहीं होनी चाहिए। जबकि बिलासपुर के शिविर में इनकी संख्या 83 थी।

छत्तीसगढ़ में ये सभी 83 ऑपरेशन एक ही मशीन(उपकरणों) की मदद से महज 5 घंटे के भीतर कर दिए गए। यानी एक ऑपरेशन में 4 मिनट से भी कम का वक्त लगा। डॉ. गुप्ता इन ऑपरेशन्स के एक्सपर्ट माना जाता है। उन्हें 26 जनवरी को छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री रमन सिंह से 50 हजार ऑपरेशन्स करने पर पुरुस्कार भी दिया जा चुका है।

सरकारी नियमों के अनुसार कोई भी नसबंदी शिविर किसी अस्पताल या सरकारी स्वास्थ केंद्र में आयोजित किए जाने चाहिए। लेकिन बिलासपुर में जो ऑपरेशन किये गए वे एक ऐसे अस्पताल में आयोजित हुए जो पिछले एक साल से बंद था। जिस कमरे में ये ऑपरेशन किए गए थे उसे भी बीते 4 महीनों में कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था।

उस शिविर में मौजूद एक व्यक्ति के मुताबिक अस्पताल का केवल एक ही कमरा खुला हुआ था और सभी महिलाओं को जमीन पर लिटा दिया गया था।

जानकारी के अनुसार स्वास्थ विभाग के अनुसार जांच में यह बात भी सामने आई है कि महिलाओं को जो दवाई दी गई थी उनमें भी गड़बड़ियां थीं और महिलाओं की मौतों के लिए दवाइयां भी एक बड़ा कारण हो सकती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं की मौत शरीर के अलग-अलग हिस्सों के काम बंद कर देने की वजह से हुई है जिसका कारण वे एंटिबायोटिक हो सकती हैं जो उन्हें दी गई थीं।

रिपोर्ट के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने वे सभी 6 दवाइयां बैन कर दी हैं जो नसबंदी शिविर में इस्तेमाल की गई थीं।

हालांकि राज्य स्वास्थ विभाग ने इस रिपोर्ट पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया है।

आंकड़ों के अनुसार यह पहली बार नहीं हुआ जब राज्य में सरकारी नसबंदी शिविर से इतनी संख्या में ऑपरेशन किए गए हों। इस मामले में केंद्र सरकार के साफ निर्देश हैं लेकिन उसके बावजूद राज्य में कई बार ऐसा हुआ है जब इन ऑपरेशन्स की संख्या एक दिन में 100 तक पहुंची है।

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य मुख्यमंत्री रमन सिंह से फोन पर बातचीत करके हालात का जायजा लिया। जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद मामले को गंभीरता ले लिया गया। इसके पहले लोगों को अस्पताल में भर्ती तक नहीं कराया जा रहा था।

बुधवार को जब लोगों ने चीफ मेडिकल ऑफिसर आर के बांगे से यह मांग की कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर को निलंबित किया जाए तो उन्होंने डॉक्टर गुप्ता को 'सीनियर डॉक्टर' कहते हुए उनका बचाव किया था। इसके अलावा स्वास्थ मंत्री की बर्खास्तगी पर रमन सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन डॉक्टरों ने किए हैं मंत्रियों ने नहीं।

लेकिन इस वक्त नरेंद्र मोदी के दखल के बाद हालत बदली हुई नजर आ रही है। कल तक मत्रियों का बचाव कर रहे मुख्यमंत्री रमन सिंह हरकत में है।

इस पूरे मामले में आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा तखतपुर के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर प्रमोद तिवारी, बिलासपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर आर के बांगे का तबादला कर दिया गया है।

इसके अलावा सरकार ने मृतकों ने परिवार को 2-2 लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है।

जानकारी के अनुसार इस मामले की जांच और पीड़ितों के उपचार के लिए एम्स से भी एक टीम रवाना की जा रही है।