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छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को अब 32 फीसदी आरक्षण

रायपुर। राज्य शासन ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में कई बड़े फैसले किए। बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए सरकार ने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण को 20 फीसदी से बढ़ाकर 32 फीसदी कर दिया है। आरक्षण का फैसला लागू होने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 46 फीसदी से बढ़कर 58 फीसदी हो जाएगा। एसटी आरक्षण को बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी के लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में रखा जाएगा।



राज्य में आदिवासियों को उनकी आबादी के अनुपात में ज्यादा आरक्षण देने का प्रस्ताव लंबे समय से लंबित था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कैबिनेट की बैठक के बाद बताया कि पिछले 10 दिसंबर को स्वयं उन्होंने आदिवासियों को 32 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी। सरकार द्वारा एसटी का आरक्षण कोटा 20 से बढ़ाकर 32 प्रतिशत कर दिया जाएगा। इससे वर्तमान आरक्षण एससी, एसटी व ओबीसी मिलाकर 58 प्रतिशत तक हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के नियमानुसार कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इस बारे में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि तमिलनाडु व कर्नाटक में एडॉप्ट किए गए फार्मूले का इस्तेमाल किया जाएगा।



अन्य फैसले



इसके अलावा रायपुर विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड के प्लॉटों पर भू-भाटक खत्म करने, लोक सेवा गारंटी अधिनियम 100 सेवाओं पर लागू करने, बिलासपुर में नया विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय भी लिया गया।



आदिवासी आरक्षण



वर्तमान आरक्षण
एससी - 12 प्रतिशत
एसटी - 20 प्रतिशत
ओबीसी - 14 प्रतिशत
कुल - 46 प्रतिशत



बढ़ने के बाद




एससी - 12 फीसदी
एसटी - 32 फीसदी
ओबीसी - 14 फीसदी
कुल - 58 प्रतिशत



भू-भाटक खत्म, मिलेगी राहत



राज्य सरकार ने रायपुर विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड के प्लॉटों पर लगने वाले भू-भाटक को खत्म कर दिया है। इससे करीब 50 हजार से ज्यादा प्लाटधारकों को फायदा मिलेगा। इसमें से करीब 40 हजार गरीब प्लॉट धारक हैं जिन्हें अब कोई शुल्क नहीं लगेगा।



कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को बताया कि भूखंडों के 30 वर्षीय पट्टों पर हर साल भू-भाटक पटाना जटिल प्रक्रिया थी। इससे प्लॉट धारक काफी परेशान होते थे। अब दोनों संस्थाओं को लीज पर दी गई जमीन पुन: राजस्व विभाग को हस्तांतरित हो जाएगी। सिंह ने बताया कि सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं से खरीदे जाने वालों को बेचने के लिए प्लॉटधारकों को अनापत्ति प्रमाण की जरूरत पड़ती थी। अब प्लाट बेचने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र न लगे इसकी प्रक्रिया भी जारी है। इससे भी जनता को काफी राहत मिलेगी।



तमिलनाडु, केरल का होगा फार्मूला



संविधान में तय 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा पार होने के बावजूद कर्नाटक व तमिलनाडु ने वहां की विशेष पिछड़ी जातियों को क्रमश: 69 व 71 प्रतिशत तक आरक्षण की सुविधा दी है। वह भी अन्य जातियों को मिल रहे आरक्षण के लाभ से छेड़छाड़ किए बिना।



दोनों राज्यों ने इसके लिए विशेष आयोग का गठन किया। आयोग के जरिए उन विशेष पिछड़ी जातियों का सर्वे करवाया गया, जिन्हें आरक्षण की जरूरत थी। ऐसी जातियों की सूची बनाई गई। आयोगों ने अपनी अनुशंसाओं के साथ रिपोर्ट राज्य सरकारों को भेजीं। दोनों राज्यों की केबिनेट में यह रिपोर्ट अनुमोदित कर विधानसभाओं में आरक्षण विधेयक पारित किए गए। तत्पश्चात उन्हें संसद को भेजा गया। वहां भी इसे अनुमोदित कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट को संबंधित अनुशंसाएं तो भेजी गईं, लेकिन कोई निर्देश राज्यों को नहीं मिले हैं। हालांकि अनुच्छेद की धारा 315.4 के तहत राज्य सरकारों ने आरक्षण लागू कर दिया है।