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जलवायु बदलने का असर पेड़ों पर, 2-4 फीट घट गई लंबाई

हेमंत नामदेव, जबलपुर(मध्‍यप्रदेश)। जलवायु परिवर्तन का असर अब पेड़-पौधों की लंबाई पर दिखने लगा है। पेड़-पौधों की लंबाई 2-4 फीट तक घट गई है। यह खुलासा जबलपुर स्थित उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान के वैज्ञानिकों के शोध में हुआ है। लंबाई घटने का कारण तापमान में लगातार बढ़ोतरी है।

 

बढ़े तापमान से पेड़ों की पत्तियां झुलस रही हैं । इसकी वजह से पनपते पेड़-पौधे सही ढंग से प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पा रहे हैं और पर्याप्त खुराक नहीं मिलने से उनकी ऊंचाई घट गई है। फलदार पेड़ों से उत्पादन भी कम हो रहा है। वैज्ञानिकों ने यह शोध आम, नीम, बबूल, खमेर, यूकेलिप्टस, कदम, मौलश्री समेत सभी किस्म के पेड़-पौधों पर किया है।
30 सालों से प्रदेश के मौसम पर आए बदलाव पर शोध
प्रदेश के मौसम में बीते 30 सालों में आए बदलाव पर शोध के बाद वैज्ञानिक इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि तापमान बढ़ने की वजह वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस गैसों की मात्रा बढ़ना है। सूरज की रोशनी इन गैसों पर पड़ने के बाद परिवर्तित होकर जमीन पर पहुंचती है, जो तापमान को बढ़ाती हैं।
ऐसे हो रहा है पेड़-पौधों पर असर
तापमान ज्यादा होने से जमीन की नमी (आर्द्रता) जल्दी खत्म हो जाती है। पेड़ों की पत्तियों का पानी तेजी से खत्म होता है और वह झुलस जाती हैं। पत्तियां वायुमंडल में मौजूद कॉर्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित (प्रकाश संश्लेषण) करके पेड़ों को भोजन नहीं दे पाती। नतीजा पेड़ों का विकास, उनकी उत्पादन क्षमता, फैलाव पर्याप्त नहीं होता।
यह पेड़ सहायक होंगे परिवर्तन रोकने में
वैज्ञानिकों के अनुसार वायुमंडल में मौजूद कॉर्बन डाइ ऑक्साइड गैस को कुछ पेड़ तेजी से अवशोषित करते हैं। इनमें खमेर, यूकेलिप्टस, कदम, मौलश्री, नेडिया, सेमल, करंज, कनकचंपा जैसे पेड़ शामिल हैं, जो 15-20 वर्ष बाद ही तैयार हो जाते हैं। जलवायु परिवर्तन व बढ़ते तापमान को कम करने में यही पेड़ सहायक होंगे।
इनका कहना है
वायुमंडल में कॉर्बन डाइ ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस गैसों की मात्रा लगातार बढ़ने से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इस वजह से तापमान ज्यादा है, जिससे पेड़ों के विकास और उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है। कॉर्बन डाइ ऑक्साइड ज्यादा मात्रा में अवशोषित करने वाले पेड़ों पर रिसर्च कर रहे हैं।
डॉ. अविनाश जैन, वैज्ञानिक, उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान केंद्र, जबलपुर