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छत्तीसगढ़- स्वास्थ्य बजट 22 सौ करोड़, लेकिन डॉक्टर्स के 1608 पद खाली

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के स्वास्थ्य बजट में बीते 4 साल में 900 करोड़ का इजाफा हुआ है। अत्याधुनिक मशीनों, उपकरणों की लगातार खरीदी हो रही है। दवाओं से गोदाम भरे हैं। नए अस्पताल, मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। लेकिन कमी है तो सिर्फ डॉक्टर्स (चिकित्सक) की, विशेषज्ञों (स्पेशलिस्ट) की।

क्योंकि इनके बिना कोई इलाज मुमकिन नहीं। दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। वहीं दूसरी तरफ के बड़े इलाज जिनमें कैंसर सर्जरी, डायलिसिस, न्यूरो संबंधित, बच्चों की सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी और दिल की गंभीर बीमारियों के इलाज भी हो रहे हैं। इनके स्पेशलिस्ट डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में है। यह मात्र एक ऐसा अस्पताल है, जहां लगभग सुविधाएं है।

राज्य के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के 1698 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 491 खाली पड़े हुए है। विशेषज्ञों के 1277 स्वीकृत पद में 1045 खाली हैं और दंत चिकित्सकों के 83 में से 72 पद में भर्ती ही नहीं हुई है। यानी डॉक्टर्स के कुल 3058 में से 1608 पद वर्षों से खाली पड़े हुए हैं।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) प्रदेश के सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र से मान्यता न देने की अनुंशसा कर चुकी है, मुख्य वजह है स्टाफ। लाख रुपए से अधिक वेतन देने पर भी कोई दूरस्थ क्षेत्रों, नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकारी नौकरी नहीं करने को तैयार नहीं है।

देखिए, सूरजपुर, सुकमा, नारायणपुर में विशेषज्ञ ही नहीं है

विशेषज्ञ-

रायपुर में 56 में से 37 पद रिक्त हैं। बलोदा बाजार में 47 में 38, गरियाबंद में 52 में 50, धमतरी में 38 में 35, कवर्धा में 49 में 41, महामसुंद में 41 में 33, राजनादंगांव में 70 में 52, दुर्ग में 64 में 26, बालोद में 43 में 41, बेमेतरा में 33 में 29, बिलासपुर में 57 में 31, मुंगेली में 26 में 20, कोरबा में 39 में 31, रायगढ़ में 64 में 40, जांजगीर में 75 में 69, जगदलपुर में 49 में 48, कोंडागांव में 37 में 36, बीजापुर में 40 में 38, कांकेर में 65 में 53, दंतेवाड़ा में 38 में 36, सुकमा में 22 में 22, नारायणपुर में 21 में 20, सरगुजा में 48 में 34, बलरामपुर में 47 में 44, सूरजपुर में 59 में 59, कोरिया में 43 में 37, जशपुर में 54 में 45 पद रिक्त हैं।

चिकित्सा अधिकारी-

रायपुर में 109 में 7 पद रिक्त हैं। बलोदाबाजार में 60 में 5, गरियाबंद में 46 में 19, धमतरी में 47 की जगह 51 चिकित्सक कार्यरत हैं। कवर्धा में 40 में 20, महासमुंद में 53 में 1, राजनांदगांव में 65 में 17, दुर्ग में 72 स्वीकृत पदों की जगह पर 93 चिकित्सा अधिकारी सेवाएं दे रहे हैं। बालोद में 63 में 2, बेमेतरा में 30 में 6, बिलासपुर में 109 की जगह 133 कार्यरत हैं, मुंगेली में 46 में 26, कोरबा में 67 में 5, रायगढ़ में 107 में 36, जांजगीर में 89 में 14, जगदलपुर में 82 में 51, कोंडागांव में 48 में 31, बीजापुर में 36 में 31, कांकेर में 70 में 26, दंतेवाड़ा में 56 में 35, सुकमा में 33 में 20, नारायणपुर में 26 में 16, सरगुजा में 62 में 5, बलरामपुर में 64 में 44, सूरजपुर में 78 में 61, कोरिया में 60 में 32, जशपुर में 72 में 30 पद रिक्त हैं।

