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ढाई लाख छात्रों की अटकी स्कॉलरशिप, रकम नहीं आई तो बंद हो गए बैंक खाते

रायपुर। स्कूली बच्चों को ऑनलाइन स्कॉलरशिप देने की योजना तकनीक में उलझ कर रह गई है। पिछले साल लोक शिक्षण संचालनालय ने ऑनलाइन स्कॉलरशिप के लिए बैंकों में खाते खुलवाए ताकि स्कॉलरशिप सीधे खाते में जमा हो, लेकिन पैसे नहीं आए।

मिडिल स्कूल के ढाई लाख से अधिक एसटी/एससी बच्चों को साल 2016-17 की स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई है। प्रदेश में प्राइमरी-मिडिल स्कूल के 28 लाख बच्चों के लिए 200 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप का प्रावधान है। पैसे नहीं आने से बैंकों ने खाते भी बंद कर दिए हैं। रायपुर में डेढ़ हजार और दुर्ग में 2300 ऐसे बच्चे हैं जिनके खाते बंद हो गए हैं। अभी अनुपूरक बजट से 40 करोड़ रुपए बांटना बाकी है।

ऐसी हुई तकनीकी दिक्कत

एनआईटी ने प्रदेश में बच्चों की स्कॉलरशिप के लिए वेबपोर्टल बनाया है। अधिकारियों का तर्क है कि इसमें बच्चों का रजिस्ट्रेशन के दौरान प्रथम नाम, द्वितीय नाम और तृतीय नाम लिया गया। चूंकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा है, ऐसे में कुछ बच्चों के नाम में स्पेशल करेक्टर आने के कारण स्कूल शिक्षा विभाग से जब स्कॉलरशिप बैंक खाते में भेजी गई तो वहां दिक्कत हुई। स्पेशल करेक्टर के कारण करीब 2 लाख 50 हजार बच्चों के खाते में पैसे नहीं जा पाए।

कुछ ने खाते नहीं किया अपडेट तो हो गए बंद

खाते में पैसे नहीं आने से बच्चों ने खातों को नहीं देखा। केवाईसी लेकर उनको अपडेट करने की प्रक्रिया चल रही है। साल 2017 के लिए करोड़ों की राशि बांटी गई है। लेकिन अभी तक कुछ स्कूलों में प्राइमरी के बच्चों को भी स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई है।

इतने का डेटा ऑनलाइन किया अपडेट

दिसम्बर 2015-16 से स्कॉलरशिप बांटने की जिम्मेदारी स्कूल शिक्षा विभाग को दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि प्राइमरी के बच्चों को यह शिकायत नहीं मिली है। 35 हजार मिडिल स्कूलों में 15 लाख ऐसे बच्चे हैं, जिनको छात्रवृत्ति दी जानी है। इनमें करीब ढाई लाख बच्चों अभी तक स्कॉलरशिप नहीं मिली है।

इतनी मिलती है छात्रवृत्ति

कक्षा तीसरी, चौथी, पांचवी की सिर्फ एसटी-एससी बच्चियों को हर साल 500-500 रुपए स्कॉलरशिप मिलती है। छठवीं-सातवीं और आठवीं में एससी-एसटी छात्रों को 600 रुपए, छात्राओं को 800 रुपए। ओबीसी लड़कियों को 450 और लड़कों को 350 रुपए स्कॉलरशिप मिलती है।

आरटीई के पैसे भी नहीं मिले

आरटीई की तहत प्रति बच्चे को 650 रुपए ड्रेस और किताबों के लिए मिलते हैं। लेकिन पिछले एक साल से रायपुर के ही 150 स्कूलों में करीब 22 हजार बच्चों को समय पर न ही ड्रेस के पैसे मिल रहे हैं और न ही किताबों के लिए। निजी स्कूल भी फीस की बाट जोह रहे हैं। अकेले रायपुर में पौने दो करोड़ रुपए फीस नहीं बांटी गई है।

केस 1

बजरंग नगर निवासी बबलू बाग आठवीं में एक निजी स्कूल में पढ़ता है। एससी वर्ग होने के बाद भी इनको समय पर स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई है। हर महीने पढ़ाई के लिए पेन-कॉपी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

केस 2

शांति नगर इलाके की छात्रा रोहिणी आरटीई के तहत पढ़ाई करती है। उसके पालक बताते हैं कि जब से आरटीई के तहत दाखिला कराया तब से आज तक सिर्फ 650 रुपए ही ड्रेस और किताबों के लिए मिल रहे हैं, वह भी समय पर नहीं मिलता है।

फैक्ट फाइल

- 35 हजार प्राइमरी-मिडिल स्कूल

- प्राइमरी-मिडिल के 28 लाख बच्चों के लिए 200 करोड़ का प्रावधान

- दिसम्बर 2015-16 में आदिवासी विकास विभाग से स्कूल शिक्षा के हवाले

- तकनीकी दिक्कत के कारण बच्चों के खाते में छात्रवृत्ति के पैसे नहीं पहुंच पाए हैं। कुछ बच्चों के खाते बंद भी हो गए, उनको फिर से खुलवा रहे हैं। एनआईसी को तकनीकी दिक्कत दूर करने के लिए कहा गया है। - एस प्रकाश, संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय