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जमीन अधिग्रहण के बाद 40 से अधिक रैयत बन गये करोड़पति

रांची: झारखंड की राजधानी रांची में बिरसा मुंडा एयरपोर्ट की विस्तारीकरण योजना में जमीन अधिग्रहण के कारण 40 से अधिक रैयत करोड़पति बन गये हैं. मुआवजे की राशि मिलने के बाद इन रैयतों की जीवन शैली बदल गयी है. सरकार की ओर से अब तक 125 रैयतों को मुआवजे का भुगतान किया गया है. इनमें से कई लोगों के मकान के आगे महिंद्रा का एक्सयूवी-500 और इनोवा जैसी महंगी गाड़ियां दिखने लगी हैं. इनमें से कुछ ने रसोई गैस की एजेंसी के लिए आवेदन जमा किया है.  जमीन अधिग्रहण के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से 110 करोड़ रुपये का मुआवजा जिला भू अजर्न कार्यालय रांची को दिया गया. एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए 350 एकड़ जमीन अधिगृहीत की जा रही है.        

जमीन के लिए मिले मुआवजे से रातों-रात लोग धनाढय़ बन गये हैं. गौरतलब है कि एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए राजधानी के चंदाघांसी, हुंडरू, कुटेटोली, नामकुम और हेथु गांव के रैयतों की जमीन ली गयी है.

रहन-सहन बदल गया
हुंडरू के तेजेंद्र राम, जाको देवी, रवींद्र प्रसाद को 1.12 करोड़ रुपये दिये गये. वहीं राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री के आप्त सचिव रहे एक सरकारी कर्मी के परिजनों को भी दो करोड़ से अधिक का मुआवजा मिला है. उसने रकम मिलते ही महंगी गाड़ियां खरीद ली. उसका रहन-सहन ही बदल गया. वह निजी बॉडीगार्ड भी रख लिया. चंदर को तीन करोड़ से अधिक रुपये मिले हैं.  वीएन सिंह भी करोड़पति हो गये हैं. कुछ सरकारी कर्मचारी, जो समाहरणालय और सचिवालय में ऊंचे पदों पर हैं, उनको भी जमीन के मुआवजे से भारी राशि मिली है. हेथू गांव की खाता संख्या 41 के मूल रैयत बंधन मुंडा, भैरो मुंडा के परिजनों को 13.96 करोड़ मिलेंगे. हुंडरू गांव के पांच रैयतों को छोड़ कर भारतीय इस्पात प्राधिकरण को 20 करोड़ का मुआवजा दिया गया है.

कैसे दिया जा रहा मुआवजा
जिला प्रशासन ने मुआवजे की राशि प्रति डिसमिल 55152 रुपये तय की है. इसमें 30 प्रतिशत क्षतिपूर्ति मुआवजा और 22 महीने का ब्याज शामिल है. रैयतों को उनकी भूमि के बाबत 84 हजार  प्रति डिसमिल की दर से मुआवजा दिया जा रहा है.

अब तक 45 करोड़  बंटे
सरकार की ओर से 100 करोड़ से अधिक मुआवजा राशि आवंटित की गयी है.  इसमें से 52 करोड़ रुपये रैयतों को बतौर मुआवजा दिये जा चुके हैं. 29.49 करोड़ रुपये बैंक में जमा हैं. रांची जिले की भू अजर्न शाखा की ओर से लैंड एक्विजिशन मैन्युअल 1928 के तहत पंचाटी (मूल रैयत) के नाम से सूचना प्रकाशित की गयी है. भूमि सुधार उप समाहर्ता कार्यालय से पंचाटों के नाम से सूचना जारी कर मुआवजे की राशि प्राप्त करने का आदेश दिया गया है.

विवादित भी हैं मामले
बिरसा मुंडा एयरपोर्ट एक्सपेंशन मामले में कई रैयतों ने मुआवजा राशि के भुगतान को लेकर न्यायालय की शरण ले रखी है. हुंडरू गांव के बुधुवा साहू, बिसू लोहार की जमीन (प्लाट नंबर 1319, 1320, 1384, 1383) का मामला एलआरडीसी कोर्ट में लंबित है. इसमें मूल रैयत और फरजी रैयतों ने मुआवजे की राशि को लेकर अपना-अपना दावा प्रस्तुत कर दिया है. गलत तरीके से दुमका के तत्कालीन अपर समाहर्ता एस भूषण ने हेथु गांव में 70 डिसमिल जमीन खरीद कर 59.44 लाख रुपये अपने बेटों के खातों में जमा करा लिया था.  इस जमीन से संबंधित मामला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में (35 आफ 2002) लंबित है. इसमें कुल 4.81 एकड़ जमीन शामिल है. हुंडरू के ही रैयत मोहर अहिर का कोई दावेदार नहीं होने से 80.68 लाख रुपये का मुआवजा नहीं मिल पाया है.