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झारखंड : भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल फिर से केंद्र को भेजा

रांची : राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 पर केंद्र सरकार द्वारा उठायी गयी आपत्ति का जवाब देते हुए उसे फिर से केंद्र के पास सहमति के लिए भेज दिया है. राजभवन से बिल की कॉपी केंद्र सरकार को भेज दी गयी है.

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 को पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया था. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने झारखंड सरकार के इस संशोधन बिल पर सहमति नहीं देने का परामर्श गृह मंत्रालय को देने के बाद इसे वापस कर दिया था. इसमें आवश्यक संशोधन करते हुए राज्य सरकार ने दोबारा राजभवन को प्रस्ताव भेजा और राजभवन द्वारा इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है.

12 अगस्त को पारित हुआ था विधेयक : 12 अगस्त को विधानसभा से भूमि अर्जन-पुनर्वासन एवं पुर्नस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार, झारखंड संशोधन विधेयक-2017 पारित हुआ था़ इसमें सोशल इंपैक्ट के अध्ययन के प्रावधान को खत्म किया गया था़ स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, रेल परियोजना, सिंचाई योजना, विद्युतीकरण, जलापूर्ति योजना, सड़क, पाइप लाइन, जलमार्ग और गरीबों के आवास के निर्माण में भू-अर्जन में सोशल इंपैक्ट स्टडी (सर्वे) नहीं करने की बात थी़ मॉनसून सत्र के दौरान इस संशोधन को लेकर विपक्ष ने आपत्ति जतायी थी़ शोर-शराबे के बीच ध्वनिमत से बिल पारित किया गया था़

आपत्ति का निराकरण कर दोबारा मंजूरी के लिए भेजा गया

क्या थी कृषि मंत्रालय की आपत्ति

केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने आपत्ति करते हुए लिखा था कि राज्य सरकार के संशोधन पर सहमति देने से कृषि योग्य भूमि में कमी आयेगी. इससे कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग के लिए हस्तांतरण में तेजी आयेगी. यह झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन राष्ट्रीय कृषि नीति 2007 तथा राष्ट्रीय पुनर्वास नीति 2007 के उद्देश्यों व प्रावधानों के प्रतिकूल है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने लिखा था कि भारत सरकार की यह नीति है कि कृषि भूमि का हस्तांतरण गैर कृषि कार्य के लिए नहीं किया जायेगा. परियोजनाएं बंजर भूमि पर लगायी जाये.

झारखंड सरकार ने क्या भेजा है जवाब

भूमि अधिग्रहण बिल पर केंद्रीय की आपत्ति पर झारखंड सरकार ने जवाब तैयार किया और इसे दोबारा राज्यपाल के पास भेज दिया. इसे कृषि मंत्रालय को भी भेजा गया है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर तैयार जवाब में कहा गया है कि वेस्टलैंड, अनुपयोगी, बंजर भूमि के अधिग्रहण के लिए पहले से कानून बना हुआ है. किसी भी जिले में बहुफसलीय सिंचित क्षेत्र का दो प्रतिशत से अधिक जमीन अर्जित नहीं किया जायेगा.

किसी भी जिले में कुल शुद्ध बोया क्षेत्र की एक चौथाई से अधिक भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जायेगा. झारखंड भूमि अर्जन पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार नियमावली 2015 में ये बातें दर्ज हैं.