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डूबेंगे स्कूल, तैरेगी बच्चों की पढ़ाई

मुजफ्फरपुर [जाटी]। मानसून करीब आते ही उत्तर बिहार में बाढ़ की आहट सुनाई देने लगी है। लेकिन इससे निपटने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था अब भी अधूरी है। इस बार भी बड़ी संख्या में न सिर्फ स्कूल बंद होंगे बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी ठप होगी। मुजफ्फरपुर और दरभंगा को छोड़कर कहीं भी वैकल्पिक स्कूल खोलने की कवायद नहीं हो रही है। मधुबनी में तो प्रशासनिक कारनामा और भी चौंकाने वाला है। यहां बाढ़ के दौरान चूंकि स्कूल बंद रहेंगे, सो गर्मी की छुट्टी ही रद्द कर दी गई है।

यूनिसेफ की ओर से मुजफ्फरपुर के बाढ़ प्रभावित गांवों में तम्बू में स्कूल खोलने की योजना है। इसके लिए बिहार शिक्षा परियोजना से प्रस्ताव मांगा गया है। 40 बच्चों पर एक स्कूल खुलेगा। इसमें एक शिक्षक की तैनाती होगी। सौ बच्चों पर दो शिक्षक होंगे। इनको मानदेय मिलेगा। गौर हो कि यहां बाढ़ के कारण तीन महीने पढ़ाई बाधित रहती है। बच्चों के स्कूल जाने की आदत छूट जाती है। बच्चे ड्राप आउट की श्रेणी में आ जाते हैं।

डीएसई अरुण कुमार कुअंर का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाके चिह्नित किए जा रहे हैं। साथ ही विस्थापित स्थलों की सूची बनाई जा रही है, लेकिन पश्चिमी चंपारण में अबतक कोई कार्ययोजना नहीं बनी है। सो, बच्चों की पढ़ाई बाधित होना तय है। बाढ़ के दिनों में बगहा के गंडक पार पिपरारी, मधुबनी, भितहा व ठकराहां प्रखंड के अधिकतर स्कूल बंद हो जाते हैं।

एसडीएम राजीव कुमार सिंह ने कहा कि सरकारी आदेश मिलने पर इस दिशा में कोई पहल की जाएगी। बेतिया में डीडीसी घनश्याम प्रसाद दफ्तुआर का कहना है कि बाढ़ पूर्व तैयारी के लिए आपदा प्रबंधन की बैठक जून के प्रथम सप्ताह में बुलाई गई है। इस दौरान इसको लेकर कार्ययोजना बनाई जाएगी।

पूर्वी चंपारण में भी कोई योजना नहीं बनी है। प्रशासन का सारा ध्यान सिर्फ जान-माल की क्षति रोकने पर है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्कूल ही पीड़ितों के लिए शरण स्थल बन जाते हैं। जिले का मोतिहारी, बंजरिया, सुगौली, चिरैया, रामगढ़वा, ढाका, अरेराज, मेहसी, पताही आदि प्रखंडों का बड़ा हिस्सा जलमग्न हो जाता है। इन इलाकों में पढ़ाई इस बार भी प्रभावित होने की आशंका है। यही हाल सीतामढ़ी का भी है। करीब 15 फीसदी आबादी हर साल बाढ़ का दंश झेलती है। साढ़े चार लाख की आबादी में 40-50 हजार बच्चों की पढ़ाई ठप हो जाती है। इनके लिए वैकल्पिक स्कूल खोलने की कोई योजना नहीं है। यहां रून्नीसैदपुर, सुरसंड, बाजपट्टी, परिहार, सोनबरसा, बेलसंड व परसौनी समेत कई प्रखंडों के सैकड़ों स्कूल बाढ़ की भेंट चढ़ जाएंगे।

आपदा एडीएम सिद्धिनाथ झा कहते हैं कि वैकल्पिक स्कूल संबंधी अभी तक कोई तैयारी नहीं है। बाढ़ आने पर देखा जाएगा। मधुबनी में बाढ़ के दौरान पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए प्रभावित प्रखंडों के विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है। यहां भी बाढ़ के दौरान स्कूल बंद रहेंगे। जिला शिक्षा अधीक्षक मनोज कुमार की मानें तो 21 प्रखंडों में मधेपुर, लखनौर, झंझारपुर, अंधराठाढ़ी, फुलपरास, घोघरडीहा, लौकही, खुटौना, बेनीपट्टी, बिस्फी व मधवापुर मुख्य रूप से बाढ़ प्रभावित हैं।

इसके अलावा जयनगर, बासोपट्टी, लदनियां, खजौली, बाबूबरही व राजनगर प्रखंड भी बाढ़ के दिनों में आंशिक रूप से प्रभावित रहते हैं। समस्तीपुर का बिथान, सिंघिया और मोहनपुर प्रखंड बाढ़ की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील है। जबकि कल्याणपुर, खानपुर, हसनपुर व वारिसनगर का इलाका भी बाढ़ प्रभावित है। यहां स्कूल चलाना मुश्किल का काम है। बाढ़ में इन इलाकों में स्कूल का बंद होना तय है। अबतक शिक्षा विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है।

जिला शिक्षा अधीक्षक रजनी कांत प्रवीण का कहना है कि बाढ़ के दौरान जिला प्रशासन के आदेश पर ही कोई कदम उठाया जाता है। वहीं दरभंगा में बाढ़ के दौरान भी छात्रों की पढ़ाई चालू रखने और उन्हें मध्याह्न भोजन की गारंटी सुनिश्चित करने में प्रशासन जुट गया है। डीएसई रामचन्द्र मंडल ने बताया कि कुशेश्वरस्थान जैसी जगहों पर मध्याह्न भोजन देने के लिए रेज्ड प्लेटफार्म पर खाद्यान्न भंडारण के आदेश दिए गए हैं। शिक्षकों से डूब क्षेत्र में विशेष चौकसी बरतने को कहा गया है। संबंधित मुखियों से सहयोग लेकर पहुंच पथों को दुरुस्त कराने को कहा गया है। शिक्षा समितियों से पोषक क्षेत्र के बच्चों को हर हाल में स्कूल लाने की व्यवस्था करने को कहा गया है। सुरक्षित जगह चिह्नित किए जा रहे हैं।