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डॉक्टरों के खिलाफ फूटा गुस्सा, सड़कों पर उतरे लोग!

प्रदेश के विभिन्न अंचलों से.डॉक्टरों की हड़ताल के विरोध में मंगलवार को प्रदेशभर में प्रदर्शन हुए। सीकर, झुंझुनूं, बीकानेर व जोधपुर में कहीं रैली निकाली गई तो कहीं बाजार बंद रहे। डॉक्टरों की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किए गए। उधर, डॉक्टरों की हड़ताल सातवें दिन भी जारी रहने से चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमराई रहीं।

पुलिस ने अब तक 500 डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है।जोधपुर में आर्यवीर दल के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को हड़ताली डॉक्टरों का पुतला फूंक कर विरोध प्रदर्शन किया। अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों को मालाएं पहनाकर अभिनंदन किया।


बीकानेर में डॉक्टरों की हड़ताल के विरोध में मंगलवार को बीकानेर के मुख्य बाजार एक बजे तक बंद रहे। बंद का आह्वान व्यापारिक संगठनों व यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने किया था। श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ उपखंड में मंगलवार को शिव सैनिकों ने डॉक्टरों के घर पत्थर फेंके तथा तोड़ फोड़ की।

बांसवाड़ा में युवा कांग्रेस की टीम ने हड़ताली डॉक्टरों के घर जाकर गांधीगिरी की और उनके परिजनों को गुलाब के फूल देकर डॉक्टरों से काम पर वापस आने की अपील की। सीकर में मोबाइल व्यापार संघ ने शहर में प्रदर्शन कर एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा तो झुंझुनूं में युवा मंच सोसायटी ने पुतला फूंका व गुढ़ा में ग्रामीणों ने अस्पताल में प्रदर्शन किया।

चूरू में बार एसोसिएशन ने डॉक्टरों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास कर कलेक्टर को पत्र सौंपा।

रेस्मा हटे तो बात बढ़े

राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के उपाध्यक्ष डॉ महेश शर्मा ने बताया कि रेस्मा की वजह से डॉक्टर दर-दर भटक रहे हैं। हम भी गरीब जनता के दर्द को महसूस करते हैं, लेकिन रेस्मा हटे तभी तो टेबल पर बैठकर बातचीत शुरू हो सकती है।


डॉक्टर वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन जेल में बंद हमारे अध्यक्ष, महासचिव और महामंत्री के साथ टेबल पर बैठकर बातचीत हो।

इधर डॉक्टर नहीं, उधर दवा

प्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं तो दिल्ली के बीकानेर हाउस स्थित सरकारी डिस्पेंसरी में दवाएं खत्म हो गई हैं। अब वहां केवल इमरजेंसी स्टॉक बचा है। यह दवाएं भी वीआईपी और अधिकारियों के लिए ही है।

पूरे देश में फैल सकता है आंदोलन : आईएमए

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की बंगलौर में मंगलवार को हुई 73 वें सेंट्रल काउंसिल की मीटिंग में राजस्थान के डॉक्टरों की हड़ताल पर राजस्थान सरकार की आचोलना की गई। मीटिंग में देशभर के 2000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल ने फोन पर बताया कि राज्य सरकार को हड़ताली डॉक्टरों को तुरंत रिहा करना चाहिए। साथ ही डॉक्टरों पर लगे रेस्मा को हटाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि यदि ऐसा नहीं होता है तो आईएमए को मजबूरन देश में सरकारी व निजी क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे डॉक्टरों को इस लड़ाई में भाग लेने के लिए कहा जाएगा।

एनआरएचएम कर्मियों ने संभाला मोर्चा

ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों पर एनआरएचएम के पैरामेडिकल स्टाफ ने मंगलवार को कामकाज संभाल लिया है। एनआरएचएम की मिशन डायरेक्टर गायत्री राठौड़ ने बताया कि फिलहाल ऐसे कर्मचारी ही ड्यूटी पर नहीं पहुंचे हैं, जो पहले से लंबी छुट्टी पर चल रहे हैं।

प्रदेश में 18,000 एनआरएचएम कर्मचारी हैं और इन्होंने सोमवार को हड़ताल खत्म करने की घोषणा की थी।

सर्विस ब्रेक व कम्प्लसरी रिटायरमेंट पर विचार

हड़ताली डॉक्टरों के निलंबन और बर्खास्तगी के बाद अब सरकार डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई करते हुए कम्प्लसरी रिटायरमेंट तथा सर्विस ब्रेक जैसे विकल्प लागू करने पर भी मंथन कर ही है। शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंत्रियों की हुई बातचीत में भी इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी ।

पूर्व विधायकों ने दी सेवाएं

अजमेर में कांग्रेस के दो पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व डॉ. राजकुमार जयपाल ने मंगलवार को जेएलएन अस्पताल में सेवाएं दी। उधर, राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने हड़ताल का नैतिक समर्थन करते हुए बुधवार से दो घंटे काम के बहिष्कार का निर्णय लिया।

डॉक्टर की तबीयत बिगड़ी तो अचेत हो गए एएसआई

सीकर. झुंझुनूं के उदयपुरवाटी में मंगलवार को अनूठा वाक्या हुआ। रेस्मा में गिरफ्तार किए गए एक डॉक्टर को कोर्ट में पेश किए जाने के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ गई। इस देख एक एएसआई की हालत भी बिगड़ी गई। दोनों को अचेत अवस्था में एक निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा।

डॉ. अशोक नूनियां को पहले खून की उल्टियां हुईं और बीपी बढ़ने के बाद वे अचेत हो गए। इसे देखकर उसे कोर्ट में लाए एएसआई करण सिंह का बीपी कम हो गया और वे भी अचेत हो गए। डॉ. नूनियां मंडेला पीएचसी में पदस्थापित हैं। उधर, डॉक्टर व एएसआई की तबीयत बिगड़ने की सूचना पर पुलिस महकमे के कई अधिकारी अस्पताल पहुंचे।