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टेलीकॉम की शिकायतों के लिए लोकपाल संभव

नई दिल्ली। मोबाइल उपभोक्ताओं को सर्विस क्वालिटी में राहत देने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई लोकपाल नियुक्त करने पर विचार कर रहा है। उपभोक्ताओं की सर्विस क्वालिटी संबंधी शिकायतें सुनने के लिए नियुक्त होने वाले लोकपाल के बारे में ट्राई लोगों से सुझाव लेगा।

मौजूदा कानूनी व्यवस्था मोबाइल सर्विस देने वाली कंपनियों के पक्ष में है क्योंकि उपभोक्ता इस तरह की शिकायतों को लेकर अदालत के समक्ष नहीं जा सकते हैं। ट्राई के चेयरमैन आर. एस. शर्मा ने एक इंटरव्यू में बताया कि वर्तमान प्रणाली शिकायतों के प्रभावी निस्तारण में विफल है। यह अच्छा नहीं है। ट्राई ऐसी संस्थागत व्यवस्था लागू करने के लिए अगले एक पखवाड़े में कंसल्टेशन पेपर जारी करने का विचार कर रहा है जिससे उपभोक्ताओं की शिकायतों को बेहतर तरीके से निपटाया जा सके।

उन्होंने नई संस्थागत व्यवस्था के बारे में कोई विवरण देने से इंकार कर दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था ऐसी होगी जिसमें लोग तकनीकी प्लेटफार्म के जरिये शिकायत आसानी से कर सकें।

उन्होंने कहा कि हमें यह विचार करना होगा कि क्या ऑटोमेटेड सिस्टम यानी तकनीकी प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया जाए। हम देखेंगे कि शिकायतों के निपटारे के लिए तकनीक का कैसे इस्तेमाल किया जाए। हम सुझाव आमंत्रित करेंगे कि शिकायत निपटारे के लिए कैसी व्यवस्था ठीक रहेगी।

दूसरे सेक्टरों के विपरीत टेलीकॉम सेक्टर के उपभोक्ताओं की औसत शिकायतें अलग तरह की होती हैं। टेलीकॉम सेक्टर में इस समय करीब 100 करोड़ उपभोक्ता हैं। कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच विवाद मुख्य रूप से बिलिंग, टैरिफ प्लान में बदलाव और वैल्यू एडेड सेवाएं शुरू करने को लेकर होते हैं। हालांकि इन विवादों की रकम काफी छोटी होती है। यही मुख्य वजह है कि आम उपभोक्ता अदालतों में नहीं जा पाते हैं। आमतौर पर विवादित राशि इतनी छोटी होती है कि शिकायत करने के लिए अदालत में एफिडेविट दाखिल करने का खर्च भी इससे काफी ज्यादा होता है।

उपभोक्ता अदालतें भी इस तरह के मामलों को स्वीकार नहीं करती है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इंडियन टेलीग्र्राफ एक्ट में इसके लिए विशेष व्यवस्था पहले से ही है।

नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 2012 में टेलीकॉम कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच होने वाले विवाद उपभोक्ता फोरम के दायरे में लाने के लिए कानूनी व्यवस्था पर जोर दिया गया था लेकिन अभी इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पाई है। उपभोक्ता खुद को असहाय स्थिति में महसूस करते हैं क्योंकि वे ट्राई में शिकायत नहीं कर सकते हैं। ट्राई कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं सुनता है। अगर उसे कोई शिकायत मिलती है तो वह मामले को संबंधित टेलीकॉम कंपनी के पास भेज देता है।