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झारखंड: नगड़ी में पीडीएस में डीबीटी का पायलट वापस नहीं, लोगों का प्रतिरोध जारी

नगड़ी में जन वितरण प्रणाली में डीबीटी का पायलट राज्य सरकार द्वारा अभी तक वापस नहीं लिया गया है बावजूद इसके कि सरकार के इस जनविरोधी प्रयोग के खिलाफ नगड़ी वासियों के भारी जन प्रतिरोध एवं ग्राम सभा के विरोध का सामना करना पड़ा है

1. नगड़ी पायलट अक्टूबर 2017 में शुरू किया गया था. जन विरोध अब तक जारी है

2. डीबीटी व्यवस्था के तहत लोगों को अपने हक़ का पीडीएस का अनजा लेने के लिए पहले अपने खाते से अनाज के सब्सिडी के बदले भेजी गयी बैंक की राशि निकालनी पड़ती है उसके बाद राशन की दूकान से 32रुपये/किलो की दर से अनाज खरीदना पड़ता है.पहले राशन की दूकान से 1 रुपये/किलो के हिसाब से अनाज खरीदते थे.

3. फरवरी 2018 में छात्रों द्वारा नगड़ी के 13 गाँवों में किये गए सर्वे के परिणामो से स्पष्ट था कि डीबीटी पायलट से नगड़ी के लोगों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा है. सर्वे का सारांश संलग्न है

4. 26 फरवरी 2018 को नगड़ी से हजारों की संख्या में पीड़ित एवं आक्रोशित लोगों ने डीबीटी हटाने एवं पुरानी व्यस्था को बहाल करने की मांग को लेकर नगड़ी से राज्यपाल भवन तक पैदल मार्च किया था

5. सर्वे के परिणामो पर सरकार का यकीन नहीं था इसलिए झारखंड सरकार ने स्वयं अपने द्वारा मार्च के अंत तक सोसल ऑडिट कराने एवं फिर किसी निष्कर्ष पर पहुँचने का फैसला किया

6. अप्रैल 2018 तक सोसल ऑडिट पूरा हो गया. सूचना के अधिकार द्वारा प्राप्त सोसल ऑडिट रिपोर्ट का सारांश संलग्न है

7. सोसल ऑडिट पहले के सर्वे के नतीजों को पुष्ट करता है. डीबीटी के कारण नगड़ी में बड़ी संख्या में लोग पीडीस के तहत मिलने वाले अनाज के हक़ से वंचित हैं साथ ही लगातार बैंक, प्रज्ञा केंद्र, और राशन की दूकान के चक्कर लगाने के कारण समय की बर्बादी हो रही है एवं कष्ट का सामना करना पड़ रहा है

8. फरवरी में छात्रों द्वारा कराये गए सर्वे की तरह सामाजिक अंकेक्षण के परिणाम भी पाया गया कि नगड़ी में डीबीटी का पुरजोर विरोध किया गया है. दोनों सर्वे में डीबीटी का विरोध करने वालों का प्रतिशत 97% ही है.

9. अप्रैल के सोसल ऑडिट में 46 में से 38 गांवों में ग्राम सभा भी कराई गयी थी. सोसल ऑडिट के सारांश के अनुसार 38 में से 36 ग्राम सभाओं ने डीबीटी का विरोध किया है और पुराने व्यवस्था को बहाल करने की मांग की है.

10. 28 मई 2018 को झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर नगड़ी में डीबीटी पायलट को वापस लेने की स्वीकृति माँगी है. पत्र में लिखा गया है कि डीबीटी पायलट खाद्य सुरक्षा कानून का उललंघन करता है ये बात सही है लेकिन फिर इसे नगड़ी में शुरू ही क्यों किया गया?

26 फरवरी के रैली के 4 महीने बाद सरकार ने अब तक डीबीटी पायलट पर कोइ निर्णय नहीं लिया है. सरकार ने अभी तक सोसल ऑडिट के रिपोर्ट को रिलीज भी नहीं किया है. नगड़ी के लोग अब भी डीबीटी की पीड़ा को झेल रहे हैं.

(राइट टू फूड कंपेन की प्रेस विज्ञप्ति 21 जून 2018)