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झारखंड में सुखाड़!

राज्य में सूखे के हालात हैं. बारिश नहीं हो रही है. स्थिति खराब होती जा रही है. फिलहाल सिर्फ 32 फीसदी ही रोपा हुआ है. ऐसे में सरकार चुप है. स्थिति पर पैनी नजर रखनेवाले कृषि विभाग में अलग से कोई मंत्री ही नहीं है. फिलहाल मुख्यमंत्री ही कृषि मामलों को देख रहे हैं.

राज्य को सूखाग्रस्त घोषित होने की स्थिति में विभागीय स्तर पर कई अहम निर्णय लेने होंगे. राज्य में कृषि किसानों की स्थिति पर गंभीरता से नजर रखने की जरूरत होगी.

- कृषि पर राज्य सरकार का ध्यान नहीं

- अब तक कृषि मंत्री नहीं फिलहाल मुख्यमंत्री ही देख रहे हैं

रांची : झारखंड फिर सूखे की ओर बढ़ रहा है. अगस्त माह के दो सप्ताह गुजर गये, पर कई जिलों में बारिश नहीं हो रही है. 10 अगस्त तक 32 फीसदी के आसपास ही रोपा हो पाया है. आधे दर्जन से अधिक जिलों में दो से आठ फीसदी तक ही धान रोपने का काम हुआ है.

अन्य फसलों की स्थिति भी ठीक नहीं है. पिछले साल 15 अगस्त तक 65 फीसदी से अधिक रोपा हुआ था. 2011 में तो अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक 95 फीसदी तक धान का रोपा का काम हो चुका था.

बारिश की कमी के कारण रोपा कार्य प्रभावित हो रहा है. राज्य की कई सिंचाई परियोजनाएं भी वर्षो से अधूरी हैं. इससे खेतों को पानी नहीं मिल रहा. इस साल अप्रैल से अगस्त के शुरुआती महीने तक लक्ष्य से 40 फीसदी कम बारिश

हुई है.        

इस दौरान कुल 771.1 मिमी बारिश सामान्य रूप से होती है. पर मात्र 476.8 मिमी ही हुई है. जुलाई माह में 276 मिमी सामान्य बारिश होती है, लेकिन मात्र 197 मिमी ही हो पायी थी. मौसम विज्ञान विभाग का दावा बार-बार फेल हो रहा है. राज्य के किसी भी जिले में सामान्य से अधिक बारिश नहीं हुई है.

कृषि विभाग के आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल से अगस्त तक रांची जिले में सामान्य का मात्र 56 फीसदी बारिश ही हो पायी है. पलामू,चतरा, कोडरमा और जामताड़ा जिले में तो औसत से 50 फीसदी बारिश भी नहीं हो पायी है.

वैकल्पिक कृषि योजना तैयार

कृषि विभाग ने वैकल्पिक कृषि योजना तैयार की है. खरीफ योजना तैयार होने के कुछ दिन बाद ही तत्कालीन कृषि निदेशक ने सभी जिला कृषि पदाधिकारियों को वैकल्पिक कृषि योजना तैयार करने का निर्देश दिया था.

जुलाई-अगस्त में हुई बारिश की नमी के हिसाब से योजना तैयार कर ली गयी है. इसमें तेलहन, मक्का, तोरी, मडुआ आदि लगाने की योजना है. कृषि विभाग की रिपोर्ट पर आपदा प्रबंधन विभाग से सूखा घोषित होते ही योजना को जमीन पर लाया जायेगा.

झारखंड में बारिश की स्थिति

- 476.8 मिमी अप्रैल से अगस्त के शुरुआती माह तक

- 771.1 मिमी इस दौरान सामान्य बारिश होनी चाहिए

- किसी भी जिले में सामान्य बारिश नहीं

वैकल्पिक खेती करें किसान

उड़द, अरहर, मक्का, मूंग मडुआ, तोरी आदि लगा सकते हैं. इन फसलों के लिए सिंचाई की विशेष जरूरत नहीं पड़ती किसानों के लिए तत्काल राहत कार्य चलाने की जरूरत है. हर बार जिलावार सुखाड़ की घोषणा होती है, हमारी मांग है कि इस बार प्रखंडवार सुखाड़ की घोषणा होनी चाहिए. प्रखंडवार कल्याणकारी योजना चलाने की जरूरत है.

सुखदेव भगत, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष

सरकार के पास वर्तमान हालात के लिए एडवांस प्लॉनिंग नहीं है. सरकार की प्राथमिकता में कृषि नहीं होना दुखद है. इस सेक्टर में हर दिन अध्ययन कर योजना बनाने की जरूरत है. सरकार तत्काल वैकल्पिक खेती की दिशा में

प्रयास करे.         

अर्जुन मुंडा, प्रतिपक्ष के नेता

सरकार में कोई कृषि विभाग को लेने के लिए तैयार नहीं है. आपदा से निबटने के लिए कोई कार्य योजना नहीं है. हमने राजभवन के समक्ष धरना भी दिया था. 15 दिनों में किसानों के राहत के लिए कदम नहीं उठाया गया, तो आंदोलन चलायेंगे.

प्रदीप यादव, झाविमो के प्रदेश अध्यक्ष