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थाने में 5 दिनों से बंद हैं 7-8 साल के 2 बच्चे

शंका की सजा! -- जूनी इंदौर थाने में पिछले पांच दिनों से बंद हैं दो बच्चे

इंदौर। करीबन पांच दिन पहले दोनों बच्चों को सिंधी कॉलोनी क्षेत्र से पकड़ा गया था। यहां किसी शादी के दौरान लोगों की नजर इन पर पड़ी। उन्होंने इनसे पूछताछ की और फिर इनकी पिटाई कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। इन बच्चों को जूनी इंदौर पुलिस ने पिछले पांच दिनों से पकड़ रखा है। इन्हें हवालात के बगल वाले कमरे में रखा गया है। यहां पर इनसे लगातार पूछताछ चल रही है, लेकिन पुलिस अभी तक इनसे कोई खास बात उगलवा नहीं पाई है।

हालांकि थाने के टीआई आनंद यादव को शंका है कि ये दोनों चोर हो सकते हैं। डीबी स्टार ने पड़ताल की तो पता चला कि इन बच्चों के नाम कबीर और काजल है। दोनों ही राजगढ़ जिले में पचोर के पास कड़िया गांव के रहने वाले है। दोनों पचोर के आंबेडकर छात्रावास (संरक्षण गृह) में रहते थे और वहां से कुछ दिन पहले ही भाग गए थे।

न्यायालय ने भले ही बच्चों को थाने में बंद न करने का फरमान सुना रखा है, लेकिन जूनी इंदौर थाना इस आदेश का खुलेआम मखौल उड़ा रहा है। यहां 7-8 साल के दो बच्चे पिछले पांच दिनों से बंद कर रखे गए हैं। डीबी स्टार ने इसकी वजह जानना चाही तो थाने का स्टाफ कुछ भी बताने को तैयार नहीं हुआ।

टीआई को इन पर बड़े चोर गिरोह से जुड़े होने की शंका है, लेकिन वे नियमों को ताक में रखकर न तो इन्हें चाइल्ड लाइन भेज रहे हैं और न ही प्रकरण दर्ज कर रहे हैं। नियम कहता है कि संदेह के दायरे में 14 साल से कम उम्र का कोई बच्च पकड़ा जाए तो उसे फौरन चाइल्ड लाइन भेज दिया जाता है। हालांकि इन दोनों के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

नियम तो कहता है कि..

किशोर न्यायालय अधिनियम और बाल संरक्षण अधिनियम के मुताबिक 14 साल या उससे कम उम्र के बच्चों को किसी अपराध में पकड़ा जाता है तो प्रकरण दर्ज कर उन्हें तुरंत बाल सुधारगृह भेज दिया जाता है, वहीं शंका के आधार पर या गुमशुदगी में पकड़े गए बच्चों को चाइल्ड लाइन भेज देते हैं। इन्हें बड़े अपराधियों के साथ थाने में रखने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है।

टीआई आनंद यादव से बच्चों के बारे में पूछा तो बोले..

मां-बाप मिल जाए तो छोड़ देंगे

इन बच्चों को जब पकड़ा गया था तो इनके पास से कुछ नहीं मिला। हालांकि पुलिस को शंका है ये दोनों ऐसे गिरोह से जुड़े हुए हैं, जो बच्चों से वारदातें करवाता है। इनसे रोज पूछताछ भी हो रही है, लेकिन पुलिस को अब तक न तो गिरोह का पता चला है और न ही वारदातों के बारे में। यहां तक कि इन पर पुलिस ने कोई प्रकरण भी कायम नहीं किया है। कुल मिलाकर इन दोनों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के यहां पर रखा गया है। सामान्यत: किसी अपराधी को पकड़ने के मामले में तुरंत प्रकरण कायम कर लिया जाता है और उसके बाद न्यायालय से पुलिस रिमांड मांगा जाता है।

बच्चों को थाने में रखने के लिए स्पष्ट नियम-कानून बनाए गए हैं। इनमें किसी भी बच्चे को पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। प्रकरण कायम करने के बाद इन्हें बाल संरक्षणगृह भेज दिया जाता है। इस बारे में न्यायालय के भी स्पष्ट आदेश हैं कि बच्चों को बड़े अपराधियों के साथ थाने पर नहीं रखा जाए। दूसरी ओर, कोई बच्च लावारिस या घूमते हुए मिले तो उसे थाने पर नहीं रखते हुए चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया जाता है। हालांकि इस मामले में पुलिस ने सारे नियम-कानून ताक पर रख दिए हैं। अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि ये बच्चे अपराधी हैं।

अगर ऐसा है भी तो इनके खिलाफ प्रकरण कायम कर पुलिस को अपने स्तर पर जांच करने का अधिकार है, लेकिन इन्हें थाने में रखने का कोई हक नहीं बनता। डीबी स्टार ने जब इस बारे में थाने के स्टाफ से जानकारी लेना चाही तो वे इस बारे में बात करने से बचते रहे। यहां मौजूद अर्दली से लेकर इंचार्ज तक ने इस बारे में कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि इस बारे में केवल टीआई साहब ही बताएंगे कि इन्हें यहां पर क्यों रखा गया है। उनके पास यह जानकारी भी नहीं थी कि इन पर कोई प्रकरण दर्ज किया गया है या नहीं।