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जलवायु परिवर्तन है क्या, आसान शब्दों में समझें

-बीबीसी,

मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के लिए ख़तरा बन चुका है.

अगर इस पर ग़ौर नहीं किया गया और इसे यूं ही छोड़ दिया गया तो आने वाले समय में तापमान इस क़दर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है, भयावह सूखा पड़ सकता है, समुद्री जल स्तर बढ़ सकता है और इन सब प्राकृतिक आपदाओं के फ़लस्वरूप कई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं.

मानव समाज के आगे यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए कुछ संभावित समाधान भी हैं.

जलवायु एक लंबे समय में या कुछ सालों में किसी स्थान का औसत मौसम है और जलवायु परिवर्तन उन्हीं औसत परिस्थितियों में बदलाव है.

जितनी तेज़ी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसके लिए मानव-क्रियाएं सर्वोपरि दोषी हैं. घरेलू कामों, कारखानों और परिचालन के लिए मानव तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

जब ये जीवाश्म ईंधन जलते हैं तो उनसे ग्रीनहाउस गैस निकलती हैं जिसमें सबसे अधिक मात्रा कार्बन डाइऑक्साइड की होती है. इन गैसों की सघन मौजूदगी के कारण सूर्य का ताप धरती से बाहर नहीं जा पाता है और ऐसे में ये धरती का तापमान बढ़ने का कारण बनती हैं.

19वीं सदी की तुलना में धरती का तापमान लगभग 1.2 सेल्सियस अधिक बढ़ चुका है और वातावरण में CO2 की मात्रा में भी 50% तक वृद्धि हुई है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हम जलवायु परिवर्तन के बुरे परिणामों से बचना चाहते हैं तो हमें अपने क्रिया-कलापों पर ध्यान देते हुए तापमान वृद्धि के कारकों को नियंत्रित करने के बारे में ठोस क़दम उठाने चाहिए. ऐसे उपाय अपनाने चाहिए जिससे ताप वृद्धि धीमी हो.वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग को साल 2100 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने की ज़रूरत है.

लेकिन अगर इस संबंध में दुनिया के तमाम देशों ने कोई ठोस क़दम नहीं उठाया तो इस सदी के अंत तक धरती का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है.

अगर कोई क़दम नहीं उठाया गया तो वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ग्लोबल वार्मिंग 4 डिग्री सेल्सियस से अधिक भी हो सकती है. जिसके परिणामस्वरूप दुनिया को भयानक हीट-वेव का सामना करना पड़ सकता है, समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी होने से लाखों लोग बेघर हो जाएंगे, कई पादप-जंतुओं की प्रजाति विलुप्त तक हो सकती है.

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