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जिस गांव में शिवराज ने किया था पौधरोपण, वहां किसान उखाड़ेंगे पौधे

भोपाल। मप्र सरकार के पौधरोपण अभियान की अब धीरे-धीरे पोल खुलने लगी है। दो जुलाई को पौधरोपण महाभियान के तहत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने विधानसभा क्षेत्र के जिस गांव में पौधरोपण किया था, वहां के किसान अपने खेत से इन पौधों को उखाड़ने की तैयारी करने लगे हैं।


किसानों का आरोप है कि सरकारी अधिकारियों ने फलदार पौधे लगाने के एवज में प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया था, लेकिन छह महीने बीतने के बाद भी वह पैसा अब तक नहीं मिला है। पौधे लगाने की वजह से गेहूं, चने की खेती भी नहीं कर पा रहे हैं। उधर, सरकार का पक्ष है कि योजना में स्पष्ट प्रावधान है कि फरवरी में सत्यापन के बाद भुगतान किया जाएगा। इसके बारे में किसानों को बताया भी गया था।


दरअसल, पौधरोपण अभियान से पहले राज्य सरकार ने एक योजना बनाई थी। इसके मुताबिक नर्मदा के दोनों किनारों पर एक किमी तक खेतों में फलदार पौधे लगाने वाले किसानों को 20 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान था। हालांकि अपने खेतों में पौधे लगाने वाले किसानों के खाते में अब तक यह राशि नहीं पहुंची है।


गेहूं, चने की खेती के लिए जमीन नहीं बची, खाएंगे क्या?


छीपानेर में जिस खेत में मुख्यमंत्री ने पौधरोपण किया था, उसके बगल में किसान राजेश ठाकुर का खेत है। ठाकुर के मुताबिक कलेक्टर खुद खेत पर आए थे। ढाई एकड़ जमीन है। फलदार पौधों की वजह से गेहूं, चने की खेती नहीं कर पा रहे हैं। कुछ दिन और इंतजार करेंगे। इसके बाद पौधे उखाड़कर गेहूं व चने बोएंगे।


अधिकारी पीछा नहीं छोड़ते थे, अब टालते हैं


छीपानेर में ही ढाई एकड़ खेत में फलदार पौधे लगाने वाले रफीक मोहम्मद ने बताया कि पौधरोपण से पहले अधिकारी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहे थे। उन्होंने बैंक अकाउंट नंबर भी ले लिया, अब मुआवजा राशि के लिए उन्हें फोन कर रहे हैं तो सभी टाल रहे हैं।


छह करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए थे


नर्मदा नदी की धार को कुंद होने से बचाने के लिए राज्य सरकार ने नर्मदा नदी के कछार वाले 24 जिलों में करीब छह करोड़ 63 लाख पौधे लगाए थे। इस दौरान नर्मदा नदी के किनारों पर एक किमी तक मौजूद कई खेतों में भी फलदार पौधे लगाए गए थे। अकेले सीहोर जिले में 17 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए थे।


किसानों का नुकसान होगा


किसानों को पहले ही बताया गया था कि पौधे लगाने का सत्यापन फरवरी में किया जाएगा और 75 प्रतिशत पौधे जीवित होने पर ही भुगतान होगा। इसमें अनुदान और फसल के नुकसान की भरपाई भी की जाएगी। जो किसान यह कह रहे हैं कि वे कोई और फसल नहीं लगा पा रहे हैं, वे गलत बोल रहे हैं। मैंने खुद कई खेतों का परीक्षण किया है जहां पौधे लगाने के बाद अन्य फसलें ली जा रही हैं। यदि किसान पौधे उखाड़ कर फेकेंगे, उनका नुकसान होगा।


- अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव, उद्यानिकी विभाग