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'जनशक्ति को धनशक्ति के हाथों हाईजैक होने से रोकने के लिए बंद हो कारपोरेट फंडिंग'

नागपुर। माकपा नेता सांसद डा. सीताराम येचुरी ने कहा कि जनशक्ति को धनशक्ति के हाथों हाईजैक होने से रोकने के लिए राजनीतिक पार्टियों को मिलनेवाला कारपोरेट चंदा बंद होना चाहिए। चंदे को टैक्स फ्री करना चिंताजनक है। कारपोरेट फंडिंग सीधे सिस्टम को होनी चाहिए। आज महज 55 लोगों के हाथों देश की अर्थ व्यवस्था है।

 

सामाजिक संगठन जनमंच की ओर से नागपुर विद्यापीठ के दीक्षांत सभागृह में आयोजित स्व. न्या. अशोक देसाई स्मृति व्याख्यानमाला ‘क्या हमारा प्रजातंत्र धनशक्ति के आगे हतबल है’ में वे प्रमुख अतिथि के रूप में बोल रहे थे। विरोध हुआ तो बना दिया कानून

 

श्री येचुरी ने कहा कि चुनाव व्यवस्था में धनशक्ति का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है। यह चिंता का विषय है। पहले भी पैसा लगता था, लेकिन अभी एक चुनाव में करोड़ों रु. खर्च हो रहे हैं।

 

कारपोरेट घरानों से राजनीतिक पार्टियों को मिलनेवाले चंदे का विरोध हुआ, तो सरकार ने इसे कानूनी जामा पहना दिया। नगद की जगह इसे चेक से कर दिया। साथ ही टैक्स फ्री कर दिया गया।

 

बड़ी पार्टियों को बड़ा चंदा व छोटी पार्टियों को छोटा चंदा मिल रहा है। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि 12 साल पहले टाटा से वाम मोर्चा को 16 लाख रु. चंदा मिला था, जिसे लौटा दिया गया। अन्य पार्टियों ने ऐसा नहीं किया। यह चंदा सीधे चुनाव आयोग को मिलना चाहिए।

 

वहां से इसका इस्तेमाल चुनाव व्यवस्था, वाहन, पोस्टर व अन्य खचरे में होना चाहिए। इससे धन का मर्यादित इस्तेमाल होगा और वोटरों को धन से प्रभावित करने से रोका जा सकेगा। वर्तमान में यह व्यवस्था नहीं होने से उम्मीदवार धन का अपने स्तर पर इस्तेमाल कर रहा है और जनशक्ति, धनशक्ति के आगे झुकती दिखाई दे रही है।

 

यहीं नहीं रिश्ते भी धनशक्ति के आगे झुक रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से आज तक जितनी भी सरकारें बनी हैं, किसी के पास 50 फीसदी से ज्यादा वोट नहीं है। वर्तमान सरकार महज 27 फीसदी वोटों के सहारे है।

 

सरकार बनाने के लिए 50 फीसदी से ज्यादा वोट करना जरूरी होना चाहिए। जनता सबसे ऊपर होती है। संसद की जवाबदेही जनता के प्रति है। देश की अर्थव्यवस्था महज 55 प्रतिशत लोगों के हाथ में है। आज देश की 80 करोड़ जनता महज 20 रु. से कम कमाती है।

 

एक चमकता भारत, दूसरा तरसता

 

भारत : उन्होंने वर्तमान व्यवस्था को देखकर कहा कि एक चमकता भारत व दूसरा तरसता भारत है। चमकते भारत में महज 55 लोग व तरसते भार में 80 करोड़ लोग हैं। एक आईपीएल व दूसरा बीपीएल हो गया है। घोटाले से पैसे बनाने के नए-नए रास्ते खुल गए हैं।

 

कारपोरेट फंडिंग से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। स्टेट फंडिंग का प्रस्ताव सरकार के पास प्रलंबित है। कारपोरेट फंडिंग पर अंकुश लगाए बिना सुधार होना मुश्किल है।

 

वोट प्रतिशत से मिलनी चाहिए सीटें: श्री येचुरी ने कहा कि व्यवस्था में सुधार के लिए जरूरी है कि प्राप्त वोट प्रतिशत के हिसाब से सीटों का आवंटन होना चाहिए।

 

3-4 सीटों वाली पार्टी भी सरकार पर गैरवाजिब दबाव बनाती है। संसद की कुल सीटों को वोट प्रतिशत के हिसाब से पार्टियों को आवंटित करना चाहिए। उन्होंने दो वोट के अधिकार का भी सुझाव दिया। उनका कहना है कि एक वोट उम्मीदवार को व एक वोट पार्टी को मिलना चाहिए।

 

100 दिन चले संसद : उन्होंने हंगामे के चलते प्रभावित होती संसद की कार्यवाही पर चिंता जताते हुए कहा कि साल में कम से कम 100 दिन संसद की कार्यवाही चलनी चाहिए। यही नियम विधान सभा के लिए भी हो। दो साल में संसद की कार्यवाही महज 46 दिन चली। उसमें भी 11 दिन काम नहीं हो सका।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता दैनिक भास्कर के समूह संपादक प्रकाश दुबे, जनमंच अध्यक्ष एड. किशोर किल्लोरकर, सलाहकार प्रा. शरद पाटील, राजीव जगताप, प्रमोद पांडे पूर्व विधायक गिरीश गांधी, विजय जावंधिया, एड. सत्यजीत देसाई उपस्थित थे। जनमंच के अध्यक्ष एड. अनिल किल्लोरकर ने संगठन के कार्यो की जानकारी पेश की। मंच संचालन श्वेता शेलगांवकर ने किया।

 

देवाजी व सिलोमिना का सत्कार : सांसद सीताराम येचुरी के हाथों गड़चिरोली जिले के देवाजी तोफा का स्वतंत्र वन कानून ग्राम पंचायत में लागू करने पर व नागपुर की नर्स सिलोमिना फ्रांसिस जॉन का डच्यूटी से कभी अवकाश नहीं लेने के लिए सत्कार किया गया। सिलोमिना बीमार होने से समारोह में आ नहीं सकीं, तो रीटा पीटर पॉल ने उनका सत्कार स्वीकार किया।