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टीम अन्ना ने लोकपाल पर बहस के लिए पार्टियों को भेजा न्योता

नई दिल्ली.  सशक्त लोकपाल की मांग कर रही टीम अन्ना ने जंतर मंतर पर प्रस्तावित एक दिन के अनशन के दौरान सभी राजनीतिक दलों को लोकपाल पर अपनी राय सार्वजनिक करने और चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया है। किरण बेदी ने ट्विटर पर टिप्पणी करके यह खुलासा किया।
 
किरण ने ट्विटर पर लिखा, 'दिसंबर 11, जंतर मंतर,  लोकपाल पर बिना किसी रूकावट के बहस। आइए, सुनिए, सवाल पूछिए और अपने संदेह दूर कीजिए। राजनीतिक प्रतिनिधि अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित हैं।' टीम अन्ना के प्रवक्ता ने कहा है कि राजनीतिक दलों को औपचारिक निमंत्रण अलग से भेजा जाएगा। हालांकि, टीम अन्ना की यह रणनीति उनकी पहले की रणनीति से बिल्कुल अलग है जब अप्रैल में जंतर मंतर पर अनशन के दौरान उन्होंने नेताओं को मंच से दूर रखा था।  
दूसरी तरफ, टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण ने सोमवार को सीडी विवाद में प्रधानमंत्री कार्यालय को भी घसीट लिया। भूषण ने आरोप लगाया कि शांति भूषण और मुलायम सिंह यादव के बीच बातचीत की सीडी को फर्जी करार देने वाली फोरेंसिक रिपोर्ट के देर से सार्वजनिक होने की पीछे प्रधानमंत्री कार्यालय का हाथ है।
एक आरटीआई से मिली रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लैब, चंडीगढ़ (सीएफएसल) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सीडी के साथ छेड़छाड़ हुई है। भूषण ने इसी रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद यह आरोप लगाया है।
भूषण ने कहा है कि सुभाष अग्रवाल की आरटीआई के जवाब में पीएमओ ने उन्हें सिर्फ दिल्ली की सीएफएसल की रिपोर्ट उपलब्ध कराई थी और चंडीगढ़ लैब की रिपोर्ट रोक ली थी। भूषण ने कहा कि इस मामले में केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम का रूचि लेना और पीएमओ का दिल्ली सीएफएसल की रिपोर्ट जारी करके चंडीगढ़ की रिपोर्ट रोक लेना बताता है कि सरकार ही इस सीडी विवाद के पीछे है, भले ही वह छेड़छाड़ के पीछे न हो।
 
भूषण ने यह भी कहा कि यह सब टीम अन्ना के सदस्यों को बदनाम करने की सरकार की साजिश का हिस्सा है। भूषण के मुताबिक टीम के प्रमुख सदस्यों को बदनाम करने की यह साजिश अभी तक चल रही है।
गौरतलब है कि इस विवादित सीडी के सार्वजनिक होने के बाद शांति भूषण ने इस साल 14 अप्रैल को दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा था कि उन्होंने कभी भी मुलायम सिंह यादव से बात नहीं की है। सीडी की फोरेंसिक जांच की चंडीगढ़ सीएफएसल की यह रिपोर्ट आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष अग्रवाल को केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के बाद उपलब्ध हो पाई है जबकि यह आठ माह पहले ही तैयार हो गई थी। शांति भूषण के लगातार इस रिपोर्ट को मांगने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने इसे उपलब्ध नहीं करवाया था।
प्रशांत भूषण ने दावा किया कि सरकार ने दिल्ली सीएफएसल की रिपोर्ट सार्वजनिक करके इस सीडी को असली करार दे दिया था और आरटीआई के जरिए मांगी गई चंडीगढ़ लैब की रिपोर्ट को रोक दिया था। भूषण ने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने अमर सिंह और मुलायम सिंह यादव की सीडी को जांच के लिए नहीं भेजा था। मुलायम सिंह की बातों को वहीं से कट पेस्ट करके यह फर्जी सीडी बनाई गई है।