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झारखंड- सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश, राज्य में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी

रांची : बजट से पहले विधानसभा में गुरुवार काे संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने सरकार की ओर से सामाजिक- आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की. इसमें कहा गया है कि झारखंड की प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर (कंपाउंड एनुअल ग्राेथ रेट) राष्ट्रीय आैसत से अधिक है. वर्तमान मूल्य (करंट प्राइस) पर देश की प्रति व्यक्ति आय में औसत 10.44% की वृद्धि हुई है, जबकि झारखंड में यह 14.65 प्रतिशत है. स्थायी मूल्य (कंस्टेंट प्राइस) पर देश की प्रति व्यक्ति आय में 2.84 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि झारखंड में यह 6.936% है. रिपोर्ट में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य की प्रति व्यक्ति औसत आय में 7.46% की वृद्धि होने की बात कही गयी है. 
हालांकि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 52 फीसदी से गिर पर 35 फीसदी हो गया है. 
प्रति वर्ष 5.47 प्रतिशत की दर से वृद्धि : रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2004-05 में कंस्टेंट प्राइस पर राज्य में प्रति व्यक्ति आय 18510 रुपये थी. वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्रति व्यक्ति आय 33260 रुपये होने का अनुमान था. इस तरह पिछले 11 वर्षों के दौरान राज्य की प्रति व्यक्ति आय में प्रति वर्ष 5.47 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है. वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर 6.91 प्रतिशत दर्ज की गयी थी. 2012-13 के मुकाबले 2013-14 में वृद्धि दर 8.91 प्रतिशत थी. इसी तरह चालू वित्तीय वर्ष के दौरान यह 7.46 प्रतिशत दर्ज की गयी है. 

सेवा के क्षेत्र में 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि : रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा का क्षेत्र ही आर्थिक विकास का बड़ा कारक है. राज्य में वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2015-16 के दौरान सेवा के क्षेत्र में औसत 11.22 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई. वित्तीय वर्ष 2011-12 में सेवा के क्षेत्र में सबसे कम सिर्फ 2.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी. 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि में सेवा के क्षेत्र में 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई. 12वीं पंचवर्षीय योजना के पहले चार वर्ष (2012-16) के दौरान सेवा क्षेत्र में औसत 11.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गयी. वित्तीय वर्ष 2004-05 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में सेवा क्षेत्र का योगदान 33 प्रतिशत था. वित्तीय वर्ष 2015-16 के जीएसडीपी में सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ कर 49 प्रतिशत हो गया है.

जीएसडीपी 11 वर्षों में बढ़ कर दोगुना : रिपाेर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2004-05 में कंस्टेंट प्राइस पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 59758 करोड़ रुपये था. 2015-16 में 129225 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस तरह राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 11 वर्षों में बढ़ कर दोगुना हो गया है. 2015-16 में 2014-15 के मुकाबले जीएसडीपी वृद्धि दर 8.83 प्रतिशत है. वर्ष 2012-13 के दौरान कृषि के क्षेत्र में 7.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान यह बढ़ कर 9.21 प्रतिशत हो गया है. प्राथमिकतावाले क्षेत्र में वर्ष 2012-13 में 2.61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गया थी. 2015-16 में 8.50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. उद्योग के क्षेत्र में अन्य के मुकाबले कम वृद्धि दर दर्ज की गयी है. वर्ष 2012-13 मेें इस क्षेत्र में 3.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान उद्योग के क्षेत्र में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. 

वित्तीय घाटा जीएसडीपी का 2.28 फीसदी : पिछले 11 वर्षों के दौरान उद्योग के क्षेत्र का औसत वार्षिक विकास वृद्धि दर सिर्फ 3.38 प्रतिशत रहा. वर्ष 2004-05 में राज्य के जीएसडीपी में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 52 प्रतिशत था, जो 2015-16 में घट कर 35 प्रतिशत हो गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य का वित्तीय घाटा वित्तीय दायित्व व बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम एक्ट) में निर्धारित सीमा में हैं. राज्य का वित्तीय घाटा जीएसडीपी का 2.28 प्रतिशत है.