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त्वरित न्याय हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता- रविशंकर प्रसाद

अदालतों में करोड़ों की संख्या में लंबित मामले, जजों की कमी और वर्षों लंबी न्याय प्रकिया में पीढ़ी बदल जाने वाले हालात से आम आदमी परेशान है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व बिहार के चारा घोटाले और राम जन्मभूमि मामले में रामलला के वकील रह चुके रविशंकर प्रसाद अब देश के नए कानून मंत्री हैं। उनके पास संचार और आईटी मंत्रालय भी हैं। विशेष संवाददाता रामनारायण श्रीवास्तव ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं इसके अंश:

देश की अदालतों में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, क्या करेंगे?
वाकई यह बहुत चिंता की बात है। इस समय सुप्रीम कोर्ट में 63,843 मामले, हाईकोर्ट में 44.68 लाख व निचली अदालतों में दो करोड़, 68 लाख मामले लंबित हैं। इनमें लगभग 18 लाख मामले दस साल से ज्यादा व 40 लाख मामले पांच साल से ज्यादा पुराने हैं। मैंने मंत्री बनते ही कई स्तरों पर कार्रवाई शुरू की है।

पहले भी कार्रवाई की बात हुई, पर मामले तो हर साल बढ़ ही रहे हैं?
एक बड़ी समस्या अदालतों में जजों की कमी की भी है। विभिन्न हाईकोर्ट में 263 पद खाली हैं। ये सब जल्द भरे जाएं, इसके लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर विशेष आग्रह किया गया है। निचली अदालतों में भी 4,382 पद खाली हैं। इनको भरने के लिए मुख्यमंत्रियों व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा गया है। हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की मौजूदा संख्या 906 को बढ़ाकर 1,112 करने का भी विचार है। इस बारे में कई राज्यों की सहमति भी मिल गई है। यह सारी प्रकिया तेज चले, इसके लिए मैं स्वयं रुचि लूंगा।

क्या सरकार जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम परंपरा के खिलाफ है और क्या इसे समाप्त करने की उसकी सोच है?
कॉलेजियम परंपरा को लेकर काफी चर्चा होती रही है। हमने अपने घोषणापत्र में भी कहा है कि हम राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाने के पक्ष में हैं। इस दिशा में जल्द ही न्यायविदों और राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा, क्योंकि इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा।

क्या सरकार मामलों को वर्गीकृत करने पर भी विचार कर रही है, ताकि उनका जल्द से निपटारा हो सके?
मैंने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है कि बूढ़े, बच्चे, महिलाओं और विकलांगों के आपराधिक मामलों को फास्ट ट्रैक किया जाए।

अदालतों में फाइलों के ढेर लगे हैं, इसमें बदलाव लाने की कोई सोच है?
अदालतों के कंप्यूटरीकरण पर हमारा ध्यान है। कानून के साथ संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री होने के नाते मैं इसमें समन्वय के साथ तेजी ला रहा हूं। अधिक जोर निचली अदालतों के कंप्यूटरीकरण पर है। 13 हजार कोर्ट कंप्यूटरीकृत हो चुके हैं।

क्या मामलों की संख्या कम करने का भी कोई उपाय है?
कोर्ट के सामने ऐसे मामले हैं, जिन पर नए तरीके से सोचना पड़ेगा, ताकि लंबित मामले कम हों। जैसे इस समय चेक बाउंस के 22 लाख मामले हैं। मोटर व्हिकिल चालान के 20 लाख मामले हैं। संभावना तलाशी जा रही है कि क्या कोर्ट के बाहर ऐसे मामलों का निपटारा किया जा सकता है।

अंग्रेजों के जमाने के कई कानून अब भी हैं, क्या उनमें बदलाव नहीं हो सकता?
हमने विधि आयोग से आग्रह किया है कि वह देश में जितने पुराने कानून हैं और जिनकी उपयोगिता कम रह गई है, उनका अध्ययन कर जल्दी रिपोर्ट दे। इसके बाद ही सरकार इनको बनाए रखने या समाप्त करने पर विचार कर सकेगी।

देश के नए कानून मंत्री और मोदी सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रामाणिक विश्वास है कि देश के विकास के लिए त्वरित न्याय बेहद जरूरी है। हम इस दिशा में गंभीरता से सोच रहे हैं कि न्यायिक प्रक्रिया को कैसे तेज किया जाए। मैंने विधि आयोग से पूछा है कि आरबीट्रेशन कानून को और प्रभावी बनाकर जल्दी निपटारे के लिए क्या किया जा सकता है।

अदलतों की लंबी छुट्टियों को लेकर बहस जारी है, सरकार क्या सोचती है?
अदालतों की छुट्टियों का फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है। जब तक सुप्रीम कोर्ट का कोई सुविचारित मत नहीं मिलता, सरकार इस दिशा में नहीं सोच सकती।

क्या सरकार बदलने के साथ राज्यपालों को खुद हट जाना चाहिए या सरकार को उन्हें हटा देना चाहिए?
राज्यपालों के बारे में निर्णय करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। इसमें दो पहलू महत्वपूर्ण हैं। एक संविधान और दूसरा विवेक। बहुत से राज्यपाल पिछले दरवाजे से आते और अगले दरवाजे से जाने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमारी सरकार परंपराओं का पालन कर रही है।

आप संचार व प्रौद्योगिकी मंत्री भी हैं, पिछली सरकार में 2-जी घोटाले को आप लोगों ने जोर-जोश से न केवल उठाया, बल्कि पूरी सरकार को घेरा था। अब आपकी सरकार है, क्या कर रहे हैं?
2-जी घोटाले में भाजपा का जो रुख तब था, वही आज भी है। जांच की जो प्रक्रियाएं चल रही हैं, वे अपना काम करेंगी। इस घोटाले के जो और दोषी सामने आएंगे, उनको बख्शा नहीं जाएगा।

सूचना प्रौद्योगिकी में क्या नया करने की तैयारी है?
हमने अपनी पिछली सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में विकास का नया रास्ता तैयार किया था। वह सरकार नेशनल हाईवे के लिए जानी जाती है। देश के किसी भी कोने में जाइए, वहां जो चौड़ी सड़कें बनीं, वे उसी की देन है। मोदी सरकार को उससे आगे जाना है। यह सरकार ब्रॉडबैंड हाईवे के रूप में जानी जाएगी। सूचनाओं का प्रवाह इतना तेज होगा कि घंटों की दूरियां सेकेंड में पूरी होंगी।