Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/जमीन-का-भी-राष्ट्रीयकरण-हो-शिवदान-सिंह-8754.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | जमीन का भी राष्ट्रीयकरण हो- शिवदान सिंह | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

जमीन का भी राष्ट्रीयकरण हो- शिवदान सिंह

जमीन अधिग्रहण विधेयक जैसे अहम मसले पर मोदी सरकार की दुविधा साफ देखी जा सकती है। गुलामी के प्रतीक 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून की जगह यूपीए सरकार ने जो नया कानून बनाया था, उसे भाजपा का भी समर्थन मिला था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इसे बदलना चाहती है। पर सवाल है कि क्या विकास को गति देने की राह में भूमि अधिग्रहण कानून सबसे बड़ा रोड़ा है? क्या इसका कोई विकल्प नहीं है?

हम जरा पीछे मुड़कर देखें, तो पता चलता है कि अंग्रेजों ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का दमन करने और अपने साम्राज्य की जड़ों को मजबूत करने के लिए 1894 में भूमि अधिग्रहण कानून बनाया था। इस कानून का मकसद देश में जगह-जगह सैनिक छावनियों एवं सड़कों एवं रेलमार्गों का जाल-बिछाकर अपने शासन की पकड़ जनता पर मजबूत करना था। आजादी के बाद भी इस तरह का अधिग्रहण रुका नहीं। मगर देश की अधिकांश विकसित भूमि, जो महानगरों के आसपास है, अधिगृहीत होकर लैंडयूज बदलकर भू-माफिया और बिल्डरों के कब्जे में आ गई और काले धन को छिपाने का माध्यम बन गई। दिल्ली के आसपास आगरा, मेरठ, पलवल, गुड़गांव, रोहतक और पानीपत तक में देखा जा सकता है कि कैसे बिल्डरों ने इस क्षेत्र को रियल एस्टेट की मंडी बना दिया है।

सबसे दिलचस्प उदाहरण छत्तीसगढ़ का है, जहां नई राजधानी को बसाने के नाम पर 2002 में जमीन अधिगृहीत की गईं। सरकार चाहती, तो राजधानी रायपुर के आसपास वह नई राजधानी बसा सकती थी, पर रायपुर से 40 किमी दूर नया रायपुर बसाया जा रहा है, जिसके लिए 50 किमी दूर तक की जमीन का अधिग्रहण किया गया। यहां बिल्डरों, राजनेताओं और बाहुबलियों में जमीन की बंदरबांट कर दी गई। और अब, पिछले 13 वर्षों से यह क्षेत्र खाली पड़ा हुआ है।

यह हाल कमोबेश देश के सभी बड़े नगरों का है। बड़े नगरों और महानगरों के आसपास जो अधिगृहीत जमीनें खाली और बेकार पड़ी हैं, उसका उपयोग औद्योगिक विकास के लिए क्यों नहीं किया जा सकता? भूमि को लेकर किसी तरह का अध्यादेश लाने या कानून बनाने की जरूरत है, तो वह बगैर इस्तेमाल की अधिगृहीत हुई जमीन के राष्ट्रीयकरण के लिए लाया जाना चाहिए और फिर इसका उपयोग देश की उन विकास योजनाओं में पारदर्शी तरीके से होना चाहिए, जिनकी मोदी सरकार योजना बना रही है।

पिछले 30 वर्षों में औद्योगिकीकरण के नाम पर औद्योगिक विकास प्राधिकरण जैसे न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा), ग्रेटर न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण-(ग्रेटर नोएडा) और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) बनाए गए हैं। आज यदि इन तीनों विकास प्राधिकरणों के भूमि उपयोग का आकलन किया जाए, तो पाया जाएगा कि ये प्राधिकरण अपने मूलभूत उद्देश्य से कोसों दूर चले गए। इन तीनों प्राधिकरणों की परिधि में उद्योग नाममात्र के लिए हैं, काफी जमीनें तो अधिगृहीत करके बिल्डरों को आवासीय योजनाओं के लिए बेची जा चुकी हैं, जिनमें करोड़ों का लेन-देन हुआ, जिसका उदाहरण यादव सिंह हैं।

भूमि को राष्ट्रीय संपदा घोषित करने से आशय यह है कि भूमि दोबारा न तो पैदा की जा सकती है और न कहीं से लाई जा सकती है, इसलिए जितनी भी जमीन है, उसका सदुपयोग किया जाए।

-लेखक सेवानिवृत्त कर्नल हैं