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जापानी पुदीने की ओर बढ़ा किसानों का क्रेज

बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली मण्डल के चार जिलों में इन दिनों मेथा जापानी पुदीने उगाने का प्रचलन बढ़ रहा है।

आधिकारिक सूत्नों ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि मण्डल के चारों जिलों बरेली, पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर में मेंथा पिपरेटा की पैदावार पहले से की जा रही थी लेकिन किसानों का रुझान जापानी पुदीने की ओर होने के बढ़ने के बाद क्षेत्न के किसानों की आर्थिक स्थित पहले की अपेक्षा बेहतर हुई है। मेथा पिपरेठा की किस्म में सुधार करके जापानी कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ दशक पहले मेंथा आरवेन्सेस नामक एक प्रजाति तैयार की जो जापानी पुदीने के नाम से बेहद लोकप्रिय हुई।



सूत्नों के अनुसार मण्डल में कुछ वर्ष पहले योजनाबद्ध तरीके से जब पुदीने की विभिन्न किस्मों की खेती को बढावा देने की शुरुआत की गई तो पता चला कि किसानों को यह मालूम ही नही था कि इससे ज्यादा मुनाफा भी हो सकता है। पुदीने की तमाम प्रजातियों के व्यावसायिक तथा औषधीय उपयोगों की वजह से इसकी उपज के दाम भी ऊंचे मिलते हैं। शिवालिक 88 जापानी पुदीने की भारत में तैयार उन्नत प्रजाति है। यह किस्म बदलते मौसम में भी उत्पादन देती है और इस पर बीमारियों का असर कम ही होता है।



बरेली मण्डल में कुछ साल पहले प्रयोग के रुप में 3000 हेक्टेयर क्षेत्न में शिवालिक-88 पुदीने की बुआई कराई गई। पुदीने की फसल किसी भी प्रजाति की हो उसे चिकनी दोमट वाले खेल जहां पानी सिंचाई और जल निकासी का अच्छा इंतजाम हो और मिट्टी का पी एच पांच से सात के बीच हो में ही बोना फायदेमंद रहता है।



कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जापानी पुदीने की बुआई फरवरी से मार्च के दूसरे सप्ताह तक होती है। इसकी फसल की कटाई आमतौर पर दो बार तथा अच्छी फसल होने पर तीन बार की जाती है। उन्होंने बताया कि पहली बार फसल बोआई के 100 से 120 दिन के बाद काटने योग्य हो जाती है। इस समय तक पौधों में फूल आने लगते हैं। दूसरी कटाई इसके लगभग 70 दिन बाद करनी होती है। कटाई करने के बाद सप्ताह पूर्व सिंचाई बंद करनी चाहिए। खाद और पानी समुचित व्यवस्था होने पर इसकी तीन बार कटाई भी की जा सकती है।