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छत्‍तीसगढ़ में बेहोशी की दवा से बेहोश नहीं हो रहे मरीज!

प्रशांत गुप्ता, रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) हजारों मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज डीन और डीन से चिकित्सा शिक्षा संचालक (डीएमई, जो सीजीएमएससी के सह प्रबंध संचालक भी हैं) को भेजे गए पत्र में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

पत्र में लिखा है कि सीजीएमएससी से सप्लाई हो रही बेहोशी की दवाएं कारगर (इफेक्टिव) नहीं हैं। दवा मानकों पर नहीं हैं, क्योंकि इससे मरीज निर्धारित समय के लिए बेहोश नहीं हो रहे हैं। ऐसे एक नहीं, बल्कि 7 दवाएं हैं। ऑपरेशन के लिए बेहोशी की दवा स्थानीय स्तर पर खरीदी जा रही है। सीजीएमएससी की सप्लाई दवाओं के इस्तेमाल से न सिर्फ मरीजों की जान को खतरा है, बल्कि डॉक्टर्स भी मुसीबत में पड़ सकते हैं। इसलिए बेहोशी की सभी दवाएं सीजीएमएससी को लौटा दी गई हैं।

'नईदुनिया' को पता चला है कि मेडिकल कॉलेज से एक नहीं बल्कि दो-तीन बार डीएमई प्रताप सिंह को पत्र लिखा जा चुका है। सबसे पहले जुलाई और उसके बाद नवंबर के आखिरी सप्ताह में पत्र लिखा गया था। सूत्र यह भी बताते हैं कि अस्पताल अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी, एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. केके सहारे इस मामले में डीएमई से दो बार मिलकर मौखिक शिकायत भी कर चुके हैं, इसके बाद भी डीएमई की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया।

दवाएं तो कारगर नहीं हैं, साथ ही वाइल में दवाओं की मात्रा भी प्रिंट मात्रा से कम पाई गई है। बतौर उदाहरण-बुपिवाकेन 0.5% इंजेक्शन स्पाइनल एनेस्थीसिया में काम आता है, एक वाइल में 4 एमएल इंजेक्शन होना चाहिए, लेकिन इसकी मात्रा 3 या फिर 3.5 एमएल ही पाई जा रही है।

इसी तरह से एल्टेकोरियम इंजेक्शन 2 से 3 घंटे की सर्जरी में दिया जाता है, लेकिन इसका असर जल्द ही खत्म हो रहा है। 'नईदुनिया' ने पत्रों के संबंध में पहले एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. केके सहारे से बात की पर उन्होंने कहा कि डीन से बात करें। डीन ने डीएमई को पत्र भेजे जाने की पुष्टि की है। उधर डीएमई प्रताप सिंह से सीधी बात में ऐसा कोई पत्र मिलने से साफ इंकार कर दिया।

दवाओं की जांच कर खरीदी का दावा फेल

सीजीएमएससी का दावा है कि वह दवाओं की खरीदी करने से पहले निविदा भरने वाली कंपनियों का फिजिकल वेरीफिकेशन (भौतिक सत्यापन) करती है। इसी के चलते बीते 2 साल में देश की 24 कंपनियों को खरा नहीं पाया। इसके बाद वर्कआर्डर जारी करने के बाद जिलों में सप्लाई से पहले देश की अनुबंधित 6 ड्रग टेस्टिंग लेबोरेट्री में जांच करवाई जाती है। अब दवा के बेअसर होने से इन जांच पर भी सवाल उठ रहा है। यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या जांच करवाई जा रही है या फिर सबकुछ दिखवा मात्र है?

डॉक्टर्स ने कहा- डीएमई से खरीदी थी बेहतर

'नईदुनिया' ने सीजीएमएससी और पूर्व की व्यवस्था यानी की डीएमई स्तर पर हो रही खरीदी को लेकर कई सीनियर सरकारी डॉक्टर्स से बात की। इन्होंने कहा कि डीएमई स्तर पर हो रही दवा खरीदी में कभी शिकायत नहीं आई। खासकर दवा की क्वालिटी में, लेकिन सीजीएमएससी सप्लाई में आए दिन गड़बड़ी के नए मामले सामने आ रहे हैं। फफूंद लगी दवा, ब्लैक लिस्टेड कंपनी से दवा खरीदी, आवश्यकता से अधिक खरीदी और अब गैर असरकारक दवा का मामला सामने आया है।

ये हैं दवाएं जो लौटाई गईं

जनरल एनेस्थीसिया की दवा- पेंटाथॉल, प्रोफोफॉल, पेंटाजोसिन, सुक्सीनाइल कोलिन फ्लोराइड, डेक्सामैथासोन, बुपिवाकेन, एल्टेकोरियम आदि।

डीएमई को भेज दिया था

हां, एनेस्थीसिया विभाग से दवाओं के संबंध में शिकायत पत्र प्राप्त हुआ था कि बेहोशी की दवाएं असरकारक साबित नहीं हो पा रही हैं। मैंने पत्र डीएमई को फॉरवर्ड कर दिया है। करीब 10 दिन पहले यह पत्र डीएमई को भेजा जा चुका है। (डीएमई कह रहे हैं कि उन्हें नहीं मिला बोले...) सीजीएमएससी को गया होगा। डॉ. अशोक चंद्राकर, डीन, मेडिकल कॉलेज रायपुर

मुझ तक नहीं पहुंची शिकायत

मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। (उन्हें बताया गया कि अंबेडकर अस्पताल ने शिकायत की है, बोले...) मुझ तक नहीं पहुंची है। प्रताप सिंह, डीएमई एवं सह प्रबंधक सीजीएमएससी