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तेरह हजार बाल श्रमिकों की पढ़ाई को 244 शालाएं

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सात जिलों में बाल श्रमिकों के लिए 244 बाल श्रम शालाएं संचालित की जा रही है जिसमें लगभग 13 हजार बाल श्रमिक अध्ययन कर रहे हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ के सात जिलों में बाल श्रम प्रथा को खत्म करने और इसके विरुद्ध जन-जागरण के लिए 244 बाल श्रम शालाएं संचालित की जा रही हैं। इन शालाओं में खतरनाक और अस्वास्थ्यकर कार्यो से मुक्त कराए गए बच्चों को शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के दुर्ग, राजनांदगांव, सरगुजा, रायगढ़, बिलासपुर, रायपुर और कोरबा जिलों में यह श्रम शालाएं राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत संचालित की जा रही हैं।

केंद्र सरकार द्वारा राज्य के दंतेवाड़ा जिले को भी बाल श्रम परियोजना में शामिल कर लिया गया है। दंतेवाड़ा जिले को बाल श्रमिकों के सर्वेक्षण के लिए पांच लाख 62 हजार रूपए का आवंटन भी किया गया है। जिले में बाल श्रमिकों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। दक्षिण बस्तर जिले में शालाएं शुरू हो जाने पर बाल श्रम परियोजना में शामिल जिलों की संख्या बढ़ कर आठ हो जाएगी। श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इन बाल श्रम शालाओं का संचालन स्वयं सेवी संस्थाओं, ग्राम पंचायतों और जनभागीदारी समितियों के माध्यम से किया जा रहा है। सरगुजा जिले में संचालित बाल श्रम शालाओं में पढ़ने वाले श्रमिक बच्चों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

उन्होंने बताया कि राज्य की 244 बाल श्रम शालाओं में 12 हजार 911 बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसायिक गतिविधियों का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों को इन शालाओं में शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा तीसरी से पांचवीं तक की प्राथमिक शिक्षा दी जाती है।

बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के तहत सिलाई-कढ़ाई, चाक बनाना, पेंटिंग आदि की शिक्षा दी जाती है।

अधिकारियों ने बताया कि रायपुर जिले में संचालित 103 बाल श्रम शालाओं में पांच हजार 145 बच्चे, दुर्ग जिले की 40 बाल श्रम शालाओं में एक हजार 931 बच्चे तथा बिलासपुर जिले की 25 बाल श्रम शालाओं में एक हजार 739 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

इसी प्रकार सरगुजा जिले की 24 बाल श्रम शालाओं में एक हजार 817, राजनांदगांव जिले की 22 बाल श्रम शालाओं में एक हजार तीन, रायगढ़ जिले की 15 शालाओं में 715 और कोरबा जिले की 15 बाल श्रम शालाओं में 561 बच्चों को पांचवी तक की शिक्षा दी जा रही है।