दंत चिकित्सक-

गरियाबंद, धमतरी, कवर्धा, राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, जगदलपुर, कोंडांगाव, बीजापुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर और जशपुर में रिक्त हैं।

डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल की सेवाएं-

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर में तमाम सुविधा हैं, लेकिन यहां भी डॉक्टर्स की कमी है। हाल ही में एमसीआई ने कॉलेज में 12फीसदी फैकल्टी, सीनियर रेसीडेंट के 64फीसदी पद रिक्त बताए गए हैं। लेकिन मरीजों को मिलने वाली सुविधाएं पर्याप्त है।

अस्पताल में सुपरस्पेशलिटी यूनिट्स- ओकोंसर्जरी यूनिट- ओंकोसर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता, फैसियोमैक्सिलॉरी सर्जन डॉ. गुंजन अग्रवाल। नेफ्रोलॉजी यूनिट- नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गुप्ता। प्लास्टिक सर्जरी- सर्जन डॉ. दक्षेष शाह। न्यूरोसर्जरी यूनिट- न्यूरो सर्जन डॉ. राजीव साहू, डॉ. हुसैन भाटी। कैथलैब- कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मिथ श्रीवास्तव, डॉ. बजरंग बंसल। पीडियाट्रिक सर्जरी- पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अमीन मेमन, डॉ. जीवन लाल पटेल।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)-

एम्स तेजी से विकास कर रहा है। अभी यहां 12 विभागों की ओपीडी का संचालन हो रहा है, 160 बिस्तर का अस्पताल भी है। बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं के लिए अलग से क्लीनिक्स का संचालन किया जा रहा है। 4 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर बनकर तैयार है। ट्रामा यूनिट, इमरजेंसी यूनिट की शुरूआत भी नहीं हुई है। एम्स प्रबंधन का कहना है कि एम्स फ्लूफ्लैस बनकर तैयार होने में 3 से 4 साल का वक्त लगेगा। एम्स में प्रतिदिन ओपीडी 400 मरीजों की है।

राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत

अभी जितने डॉक्टर्स, विशेषज्ञ हैं उनसे ही बेहतर काम लिया जा सकता है। जरूरी है राजनीतिक इच्छा शक्ति की। डॉक्टर्स चाहते हैं कि वे शहरी क्षेत्र में हों, और ट्रांसफर करवा लेते हैं। यहां जरूरी यह है कि सभी जिलों में डॉक्टर्स की सामान पोस्टिंग हो। इससे सुविधाएं बेहतर हो सकती हैं। - सुलक्षणा नंदी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता

प्रदेश में-

सरकारी अस्पताल

जिला अस्पताल- 24, सिविल अस्पताल- 16, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र- 155, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र- 792, उप स्वास्थ्य केंद्र- 5180, सिविल डिसपेंसरी- 31, शहरी परिवार कल्याण केंद्र- 10, कुष्ठ गृह एवं चिकित्सालय- 03, पॉली क्लीनिक- 01

मेडिकल कॉलेज अस्पताल-

डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर, सिम्स अस्पताल बिलासपुर, महारानी अस्पताल जगदलपुर। ये सभी मेडिकल कॉलेज संबद्ध हैं।

27 जिलों में विशेषज्ञ एवं चिकित्सा अधिकारी-

विशेषज्ञ- स्वीकृत पद- 1277, खाली- 1045

चिकित्सा अधिकारी- स्वीकृत पद- 1698, खाली- 491

दंत चिकित्सक- स्वीकृत पद- 83, खाली- 72

ये स्वास्थ्य सुविधाएं ऑन कॉल, फ्री डॉयल-

108- संजीवनी एक्सप्रेस एंबुलेस सेवा

104- मेडिकल हेल्प लाइन, यानी आरोग्य परामर्श सेवा

102- महतारी एक्सप्रेस, गर्भवती को लाने-ले जाने और नवजात के लिए।

साल दर साल बढ़ा स्वास्थ्य बजट-

सत्र 2015-16- करीब 22 सौ करोड़, सत्र 2014-15- 1901 करोड़+800 (एनआरएचएम), 2013-14- 1708 करोड़, 2012-13- 1344.99 करोड़