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जानिए क्या है जीएसटी बिल, जिसपर मचा है इतना हंगामा

मल्‍टीमीडिया डेस्‍क। 21 जुलाई से लोकसभा का मानसून सत्र आहूत होने जा रहा है। इस सत्र में कई राजनीतिक मुद्दे छाए रहेंगे। इनके बीच एक प्रस्‍तावित विधेयक पर भी चर्चा होनी है, जो पिछले कई वर्षों से लटका हुआ था। हालांकि 6 मई को यह लोकसभा से पारित हो चुका है।

आइए जानते हैं कि जीएसटी क्‍या है और इसे राज्‍यसभा में पारित करवाना, सरकार के लिए चुनौती क्‍यों बनता जा रहा है।

जीएसटी : गुड्‌स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) एक प्रकार का वैल्यू ऐडेड टैक्स (वैट) है।

सरकार चाहती है कि तमाम वस्तुओं तथा सेवाओं पर लगने वाले अप्रत्यक्ष करों की जगह केवल जीएसटी लागू किया जाए।

जरूरतः इस समय भारत में विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं पर कई तरह के कर लगते हैं, जैसे वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्‌यूटी आदि। ये कर अलग-अलग स्तरों पर वसूले जाते हैं। प्रस्तावित नई जीएसटी व्यवस्था में सभी वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल दो प्रकार के कर लगेंगेः राज्य स्तरीय जीएसटी (एसजीएसटी) तथा केंद्र स्तरीय जीएसटी (सीजीएसटी)।

एसजीएसटी तथा सीजीएसटी के तहत क्या-क्या आएगा?

ऐसा प्रस्ताव है कि सीजीएसटी में ये कर शामिल किए जाएंगे, जो अब तक अलग-अलग लगते आए हैं:

(1) सेंट्रलएक्साइज ड्‌यूटी

(2) एडिशनल एक्साइज ड्‌यूटी

(3) मेडिसिनल एंड टॉयलेटरीज प्रेपरेशन एक्ट के तहत लगाई जाने वाली एक्साइज ड्‌यूटी

(4) सर्विस टैक्स

(5) एडिशनल कस्टम ड्‌यूटी

(6) स्पेशल एडिशनल ड्‌यूटी

(7) सरचार्ज

(8) एजुकेशन सेस तथा सेकंडरी एंड हायर सेकंडरी एजुकेशन सेस।

एसजीएसटी में राज्यों के ये कर समाहित होंगेः

(1) वैट/ सेल्स टैक्स

(2) एंटरटेनमेंट टैक्स (बशर्ते वे स्थानीय निकायों द्वारा लागू न किए जाते हों)

(3) लक्जरी टैक्स

(4) लॉटरी पर टैक्स

(5) वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति से जुड़े राज्य के सेस तथा सरचार्ज।

जीएसटी बिल के लाभ

--जीएसटी बिल विभिन्न राज्यों में लगाए जाने वाले करों के अंतर को पाटेगा।

--यह भारत सरकार को करों के द्वारा प्राप्त राजस्व में वृद्धि कर सकता है।

--यह आम आदमी पर एकाधिक कर का भार कम करके उसे लाभ पहुंचाएगा।

-- कर प्रशासन तथा कर चुकाना दोनों आसान हो जाएंगे।

--यदि इसके फायदे पूरी तरह आम आदमी तक पहुंचाए गए, तो उसे दामों में 25 से 30 प्रतिशत कमी की सौगात मिल सकती है।

 

जीएसटी बिल के वर्तमान स्वरूप में इस बात का प्रावधान रखा गया है कि राज्यों को राजस्व में होने वाली क्षति के एवजमें उन्हें 5 साल तक क्षतिपूर्ति दी जाएगी। फिलहाल लोकसभा में पारित होने के बाद इस बिल को राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है।