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जंगल बचाने में फिसड्डी पंजाब

लुधियाना . पर्यावरणीय बदलाव के कारण सबसे अधिक समस्याएं झेल रहे फूड बाउल आफ इंडिया के राज्य पर्यावरण संरक्षण में सबसे ज्यादा लापरवाह हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तीनों राज्य देश को करीब 80 फीसदी अन्न भंडार देते हैं, लेकिन इनमें जंगल या पर्यावरण को बचाने की दिलचस्पी कम है।

इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इन राज्यांे में फॉरेस्ट कवर और ट्री कवर एरिया लगातार कम हुआ है, केवल पंजाब में ट्री कवर एरिया में बढ़ोतरी हुई है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि खेतीबाड़ी को बचाने वाली रिसर्च का नेशनल हेडक्वार्टर पंजाब में ही है।

जंगलात के एरिया पर जारी लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में जंगल कवर में कमी आई है। पंजाब का कुल क्षेत्रफल 50,362 वर्ग किलोमीटर है। 733 वर्ग किलोमीटर मध्यम जंगल है जबकि 931 वर्ग किलोमीटर खुला जंगल है। चार सालो में जंगल में कुल 201 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है।

हालांकि ट्री कवर में पंजाब की स्थिति कुछ बेहतर है। यह एरिया 238 वर्ग किलोमीटर से बढ़ कर 3 सौ वर्ग किलोमीटर हो गया है। हरियाणा में जंगल 10 वर्ग किलोमीटर और ट्री कवर 156 वर्ग किलोमीटर कम हुआ है। उत्तर प्रदेश में ट्री कवर की स्थिति सबसे बदतर है। जंगल पांच वर्ग किलोमीटर तथा ट्री कवर 822 वर्ग किलोमीटर कम हुआ है। दूसरी ओर मध्यप्रदेश एवं कनार्टक जैसे राज्यों की परफॉमेर्ंस अच्छी हुई है।

जागरूकता के साथ जरूरी है सही योजना : डा. अवतार

पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) में जंगलात विभाग के प्रमुख डा. अवतार सिंह का कहना है कि जंगल की कमी ट्री कवर से पूरी की जा सकती है। इसमें सुधार के लिए लोगों में जागरूकता के अलावा सही योजनाएं चाहिए।

पर्यावरणीय समस्याओं से बचना है तो कम से कम 20 फीसदी क्षेत्रफल पर पेड़ होने चाहिए। किसान अपने खेतों के किनारे पेड़ लगाएं। सरकार फ्लड एरिया, नदियों के किनारे, बिरानी जमीनों आदि पर पेड़ लगा कर जंगल का रकबा बढ़ाए। पेड़ होंगे तो पर्यावरण संबंधित समस्याएं भी कम होंगी।

विकास के कारण हुई कमी

जिला जंगलात अधिकारी डीएस बराड़ का कहना है कि इस बदलाव की बड़ी वजह विकास कार्य हैं। अधिकतर स्थानों पर सड़क व पुल आदि के निर्माण की वजह से कटाई हो रही है। इसे अधिकाधिक पेड़ लगा कर भरपाई करने का प्रयास भी किया जा रहा है।